हिंदी पट्टी में ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा नहीं है, जो स्वयं कभी तमिलनाडु गए हों. लेकिन आपको ऐसे तमिलनाडु एक्सपर्ट बहुत मिल जाएंगे, जो आपको छूटते ही बता देंगे कि चेन्नई के ऑटो वाले हिंदी में पता नहीं बताते. इंग्लिश में भी नहीं बताते. बोलते हैं, तो सिर्फ तमिल. ये अनुभव कितने लोगों को हुआ, और कितने लोगों ने इसका ढिंढोरा पीटा, ये अलग से बहस का विषय हो सकता है. लेकिन लोग प्रायः ऐसी बातों यकीन कर लेते हैं, क्योंकि तमिलनाडु में हिंदी को कथित रूप से ''थोपे'' जाने विरोध का होता तो रहा है.
बिहार के मजदूरों पर तमिलनाडु में हुए हमलों पर क्या कुछ छिपाया जा रहा है?
मजदूरों पर हो रहे हमलों के दावों में कितनी सच्चाई है?

संभवतः इसीलिये, जब तमिलनाडु में हिंदी भाषी मज़दूरों पर हमले के वीडियो वायरल होने लगे, तो लोगों ने इन्हें ''फेस वैल्यू'' पर लिया. सूबे में बिहारी मज़दूरों पर हमलों की खबरें चलने लगीं. दोनों सूबों में बवाल हुआ. और नतीजा निकला सिफर. क्योंकि जब जांच हुई, तो मालूम चला कि हिंदीभाषी मज़दूरों पर संगठित हमलों का कोई पैटर्न नहीं था. कहीं पुराने वीडियो को संदर्भ हटाकर वायरल किया जा रहा था. तो कहीं निजी दुश्मनी में हुई हत्या को बिहारियों पर हमला करार दे दिया गया था. तो अब सवाल ये बचता है कि तमिलनाडु में जो हुआ, वो था क्या? दो ही बड़ी संभावनाएं हैं -
> या तो तमिलनाडु में हो रहे टार्गेटेड हमलों पर लीपापोती हो रही है.
> या फिर ये एक महीन ऑपरेशन था, जिसमें एक साथ दो सूबों की सरकारों को निशाने पर लिया गया था.
दोहराव की कीमत पर हम कहना चाहेंगे, इस मामले में क्रोनोलॉजी का महत्व बहुत ज़्यादा है. कि क्या पहले हुआ और क्या बाद में. क्योंकि सबसे बड़ा कंफ्यूज़न इसी बात को लेकर है कि हमले हुए तो कब और शिकार कौन था.
तारीख 1 मार्च. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन का जन्मदिन. इस मौके पर देशभर की कई पार्टियों के नेता स्टालिन को जन्मदिन की बधाई देने पहुंचे. इन नेताओं ने स्टालिन के साथ मंच साझा किया और भाषण भी दिए. जिसमें सभी ने ये कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ लड़ना है. कार्यक्रम के उस फोटो में नज़र आ रही कमेस्ट्री पर भी चर्चा हुई, जिसमें सभी नेता मंच पर हाथ पकड़े हुए दिखे रहे हैं.
इसके अगले दिन यानी 2 मार्च को बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने एक प्रेस कांफ्रेंस की. इस कांफ्रेंस में बीजेपी ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु में काम कर रहे बिहारी मजदूरों की हालत खराब है. इसके बाद BJP नेताओं ने कुछ स्थानीय न्यूज चैनलों की वीडियोज ट्वीट किए, जिसमें तमिलनाडु से आए हुए कुछ मजदूर ये दावा कर रहे थे कि वहां उनकी जान को खतरा है. इसके अलावा बिहार बीजेपी के ऑफिशियल हैंडल ने कई वीडियो ट्वीट किए जिनमें इसी तरह के दावे थे.
BJP की ओर से डाले गए इन वीडियोज के बाद बिहार के अखबारों ने भी इस मुद्दे को उठाया और बिहार सरकार से मजदूरों की स्थिति पर एक्शन की मांग की. ये सुनकर आपको लग सकता है कि जैसे सबकुछ अचानक हो गया हो. लेकिन तमिलनाडु के पत्रकार बतातें हैं कि पिछले काफी वक्त से फेक वीडियो और न्यूज़ के जरिए प्रवासी मज़दूरों को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं. ये मामला नेशनल मीडिया की नज़र में तब आया जब कुछ दिनों पहले बिहार के पवन यादव की मौत की खबर तमिलनाडु में मजदूरों पर हो रहे हमलों से जोड़कर चलाई गईं. खबर के पीछे का सच जाने बिना सोशल मीडिया पर इस मामले को हिंदीभाषियों पर अत्याचार बताया जाने लगा. जबकि ये मामला आपसी रंजिश का था.
तिरुपुर के DCP अभिषेक गुप्ता के मुताबिक आपसी झगड़े में मारे गए पवन यादव की हत्या का आरोप झारखंड के रहने वाले उपेंद्र धारी पर लगा है. उसकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है. फेक न्यूज का ये कोई इकलौता मामला नहीं था. पवन की तरह ही बिहार के रहने वाले एक और श्रमिक मोनू दास की मौत खबर को प्रवासियों पर जानलेवा हमले की तरह पेश किया गया. बाद में पता चला कि मामला आत्महत्या का था. इन्हीं दोनों मामलों को लेकर ज़्यादा बवाल हुआ था.
इन बातों की और पुख्ता जानकारी हासिल करने के लिए हमने तमिलनाडु से चलने वाले रूस्टर न्यूज के संपादक राहुल वी. से बात की. राहुल ने हमे ये भी बताया कि वो इस मसले पर काफी वक्त से रिपोर्टिंग कर रहे हैं. वो बताते हैं कि एक खास पैटर्न पर फेक वीडियो शेयर करके तमिलनाडु के बारे में गलत राय बनाने की कोशिश की जा रही हैं. बीते दिनों सोशल मीडिया पर मारपीट के कुछ वीडियो वायरल हुए थे. जिन्हें हिंदी भाषी मज़दूरों पर हो रहे हमले बताकर धड़ल्ले से शेयर किया जा रहा था. सीएम नीतीश कुमार का प्रवासी श्रमिकों को लेकर चिंता जताने वाला ट्वीट भी इन्हीं वीडियोज़ के वायरल होने के बाद आया था. लेकिन कम ही लोगों ने ध्यान दिया, कि तमिलनाडु के डीजीपी शैलेंद्र बाबू ने 2 मार्च को ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया और श्रमिकों पर हिंसक हमलों वाले वीडियोज़ को फेक करार दिया.
तमिल नाडु के डीजीपी ने कह तो दिया था कि वीडियो फर्ज़ी हैं. लेकिन हमलों की खबर ऐसे समय आई थी, जब बिहार विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था, तो बहस को एक बढ़िया मंच मिल गया. विपक्ष में बैठी भाजपा ने मज़दूरों पर कथित हमलों की खबरों को लेकर विधानसभा और विधान परिषद, दोनों जगह हंगामा किया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांगा. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से कहा,
‘’बिहार के मज़दूर तमिलनाडु में पीटे जा रहे हैं, लेकिन सदन में जवाब देने के लिए न मुख्यमंत्री हैं, न उप मुख्यमंत्री और न ही संसदीय कार्यमंत्री.''
विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि जब बिहार के मज़दूर तमिनाडु में हमलों का शिकार हो रहे थे, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के जन्मदिन का केक खा रहे थे.
दरअसल 1 मार्च को तेजस्वी, स्टालिन के जन्मदिन समारोह में शामिल होने चेन्नई गए थे. हमलों की खबरों के बीच इस दौरे की टाइमिंग को लेकर बवाल हो गया.
अब तक कथित वीडियो खास तौर पर उन लोगों के बीच वायरल हो चुके थे, जिनके परिजन तमिलनाडु में काम कर रहे थे. घर वालों ने अपने परिजनों से कहना शुरू किया, जान है तो, जहान है. नौकरी तो कहीं और भी कर ली जाएगी. उधर तमिलनाडु में पहले प्रवासियों ने फैक्ट्रियों में जाना कम किया. और फिर बड़ी संख्या में ट्रेन से बिहार लौटने लगे. कई लोगों को यूं भी होली के लिए घर आना ही था. सो दोनों कारणों के चलते बिहार के स्टेशनों पर तमिलनाडु से आने वाले मज़दूरों की भीड़ नज़र आने लगी. इनसे जब पूछा जाता कि आप क्यों लौटे हैं, तो सभी एक ही बात कहते - बिहारियों को मारकर भगाया जा रहा है, इसलिए हम लौटे हैं.
ऐसे में 3 मार्च को एक बार फिर विधानसभा में इस मुद्दे पर हंगामा हुआ. नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने बिहार सरकार पर निष्क्रियता का आरोप लगाकर कहा कि अगर मामला गलत निकला, तो वो सदन में माफी मांग लेंगे. इसके बाद बोलने खड़े हुए तेजस्वी यादव. उन्होंने कहा कि बिहारी मज़दूरों पर हमले की खबरों का संज्ञान ले लिया गया है. और बिहार के अधिकारी तमिलनाडु में अपने समकक्षों से संपर्क में हैं. तमिलनाडु के DGP ने एक बयान जारी करके कह भी दिया है कि दोनों वीडियो पुराने हैं और अलग अलग ज़िलों से संबंधित हैं.
एक वीडियो में बिहार और झारखंड के मज़दूर आपस में लड़ते नज़र आ रहे हैं. और दूसरे में स्थानीय तमिल लोग आपस में झगड़ रहे हैं. फिर भी अगर भाजपा संतुष्ट नहीं, तो उसे केंद्रिय गृहमंत्री से मदद मांगनी चाहिए. ताकि वो अपनी एक टीम तमिलनाडु भेज दें. तेजस्वी ने जैसे ही अपनी बात पूरी की, भाजपा विधायक सदन से वॉकआउट कर गए.
यहां तक आते-आते नीतीश कुमार समझ गए थे, कि खबर मंगवा भर लेने से काम नहीं चलेगा. तो 3 मार्च को ही बिहार शासन के वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम को तमिलनाडु भेजने का फैसला लिया गया. समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से दावा किया कि इस टीम में दो ऐसे पुलिस अधिकारी भी भेजे गए, जो मूलतः तमिलनाडु से ही थे. ताकि भाषा अड़चन न बने.
4 मार्च को ये टीम तमिलनाडु पहुंची और चेन्नई में तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों से मिली. अगले दिन ये टीम तिरुपुर ज़िले की औद्योगिक इकाइयों में काम कर रहे मज़दूरों से भी मिली. और इंतज़ामों को लेकर संतोष जताया.
अब तक हमने बिहार में चल रही राजनैतिक उठापटक की खबर ली. अब रुख करते हैं तमिलनाडु का. यहां भी बिहार वाली ही स्थिति है. केंद्र में शासन करने वाली भाजपा विपक्ष में है. और सरकार चला रहा है द्रविड मुनेत्र कज़गम (DMK) नीत गठबंधन. स्टालिन सरकार तो शुरुआत से ही कह रही थी कि हमलों की खबर फर्ज़ी है. माने वही स्टैंड, जिसे बिहार सरकार दोहरा रही थी. लेकिन यहां विपक्ष में बैठी भाजपा का सुर, अपनी ही पार्टी की बिहार इकाई से कुछ अलग था.
4 मार्च को तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने अंग्रेज़ी में एक ट्विटर थ्रेड लिखा. जिसका भावानुवाद हम आपको बता रहे हैं.
'' तमिलनाडु में प्रवासी मज़दूरों पर हमलों को लेकर फैल रही फेक न्यूज़ से दुख होता है. तमिल लोग, उत्तर भारतीयों पर हमलों का समर्थन नहीं करते. वो सूबे के विकास में प्रवासी मज़दूरों के योगदान का स्वागत करते हैं. लेकिन डीएमके नेताओं ने प्रवासियों को लेकर भद्दी टिप्पणियां की हैं. DMK मंत्रियों ने उन्हें पानीपुरी वाला बुलाया है. और डीएमके गठबंधन में सहयोगियों ने प्रवासियों को वापिस भेजने की बातें की हैं. DMK ने जो बोया, वही काट रही है. और अब स्थिति में सुधार करना उनकी ज़िम्मेदारी है.''
इसका मतलब अन्नामलाई हमलों के वीडियो को तो फेक बता रहे थे. लेकिन DMK सरकार पर ये आरोप भी लगा रहे थे कि उसने उत्तर भारत से आए प्रवासियों के खिलाफ माहौल बनाया.
5 मार्च को खबर आई कि तमिलनाडु पुलिस के साइबर क्राइम डिविज़न ने तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई के विरुद्ध FIR दर्ज कर ली है. आरोप - दो समुदायों में वैमनस्य फैलाना. इसी रोज़ अन्नामलाई ने फिर एक ट्वीट किया. तमिल में किए इस ट्वीट में उन्होंने कहा कि वो अपनी बात पर अडिग हैं. और फर्ज़ी मामले दर्ज कर लोकतंत्र की आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता. मैं आपको 24 घंटे देता हूं, हिम्मत है, तो मुझपर हाथ डालकर दिखाइए.
वैसे तमिलनाडु पुलिस की कार्रवाई की ज़द में सिर्फ अन्नामलाई नहीं आए हैं. भाजपा प्रवक्ता प्रशांत उमराव और कम से कम दो पत्रकारों पर भी फेक न्यूज़ फैलाने को लेकर मामले दर्ज हुए हैं. इनमें से एक दैनिक भास्कर अखबार में काम करते हैं और दूसरे तनवीर पोस्ट नाम ट्विटर हैंडल चलाते हैं. पुलिस के रडार पर बिहार भाजपा का ट्विटर अकाउंट भी है, जिसपर कथित हमलों के वीडियो शेयर किये गए थे.
तमिलनाडु पुलिस की तरह ही बिहार पुलिस ने भी ऐसे वीडियो को भ्रामक बताया है. आज ADG बिहार जितेंद्र गंगवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि वायरल हो रहे वीडियो की जांच स्पेशल टीम कर रही है और मामले में चार F.I.R भी दर्ज की जा चुकी हैं. अब जब दो सूबों की पुलिस कार्रवाई की बात कर रही हो, तो वायरल हुए वीडियोज़ की खबर भी ले लेनी चाहिए.
श्रमिकों से ये बातचीत रूस्टर न्यूज़ की रिपोर्ट का एक हिस्सा था. जिसमें किसी भी श्रमिक ने तमिलनाडु में अपने उपर किसी भी तरह की ज्यादती या अत्याचार की बात नहीं कबूली है. बात सिर्फ इतनी नहीं है कि तमिलनाडु में बिहारियों पर हमलों के वीडियो को दो सूबों के पुलिस अधिकारियों ने गलत बताया. संज्ञान में ये भी लिया जाना चाहिए कि कई नामी फैक्टचेकर्स भी उसी निष्कर्ष पर पहुंचे हैं, जिसपर पुलिस पहुंची. इतना ही नहीं, कई समाचार संस्थानों ने अपनी खबरें डिलीट की हैं. और कुछ ने स्पष्टीकरण जारी किए हैं. अब तक ऐसी किसी खबर की जानकारी नहीं है, जिसमें तथ्यपरक ढंग से तमिलनाडु पुलिस के पक्ष को चुनौती दी गई हो.
किसी एक मामले में तथ्यों की सटीक जानकारी न होना समझ आता है. लेकिन जब संगठित तरीके से वीडियो वायरल किये जाएं, तब हमें सतर्क हो जाना चाहिए. क्योंकि आज जो तमिलनाडु में हुआ, वो कल कहीं भी हो सकता है. राजनैतिक मकसद से फैलाई गई फेक न्यूज़ के चलते कैसी तबाही आ सकती है, इसकी हम अभी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. तमिलनाडु और बिहार से आए उदाहरण बस एक छोटी बानगी भर हैं.
वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: बिहार के मजदूरों पर तमिलनाडु में हुए हमलों पर क्या कुछ छिपाया जा रहा है?