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उत्तराखंड में पेपर लीक कराने वाले रसोइये ने रिज़ॉर्ट बना लिया!

BJP से निष्कासित हाकम सिंह के कई बड़े नेताओं से रिश्ते थे.

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उत्तराखंड में भर्ती घोटाले के खिलाफ प्रदर्शन करते छात्र और सीएम पुष्कर सिंह धामी (फोटो: आजतक)

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKSSSC) ने 4 और 5 दिसंबर 2021 को लिखित भर्ती परीक्षा आयोजित की थी. इस भर्ती में 13 विभागों के कुल 854 पदों पर भर्ती की जानी थी. इस परीक्षा में करीब ढाई लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. इनमें से 1 लाख 60 हजार अभ्यर्थियों ने पेपर दिया. उत्तराखंड जैसा राज्य जहां आबादी कम है वहां ढाई लाख आवेदन बहुत मायने रखते हैं. परीक्षा में हेराफेरी के मामले में देहरादून पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की. बाद में मामला STF को सौंप दिया गया. इस मामले में अब तक 35 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. अभ्यर्थी सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. राज्य की राजनीति में हलचल मची ही.

यही नहीं इस बीच एक और घोटाले की खबर सामने आई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विधानसभा के स्टाफ की भर्ती में भी खूब हेराफेरी की गई है. मामले के तूल पकड़ने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को चिट्ठी लिखकर इस मामले में जांच कराने के लिए कहा है. आरोप लगे कि सभी पार्टी के नेताओं ने अपने परिचितों को नौकरियां दिलवाई है. 'दी लल्लनटॉप' के खास प्रोग्राम नेतानागरी में उत्तराखंड में हुए इन दो बड़े घोटालों पर विशेषज्ञों से चर्चा की गई. लल्लनटॉप से बातचीत में स्वतंत्र पत्रकार अजित सिंह ने बताया कि इस घोटाले में दो तरह के मामले सामने आ रहे हैं. एक मामला वो है जहां UKSSSC जैसी किसी संस्था ने भर्तियां निकाली, अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरे लेकिन पेपर लीक हो गए. अजित सिंह ने बताया, 

"इस तरह की भर्तियों में पोस्टमैन, वन दरोगा और ग्रैजुएशन स्तर की कई भर्तियां शामिल हैं. पेपर लीक के इन मामलों में SIT और विजिलेंस की टीमें जांच कर रही हैं. अब तक 35 गिरफ्तारियां हो चुकी है. गिरफ्तार होने वाले लोगों में पुलिस, सचिवालय और कोचिंग कराने वाले लोग शामिल हैं."

अजित सिंह नेगे बताया,  

“UKSSSC पेपर लीक मामले में अब तक की जांच में ये सामने आया है कि करीब 260 लोगों ने 15 से 20 लाख  रुपये में पेपर खरीदा है. इस पैसे में से अब तक 70 से 80 लाख रुपए रिकवर भी किए गए हैं. जांच में ये भी सामने आया है कि 40 लोग ऐसे हैं जो 15-20 लाख में पेपर खरीदने के बाद भी फेल हो गए. वहीं करीब 200 से ज्यादा अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्होंने पेपर खरीदा और वो पास हो गए. इनमें से डर की वजह से कई अभ्यर्थियों ने सामने आकर अपनी गलती स्वीकार कर ली है.”

दरअसल, इस पेपर लीक मामले ने उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है. इन सब के बीच ये सवाल उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर हो रहे घोटाल को अंजाम कौन दे रहा है. साथ ही अब तक गिरफ्तार हुए लोगों में बीजेपी नेता हाकम सिंह का नाम ज्यादा चर्चा में है. अजित सिंह ने लल्लनटॉप को बताया कि 

हाकम सिंह उत्तरकाशी जिले के रहने वाले हैं और पहले डीएम के रसोइया थे. कुछ दिन बाद वो डीएम ड्राइवर बना. इसके बाद वो चुनाव लड़कर जिला पंचायत का सदस्य बन गए. फिलहाल उनके पास होटल और रिज़ॉर्ट हैं.  इस घोटाले में नाम सामने आने के बाद बीजेपी ने उसे पार्टी से निकाल दिया है. हाकम सिंह कई फोटो में प्रदेश के बड़े नेता और सरकारी अधिकारियों के साथ देखे जा सकते है, यहां तक की राज्य के DGP के साथ भी उनकी तस्वीरें हैं.

वहीं हाकम सिंह के बार में नेतानगरी में आए इंडिया टुडे मैग्जीन से जुड़े हिमांशु शेखर कहते हैं कि

डीएम के यहां के नौकरी करने के दौरान हरिद्वार में हाकम यूपी के नकल गैंग के संपर्क में आया. इसके बाद उसने यूपी के 'पैटर्न' पर उत्तराखंड में नकल का जाल बिछाया. यही वजह है कि अब वो करोड़ों की संपत्ति का मालिक है. 

इसी बीच उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष सजेंद्र कठैत का कहना है कि इस सरकारी व्यवस्था से उत्तराखंड के आम लोग दुखी हैं, क्योंकि सरकारी नौकरियों को 15 से 25 लाख में नीलाम कर दिया गया. दिन-रात तैयारी करने वाले एक युवा को कुछ नहीं मिलता और जिनको भर्ती आयोग का फुलफॉर्म नहीं पता वे टॉप कर जा रहे हैं. इस काम में अधिकारियों से लेकर नेताओं तक सब शामिल हैं.

इसके बाद विधानसभा में भर्ती में हुए घोटाले की बात सामने आई. ये एक दूसरा मामला है. अजित सिंह बताते हैं कि पिछले 20 साल से जब से उत्तराखंड बना है तब से विधानसभा अध्यक्ष को ये अधिकार मिला है कि सदन के रखरखाव के लिए वो स्टाफ नियुक्त करें. वो कहते हैं कि इस अधिकार का गलत इस्तेमाल हुआ है. 

"यहां भर्ती के लिए कोई एंट्रेंस नहीं हुआ, लोगों ने सिर्फ एक सादे कागज पर नौकरी के लिए आवेदन किया और उनको नौकरी मिल गई. यहां पर कांग्रेस, भाजपा और आरएसएस के नेताओं से जुड़े लोगों को नौकरियां दी गईं."

वहीं वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट ने बताया कि विधानसभा में भर्ती करने के भी नियम हैं. लेकिन उन नियमों का पालन नहीं हुआ. पिछले दो विधानसभा अध्यक्षों ने जो एक भाजपा और एक कांग्रेस से थे. अब इन लोगों का कहना है कि उन्होंने ऐसा अपने विशेषाधिकार के तहत किया है. भट्ट कहते हैं कि 2011 तक भर्ती यूपी के नियमों के तहत होती थी, इसके बाद से उत्तराखंड ने अपने खुद के नियम बना लिए. 

इस मामले की जांच के बारे में बताते हुए हिमांशु ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने तीन पूर्व आईएएस अधिकारियों की एक कमेटी बनाकर जांच के आदेश दिए हैं. ऋतु खंडूरी का कहना है कि वे इस मामले में सर्जिकल अप्रोच के साथ काम करेंगी और जो भी विधानसभा में गलत तरीके से भर्ती हुआ है, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. 

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