मेरी साइंस स्ट्रीम रही है इसलिए इकोनॉमिक्स में हाथ बहुत तंग है. लेकिन फिर भी थोड़ा बहुत जो पता है उसके अनुसार अगर कार ज़्यादा बिकेंगी तो पेट्रोल भी ज़्यादा बिकेगा. पेंसिल ज़्यादा बिकेगी तो शार्पनर भी ज़्यादा बिकेंगे. सामानों के ये जोड़े कॉम्प्लेमेंट्री गुड्स कहलाते हैं.
शशि थरूर और ऑक्सफ़ोर्ड की सीक्रेट डील के बारे में हम बताएंगे, आसान भाषा में
चेतावनी: ये पोस्ट तभी पढ़ें जब आपको हिप्पोपोटोमोंसट्रोसेसक्वीपेडालियोफोबिया न हो!

क्या आपको पता है कि कॉम्प्लेमेंट्री गुड्स के उदाहरणों में एक और उदाहरण जुड़ा है. वो है - शशि थरूर की किताब और डिक्शनरी का. मने अगर शशि थरूर की किताब बिकेगी तो डिक्शनरियां भी खूब बिकेंगी. या अगर मार्केट में इंग्लिश टू हिंदी डिक्शनरी की बिक्री बढ़ी है तो ये सवाल पूछा जा सकता है कि क्या शशि थरूर की कोई नई बुक आई है?
यूं कोई बड़ी बात नहीं कि ऑक्सफ़ोर्ड जैसी डिक्शनरी छापने वाली कंपनियों ने शशि थरूर के साथ कोई सीक्रेट डील की हो. ऐसा क्यूं? ऐसा इसलिए क्यूंकि जब वो ट्विटर में, 280 (पहले 140) शब्दों के भीतर ही 'ये बड़े-बड़े' और डरावने अंग्रेजी के शब्द ठेल देते हैं तो उनकी किताब? - जब रात है इतनी मतवाली तो सुबह का आलम क्या होगा?
उस किताब को डिक्शनरी के बिना पढ़ना ऐसा ही है जैसे बिना हेलमेट के बाइक चलाना, जैसे बिना सीट बेल्ट के कार चलाना, जैसे नोटबंदी के बाद भी 500 के नोट चलाना.

सॉरी कैरिड अवे हो गया था, 500 ने नोट वाली एनॉलोजी को आप फ्लोक्सिनॉसिनिलीपिलीफिकेट कर सकते हैं. फ्लोक्सिनॉसिनिलीपिलीफिकेट मने किसी चीज़ को बकवास करार देना. फिर चाहे वो चीज़ सच में कैसी ही हो - बकवास या अच्छी या ओके-ओके.
और ये शब्द भी ज़रूर, थरूर के मुंह से ही सुना गया होगा. जी बिल्कुल. उन्होंने फ्लोक्सिनॉसिनिलीपिलीफिकेट के बदले फ्लोक्सिनॉसिनिलीपिलीफिकेशन का यूज़ किया था - Floccinaucinihilipilification. ट्वीट नीचे है ही. पढ़ लीजिए.. मतलब विरोधाभासी प्रधानमंत्री. उसके प्रमोशन के लिए उन्होंने इस शब्द का उपयोग किया है. लेकिन ऐसा नहीं है कि वो पहली बार मुश्किल अंग्रेजी शब्दों का उपयोग करते हुए पकड़े गए हों. उनके बारे में ये कहा जाता है कि वो अंग्रेज़ी के पाणिनी बनने की राह पर हैं. उनका एक बहुचर्चित ट्वीट ये रहा.
खैर, फ्लोक्सिनॉसिनिलीपिलीफिकेशन डिक्शनरी का सबसे लंबा नॉन-टेक्निकल शब्द है. इसको कैसे प्रोननशिएट कैसे करना है? ऐसे -
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# अंततः - कभी-कभी हमें कोफ़्त होती है कि ट्विटर के 'वर्ड रिसट्रिकशन' के चलते हम अपनी बात पूरी नहीं कह पाए. लेकिन शशि चाचा की दिक्कत सोचिए. कभी-कभी तो उन्हें ये कोफ़्त होती होगी कि वो अपना एक शब्द पूरा नहीं लिख पाए.
# नोट - आप लोगों को पता चल ही गया होगा ऊपर 'शब्दों' की जानकारी के अलावा बाकी सब बकवास था ह्यूमर क्रियेट करने के लिए था. जिसका सत्य से उतना ही लेना देना था जितना शशि थरूर का 'भाई तुम साइन करते हो या नहीं' वाले डायलॉग से. अब अगर डायलॉग वाला रेफरेंस समझ में आया हो तो बजाओ ताली वरना इसका फ्लोक्सिनॉसिनिलीपिलीफिकेशन कर दो.
वीडियो देखें -
केजरीवाल और बीएस बस्सी की वो लड़ाई जो सबको याद रहेगी