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सरकार ने बगदादी जैसों को खोज निकालने वाले कुत्तों की फौज खड़ी करने की तैयारी कर ली है

सरकार सुरक्षाबलों के कुत्तों के लिए नया टेस्ट लाई है.

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भारत में भी सुरक्षाबलों के कुत्तों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए नए टेस्ट को शामिल किया गया है.
2019 में ISIS के आतंकी अबु बक्र अल-बगदादी को अमेरिकी सेना बहुत शिद्दत से खोज रही थी. उसकी खोज अक्टूबर महीने में खत्म हुई और तत्कालीन अमेरिकी प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप ने बगदादी के मारे जाने की खबर सुनाई. इस खबर के बाद अपने ट्विटर हैंडल पर ट्रंप ने एक कुत्ते की तस्वीर भी पोस्ट की. बेल्जियन मेलिनॉइस नस्ल के इस कुत्ते ने बगदादी का पीछा उस सुरंग के भीतर तक किया जहां वह घुसा था. कुत्ता घायल हो गया लेकिन उसने बगदादी का पीछा नहीं छोड़ा. अब भारत के पास भी ऐसे ही जांबाज कुत्ते तैयार करने की कोशिश है.
भारत की सुरक्षा एजेंसियां अपने डॉग स्क्वॉड को और बेहतर बनाना चाहती हैं. इसे ध्यान में रख कर भारत की होम मिनिस्ट्री ने सुरक्षाबलों के कुत्तों के लिए भी एक खास टेस्ट डिजाइन किया है. इस टेस्ट को पास करने के बाद ही उन कुत्तों को अगली स्टेज पर प्रमोशन दिया जाएगा. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर
के मुताबिक, सुरक्षाबलों के कुत्तों की परफॉर्मेंस इंटरनेशनल लेवल की रहे इसलिए यह टेस्ट शुरू किया गया है. आइए जानते हैं भारत में सुरक्षाबलों के कुत्तों और इनकी ट्रेनिंग के प्रोसेस के बारे में, ये भी जानते हैं कि ये नया टेस्ट क्या है? कुत्तों की फोर्स में जरूरत क्या है? इस सवाल का जवाब अधिकतर लोग जानते हैं. कुत्ते के सूंघने की क्षमता की वजह से इसे पुलिस या आर्मी में शामिल किया जाता है. हालांकि सिर्फ यही कारण नहीं है कुत्तों को इंसान के साथ फोर्स में लगाने का. कुत्तों की कुछ खास आदतें भी उन्हें इस काम में काफी माहिर बनाती हैं. मिसाल के तौर पर कमांड मानने की क्षमता, फोकस कर सकने की क्षमता आदि. कुत्ते की कुछ नस्लें इस मामले में बाकी नस्लों से आगे होती हैं. इसलिए वही इस काम में लगे ज्यादा नजर आते हैं. मसलन जर्मन शेफर्ड और लेब्राडोर अपनी बेहतरीन परफॉर्मेस और फोकस के लिए जाने जाते हैं.
अब भारत ने बेल्जियम से मेलिनॉइस नस्ल के कुछ कुत्ते भी इंपोर्ट किए हैं. इन कुत्तों को इनके स्टैमिना के लिए जाना जाता है. काफी लंबी दूरी तक पैदल चल लेते हैं. भारतीय नस्लों में बहुत कम कुत्ते हैं जो इस काम में लगाए जाते हैं. जानकार कहते हैं कि भारतीय नस्ल के कुत्ते बहुत जल्दी डिस्ट्रैक्ट हो जाते हैं मतलब अपनी एकाग्रता खो देते हैं. ऐसे में किसी भी खास गंध को फॉलो करने या दूर तक पेट्रोलिंग के लिए उन्हें उपयुक्त नहीं माना जाता है.
Dog Training
कुत्तों की सूंघने की खास क्षमता की वजह से उन्हें फोर्स का हिस्सा बनाया जाता है.
कुत्तों का सेलेक्शन कैसे होता है? किसी भी तरह की फोर्स में कुत्तों की भर्ती में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उनका सेलेक्शन है. एक सही नस्ल के बाद उस नस्ल में से सही कुत्ते का सेलेक्शन एक माहिर और अनुभवी इंस्ट्रक्टर ही कर पाता है. मूल रूप से इन बातों का ध्यान रखा जाता है.
# भर्ती के समय कुत्ते उम्र 4-6 महीने की हो.
# जिस कुत्ते की भर्ती होनी है, उसे जन्म देने वाले कुत्ते का इतिहास पता किया जाता है. इसे उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उस सेंटर की होती है जो कुत्ते उपलब्ध कराता है. इसे बाकायदा रेकॉर्ड में रखा जाता है.
# कुत्ते के वैक्सीनेशन की हिस्ट्री चेक की जाती है.
# सधा हुआ शरीर और मुफीद वजन चेक किया जाता है. किसी भी तरह की शारीरक कमी, जैसे पैरों का टेढ़ा होना आदि, की स्थिति में नहीं चयन नहीं होता.
# कुत्ते के आंख और कान एक दम साफ होने चाहिए. आंख के साफ होने से मतलब एक दम क्लियर आंख और कान में मैल आदि न हो.
# कुत्ते की स्किन कहीं से छिली कटी न हो.
# अगर फीमेल डॉग है तो रिक्रूटमेंट के 6-12 महीने के भीतर उसके यूट्रस या गर्भाशय को रिमूव करा दिया जाता है. इसके बाद ही उन्हें फील्ड पर भेजा जाता है.
# कुत्तों को ट्रेनिंग के लिए सेलेक्ट करने के बाद उनके शरीर में चावल के दाने से कुछ बड़ी माइक्रोचिप डाली जाती है. इससे ही इनकी पहचान निर्धारित होती है.
Dog Selection
कुत्तो के सेलेक्शन के वक्त उनकी खास नस्लों का ध्यान रखा जाता है.
अब आती है ट्रेनिंग की बारी वैसे तो हर राज्य की पुलिस अपने हिसाब से कुत्तों को ट्रेनिंग देती है, लेकिन देश में दो ऐसे बड़े डॉग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स हैं जो विश्व स्तर की ट्रेनिंग देने का काम करते हैं. एक है मध्य प्रदेश के टेकनपुर स्थित बीएसएफ का नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर डॉग्स. दूसरा है सीआरपीएफ का डॉग ब्रीडिंग एंड ट्रनिंग स्कूल. यह कर्नाटक में बेंगलुरू रूरल के तारालु इलाके में है. इन स्कूलों में कुत्तों के साथ ही उनके हैंडलर को भी ट्रेनिंग दी जाती है. डॉग ट्रनिंग से जुड़े अवनीश बख्शी के अनुसार, कुत्ता और उसका हैंडलर एक टीम की तरह काम करते हैं. जितना अच्छा बॉन्ड कुत्ते और उसके हैंडलर के बीच होगा, उतनी ही अच्छी कुत्ते की परफॉर्मेंस होगी. डॉग ट्रेंनिग सेंटर तारालु के वाइस प्रिंसिपल पी मनोज कुमार का कहना है,
'जहां तक ट्रनिंग की बात है तो ज्यादा फोकस पहचान खोजने, हमला करने और ट्रैक करने पर रहता है. इसके अलावा एक दूसरा मॉड्यूल भी है जिसमें पहचानना, पेट्रोलिंग करना और हमला करने की ट्रेनिंग दी जाती है. हम अपने कुत्तों को मल्टीटास्कर बनाते हैं. हम उन्हें इस तरह से ट्रेंड करते हैं कि वो जेल के भीतर मोबाइल और नशीला पदार्थ दोनों ही सूंघ कर पता लगा सकते हैं.'
पी मनोज कुमार ने आगे बताया,
'हम कुत्तों को सकारात्मक ट्रेनिंग देने के तरीके अपनाते हैं. दुनिया के कई डॉग स्कूलों में कोई टास्क न कर पाने पर कुत्तों को सजा दी जाती है. खाना बंद करके ट्रेनिंग दी जाती है. यहां हम ऐसा नहीं करते. हम कुत्तों की अपनी प्रतिभा को उभारने पर जोर देते हैं. हम उन्हें ट्रेनिंग के दौरान अच्छा करने पर पुरस्कार देते हैं. पुरस्कार एक ऐसी चीज है जिसके बदले हर कुत्ता सीखने को तैयार रहता है.'
ट्रेनिंग कुछ इस तरह से होती है. # हैंडलर और कुत्ते की ट्रेनिंग एक साथ ही शुरू होती है.
# कुत्ते के रोल के हिसाब से ट्रेनिंग का वक्त लंबा या छोटा होता है. बम, नशीली दवाइयां आदि सूंघने और मुश्किल मिशन के लिए तैयार किए जाने वाले कुत्ते और हैंडलर का कोर्स लंबा होता है.
# कुत्ते और हैंडलर दोनों ही ट्रनिंग के बीच में कोई छुट्टी नहीं ले सकते. सिर्फ 5-7 दिनों का मिड टर्म ब्रेक दिया जाता है.
# ट्रेनिंग के दौरान कुत्तों को बाधा पार करने और कमांड को फॉलो करने के अलावा चिह्नित सामान को सही तरह से पहचानने की ट्रनिंग दी जाती है.
# एक सेशन जंगल ट्रेनिंग का होता है. इसमें हैंडलर और कुत्ता दोनों ही जंगल में एक टेंट में साथ ही रहते हैं. कुत्ता और हैंडलर एक जैसा ही खाना खाते हैं. इस तरह से कुत्ते का अपने हैंडलर पर भरोसा बनता है.
# ट्रेनिंग के बाद हैंडलर का लिखित और प्रैक्टिकल एग्जाम होता है. साथ ही कुत्ते की ट्रेनिंग का भी टेस्ट होता है. संतोषजनक रिजल्ट न मिल पाने की स्थिति में इनकी ट्रेनिंग को 12 हफ्तों के लिए बढ़ाया भी जा सकता है.
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ट्रेनिंग में कुत्ते के साथ उसका हैंडलर भी ट्रेनिंग लेता है. यह एक तरह ही टीम ट्रेनिंग होती है.
क्या है K9 PET टेस्ट? सुरक्षाबलों के साथ कुत्ते भी अपनी काबिलियत और अनुभव के हिसाब से पोजीशन में आगे बढ़ते हैं. जिस कुत्ते में जितनी ज्यादा काबिलियत उसकी उतनी अच्छी रैंकिंग. हालांकि दुनियाभर में काबिलियत के रेकॉर्ड के अलावा कुत्तों को एक खास टेस्ट से भी गुजरना होता है. इस टेस्ट को K9 Proficiency Evaluation Test कहते हैं. शॉर्ट में इसे K9 PET कहा जाता है. यहां पर K9 का मतलब है कुत्ता. यह शब्द लैटिन शब्द Canine से बना है, जिसका मतलब कुत्ता होता है. Canine को K9 लिखना जैसे You Too को U2 लिख दिया जाए.
ये तो हुई नाम की बात. अब करते हैं इस खास टेस्ट की बात. यह एक तरह से मूल ट्रेनिंग का एडवांस वर्जन है. इसमें तरह-तरह की कठिन परिस्थितियां पैदा करके कुत्ते और हैंडलर को परखा जाता है. हमने इस एडवांस ट्रेनिंग के बारे में सरकारी विभाग से जुड़े एक ट्रेनर से जाना. नाम न छापने की शर्त पर उसने हमें ये बातें बताईं,
# विस्फोटक की कम या ज्यादा मात्रा को अलग-अलग जगहों पर छुपाया जाता है और उन्हें खोजने को कहा जाता है. जितनी बार कुत्ता उसे खोज लेता है, उस हिसाब से नंबर दिए जाते हैं. जितनी बार नहीं खोज पाता उसके नंबर कट जाते हैं.
# अलग-अलग विस्फोटक को पहचानने की क्षमता चेक की जाती है. जैसे सीफोर, टीएनटी, स्लरी आदि.
# इसके अलावा अलग-अलग माहौल में टेस्ट लिया जाता है. जैसे कई बार सामान इंडोर खोजने को कहा जाता है. इसके बाद उसे हवाई जहाज और खुले में रखा जाता है. कुत्ते के रेस्पॉन्स टाइम को काउंट किया जाता है. इससे उसकी रैंकिंग तैयार होती है.
# कुत्ते को हैंडलर से दूर रख कर उसकी चीजों को ट्रैक करने की क्षमता को परखा जाता है. देखा जाता है कि क्या कुत्ता अपने हैंडलर से किसी भी तरह के इशारे के बिना भी काम कर सकता है या नहीं.
#अलग-अलग माहौल जैसे चलती बस में सर्च, ट्रेन में सर्च और कार के अंदर नशीला पदार्थ और विस्फोटक सर्च करने को कहा जाता है. किसको पास-फेल माना जाता है? हर बार के टास्क में कम से कम 10 विस्फोटक सैंपल खोजने का टास्क दिया जाता है. अगर एक बार भी कुत्ता खोजने में सफल नहीं होता तो उसे फेल मान लिया जाएगा. इसी तरह से अगर किसी टास्क में कुत्ते ने किसी भी तरह के विस्फोटक न होने की 2 बार गलत जानकारी दी तो उसे फेल माना जाएगा. यहां पर गलत जानकारी देने का मतलब है कि विस्फोटक न होने के बावजूद भी विस्फोटक का इशारा करना. ऐसी स्थिति में हैंडलर फिर से टेस्ट के लिए एप्लिकेशन दे सकता है. उसे 30 दिन बाद फिर मौका दिया जाता है. इस बीच कमी आदि पर मास्टर ट्रेनर से राय-मशविरा लेकर सुधार कर सकता है.