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विधायक या सांसद अगर जींस-टीशर्ट पहनकर लोकसभा में चले जाएं, तो क्या होगा?

गुजरात के विधायक विमल चूड़ासमा के साथ गड़बड़ हो गई थी.

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जींस टीशर्म में बीजेपी के सांसद गौतम गंभीर, कांग्रेस विधायक विमल चूड़ासमा (बीच में) और बीजेडी सांसद अनुभव मोहंती. (तस्वीरें- पीटीआई-विमल चूड़ासमा)
गुजरात के गिर सोमनाथ विधानसभा क्षेत्र से विधायक विमल चूड़ासमा चर्चा में हैं. वे सोमवार 15 मार्च 2021 को जींस और टीशर्ट पहनकर विधानसभा पहुंचे थे. यह देख विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी ने विमल चूड़ासमा को बाहर निकाल दिया. विधायक का कहना है कि जनता ने उन्हें जींस और टीशर्ट में ही पसंद किया है और चुनकर विधानसभा भेजा है. विमल चूड़ासमा ने कहा है कि अगर विधानसभा में ऐसे कपड़े पहनकर आने में कोई रोक हो तो इससे जुड़े कानून के बारे में बताएं. चलिए हम आपको बताते हैं कि विधानसभा या संसद में कपड़ों को लेकर कोई नियम है या नहीं. क्या है पूरा मामला? गुजरात के विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी ने बजट सत्र की शुरुआत में ही सभी विधायकों से कहा था कि वे सदन में जींस और टीशर्ट जैसे कपड़े ना पहनें. उन्होंने सदस्यों से कहा था कि वे सदन की गरिमा के अनुरूप कपड़े पहनें. लेकिन 15 मार्च को कांग्रेस के विधायक विमल चूड़ासमा जींस और टीशर्ट पहनकर पहुंच गए. जब विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें बाहर जाने को कहा तो विधायक कानून पूछने लगे. निर्देश का पालन नहीं करने पर सार्जेंट ने विधायक को सदन से बाहर कर दिया. अब चूड़ासमा कह रहे हैं कि यदि ऐसा कुछ है तो इस पर कानून बना दिया जाना चाहिए. क्या ऐसा कोई नियम है? एक फिल्म आई थी. नाम था 'युवा'. अजय देवगन और विवेक ओबरॉय जैसे सितारे थे. फिल्म में दिखाया गया था कि जीत के बाद युवा विधानसभा में जींस पहन कर जाते हैं. लेकिन वो फिल्म थी. आपको कभी ऐसा याद पड़ता है कि नेता जींस, टीशर्ट में सदन में पहुंचे हों. या फिर कभी ट्रंप या ओबामा की तरह सूट-बूट में सदन में एंट्री ली हो. हम लोगों ने शायद हमेशा से ही अपने नेताओं को सफेद रंग के कुर्ता-पायजामा में देखा है. साथ में एक सदरी या जैकेट. अपनी इमेज के चलते नेता ड्रेसकोड को फॉलो करते हैं, लेकिन क्या लिखित में भी कोई नियम है? विमल चूड़ासमा कांग्रेस के विधायक हैं. तो यह सवाल हमने उनकी पार्टी के नेता शक्तिसिंह गोहिल से पहले किया. उन्होंने बताया,
"ऐसा कोई नियम नहीं है कि आप जींस नहीं पहनेंगे. जो गुजरात में हुआ है, गलत हुआ है, ऐसा नहीं होना चाहिए था. केवल यह है कि सिंबल नहीं होना चाहिए आपत्तिजनक और कोई स्लोगन लिखा नहीं होना चाहिए. कपड़े आप अपने ट्रेडिशन के हिसाब से पहन सकते हैं. गैलेरी में बैठने वाले ऑफिसर्स के लिए तो नियम हैं लेकिन मेंबर्स के लिए नहीं हैं. जो हम कहते हैं कि डेमोक्रेसी के मामले में हम पिछड़ रहे हैं. वो गलत थोड़े ही है."
हमने विधायक विमल चूड़ासमा से भी संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया,
"बिना कोई बात के हमें निकाला गया. हम जींस-टीशर्ट पहनते हैं. हमसे कहा गया कि इसे बदलकर आओ. प्लेन कपड़े पहनकर आओ. मैंने कहा कि ऐसा कोई कायदा है. नहीं है तो बनाइए कि ऐसे ही कपड़े (कुर्ता-पायजामा) पहनने हैं. मुझे कोई दिक्कत नहीं है. ये 21वीं सदी है. इसमें यंग लोग जींस-टीशर्ट नहीं पहनेंगे तो क्या पहनेंगे? लोग अपनी कास्ट का ड्रेस पहनकर आते हैं. आप उनको भी बोलेंगे? बीजेपी के कैबिनेट मिनिस्टर हैं जयेशभाई रादड़िया. वो भी 3-4 साल से जींस-टीशर्ट पहनकर आते हैं. बीजेपी एक विधायक तो उस दिन (जींस-टीशर्ट) पहनकर बैठे थे. उन्हें कुछ नहीं बोला गया. मुझे अचानक सबके सामने बोला. मैंने कहा कि आप मेरा अपमान कर रहे हैं."
विमल ने आगे कहा,
"हमें सर्टिफिकेट देने वाले लोग हैं. आप कौन होते हो? और अगर आपके पास कोई नियम है तो बताएं मुझे... जींस-टीशर्ट पहनने के लिए फिटनेस चाहिए. मैं रोज 1 किलोमीटर दौड़ता हूं. आपकी बीजेपी सरकार फिटनेस के लिए करोड़ों खर्च करती है. अब कोई विधायक फिट रहेगा तो पूरे देश के यूथ को एक मेसेज मिलेगा."
देश की संसद या विधानसभाओं में कोई ड्रेसकोड भी है, यह सवाल हमने अन्य जानकारों से भी किया. छत्तीगढ़ के पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेटरी देवेंद्र वर्मा बताते हैं,
"भारत में संसद या विधानसभा सदस्यों के लिए कोई ड्रेस कोड नहीं है. जब भारत आजाद हुआ था तो सांसद खादी पहनते थे. धोती कुर्ता या फिर कुर्ता पायजामा पहना करते थे. साथ में काफी लोग नेहरू जैकेट भी पहनते थे. लेकिन बाद में समय के साथ चीजें बदलने लगीं. ब्रिटेन में पहले जैसे टाई और जैकेट जरूरी था. जब डिबेट में हिस्सा लेते थे तो हैट भी पहनना पड़ता था. बाद में टाई का बंधन हटा दिया. एक बार तो वहां एक महिला सांसद हाउस ऑफ कॉमन्स में ऐसा ड्रेस पहन कर आईं कि कंधा ढका हुआ नहीं था. स्पीकर ने इस पर आपत्ति जताई थी. ऐसा समझिए कि हाउस की गरिमा बनी रहे ऐसा पहनावा होना चाहिए."
देवेंद्र वर्मा कहते हैं कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि ऐसा ही ड्रेस होना चाहिए. हाउस ऑफ कॉमन्स को लेकर तो काफी कुछ लिखा भी गया है कि कब कौन क्या पहन कर आ गया था. ये निर्भर करता है कि स्पीकर पर कि वह कैसे कपड़ों को गरिमा के अनुरूप मानते हैं. वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह ने लंबे वक्त संसद को कवर किया है. राज्यसभा टीवी में काम भी कर चुके हैं. वो कहते हैं,
"संसद सदस्यों के पहनावे को लेकर ऐसा कोई नियम या कानून तो नहीं है लेकिन कपड़े गरिमामय हों, ऐसा सामान्य तौर पर माना जाता है. जो सांसद हों या विधायक हों उनका शालीन पहनावा होना चाहिए. कोड ऑफ कंडक्ट नहीं है. ऑफिसर्स को लेकर तो नियम हैं, लेकिन सदस्यों को लेकर कोई नियम नहीं है. किसी विधानसभा में भी ऐसा नहीं हैं. लेकिन समझिए कि हिमाचल विधानसभा में सदस्य हिमाचली टोपी पहन कर आते हैं. लंबे वक्त से ऐसी परिपाटी चली आ रही है कि ये टोपी तो पहननी ही चाहिए. राजनारायण जी तो कई बार कपड़े उतार देते थे, मार्शल उन्हें उठा कर ले जाते थे."
हमारी पड़ताल में ऐसा कोई जानकारी नहीं मिली जो बताती हो कि भारत में सांसदों या विधायकों के ड्रेसकोड को लेकर कोई नियम है, जिसका उन्हें पालन करना होता है. या फिर किसी खास तरह के कपड़े पहन कर ही सदन में पहुंचें. हां, ये जरूर है कि कपड़े शालीन हों और सदन की गरिमा के अनुरूप हों.

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