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इस आइकॉनिक तस्वीर को तो आपने बहुत बार देखा होगा, इसका इतिहास आज जानिए

दूसरे विश्व युद्ध को खूबसूरत अंत देने वाली इस तस्वीर में मौजूद शख्स आज दुनिया छोड़कर चला गया.

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टाइम्स स्क्वायर पर एक नौसैनिक और एक नर्स के चुम्मन को दूसरे विश्व युद्ध के अंत की अधिकारिक घोषणा मां लिया गया.

1939 के सितंबर की पहली तारीख. सुबह 4 बजकर 48 मिनट का समय था. पोलैंड के गदान्स्क शहर के किनारे बाल्टिक सागर में खड़े जर्मन जंगी बेड़े श्लेसफिश होस्टंग ने बिना किसी चेतावनी के गदान्स्क के दंजिग बंदरगाह पर फायरिंग शुरू कर दी. 1933 में हिटलर के जर्मनी में उभार से जो पूरे यूरोप को डर सता रहा था वो अब असल बन चुका था. यह दूसरी आलमी जंग (विश्वयुद्ध) की शुरुआत थी जिसने देखते ही देखते पूरी दुनिया को अपनी ज़द में ले लिया. छह साल चले युद्ध में साढ़े सात से साढ़े आठ करोड़ सैनिक और नागरिक मारे गए थे. यह उस समय की दुनिया की कुल आबादी का तकरीबन तीन फीसदी था.

14 अगस्त 1945. विश्वयुद्ध समाप्त. अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर का टाइम्स स्क्वायर. जापानियों के आत्मसमर्पण की घोषणा के बाद लोग जश्न मना रहे थे. उस समय अमेरिका में लाइफ मैग्जीन की बहुत धमक हुआ करती थी. फोटोग्राफी की दुनिया में मिथक में बदल चुके अल्फ्रेड आजनस्टेड टाइम्स चौक पर दूसरे विश्वयुद्ध के खत्म होने का जश्न कवर रहे थे. लैंस के पीछे से उनकी नजर एक नौजवान के जोड़े पर पड़ी. लड़का नौसैनिक की वर्दी पहने हुए था और उसकी साथी नर्स की पोशाक में थीं. भीड़ से भरी उस सड़क पर दोनों एक-दूसरे को बेसुध चूम रहे थे. अधिकारिक घोषणाओं और प्रेस वार्ताओं से दूर नौजवान जोड़े के इस चुंबन को दूसरे विश्वयुद्ध के खात्मे की अधिकारिक घोषणा मान लिया गया.

अल्फ्रेड इजनस्टेड ने बाद में अपनी आत्मकथा 'आजनस्टेड ऑन आजनस्टेड' में इस फोटोग्राफ को लेने का किस्सा बताते हुए लिखा-


"मैं उस नाविका के आगे-आगे दौड़ रहा था और मेरे लइका कैमरे के लेंस के जरिए पीछे की तरफ देख रहा था और फोटो उतार रहा था. लेकिन इसमें एक भी फोटो मेरे मन लायक नहीं थी. तभी अचानक मैंने देखा कोई सफ़ेद चीज जकड़ी जा चुकी है. मैं पीछे घूमा और नौसैनिक और नर्स के चुंबन को कैमरे में कैद कर लिया. अगर उस नर्स ने कोई गहरे रंग की ड्रेस पहन रखी होती तो शायद मैं यह फोटो नहीं लेता."

उस समय इजनस्टेड इस जोड़े का नाम पूछना भूल गए. 1980 के दशक तक यह फोटो दूसरे विश्वयुद्ध के अंत का प्रतीक बन चुकी थी. तब जाकर नए सिरे से इस जोड़े की खोज शुरू हुई. दर्जनों मर्द यह दावा करते हुए मैग्जीन के दफ्तर पहुंचे कि यह फोटो उनकी है. इसमें से 11 लोगों का दावा सच के काफी करीब माना गया. इसमें से पुर्तगाली मूल के जॉर्ज मेंडोसा का दावा सबसे मजबूत पाया गया.


लाइफ मैग्जीन के पास दर्जनों लोगों ने दावा किया कि फेमस किसिंग फोटो उनकी है. इसमें मेंडोसा का दावा सबसे मजबूत माना गया.
लाइफ मैग्जीन के पास दर्जनों लोगों ने दावा किया कि फेमस किसिंग फोटो उनकी है. इसमें मेंडोसा का दावा सबसे मजबूत माना गया.

इधर सैलर को चूम रही महिला को बाद में ग्रेटा फ्राइडमैन के तौर पर पहचाना गया. अखबारों को दिए गए साक्षात्कार में ग्रेटा ने बताया कि वो एक नौसैनिक के लिए युद्ध खत्म होने की ख़ुशी समझ सकती थीं. टाइम्स चौक पर लिए गए उस चुंबन में ना तो कुछ रोमांटिक था और ना ही यह किसी हरासमेंट की तरह था. यह महज ख़ुशी का इजहार था. 1980 में टाइम्स स्क्वायर कपल की खोज के दौरान दोनों लोग तीन दशक के लंबे अंतराल के बाद फिर से मिले. मेंडोसा की बेटी शेरोन बताती हैं कि बाद के दौर में दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे.

8 सितंबर 2016 को 92 साल की उम्र में ग्रेटा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. इसके ढाई साल बाद 19 फरवरी 2019 को जॉर्ज मेंडोसा भी इस दुनिया से रुखसत हो गए हैं. उनकी उम्र 95 साल थी और वो एब्सेंस सीज़र से पीड़ित थे. लेकिन यह दोनों लोग आने वाली कई पीढ़ियों के जेहन में रहेंगे. जब भी दुनिया युद्ध के उन्माद में घिरी होगी, जॉर्ज और ग्रेटा के किस को युद्ध के खिलाफ ठोस तर्क की तरह पेश किया जाएगा. हम सब जॉर्ज और ग्रेटा के शुक्रगुजार हैं जिन्होंने खून, लोथड़ो और मलबे में दबे आधे दशक के युद्ध को एक खूबसूरत और रूमानी मोड़ पर खत्म किया.



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