अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैन्सी पेलोसी का ताइवान दौरा 3 अगस्त को ही खत्म हो गया. इसके बाद भी चीन लगातार ताइवान पर हमलावर है. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि चीनी सेना ने 4 अगस्त को उसकी तरफ कई बैलिस्टिक मिसाइल दागे हैं. ताइवान ने कहा कि वह इस तरह की अतार्किक कार्रवाई का विरोध करता है जो क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है. चीन ताइवान के आसपास के क्षेत्रों में अपने एयरक्राफ्ट भी भेज रहा है. अब चीन के पास चौचक-चौचक हथियार भी हैं. उनकी चर्चा हो रही है, तो हमसे सुन लीजिए कि क्या-क्या हैं चाइनीज आर्सेनल में?
चीन के पास एक से बढ़कर एक हथियार, कहां टिकते हैं इंडिया और अमरीका? जान लीजिए
चीन के पास DF-41 जैसी इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है. एक्सपर्ट की मानें तो ये मिसाइल दुनिया के किसी भी हिस्से को टारगेट कर सकती है.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के पास परमाणु हथियारों की संख्या 350 है. ये संख्या वायुसेना, थलसेना, नौसेना तीनों के पास शामिल हथियारों की है. पिछले साल नवंबर में अमेरिकी रक्षा विभाग ने अनुमान लगाया था कि इस दशक के अंत तक चीन के पास परमाणु हथियारों की संख्या चार गुनी हो जाएगी. उसके मुताबिक 2030 तक चीन के पास 1000 परमाणु हथियार हो सकते हैं. हालांकि चीन की सरकारी मीडिया ने इसे एकतरफा और बेफिजूल की अटकलबाजी कहा था. उसका कहना था कि चीन परमाणु हथियारों को 'कम से कम स्तर' पर रखेगा.
अमेरिका चीन के परमाणु हथियार बढ़ाने की बात भले करता हो लेकिन खुद उसके पास चीन के मुकाबले कहीं ज्यादा ऐसे हथियार हैं. अमेरिका और रूस परमाणु हथियारों के मामले में दुनिया के सभी देशों की तुलना में कहीं ज्यादा आगे हैं. अमेरिका के पास परमाणु हथियारों की संख्या 3708 है, वहीं रूस के पास 4477 है. इसी बहाने एक नजर भारत पर भी डाल देते हैं. हमारे देश के पास परमाणु हथियारों की संख्या 160 है.
ग्लोबल फायरपावर की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के पास एयरक्राफ्ट की संख्या 3285 है. इनमें से 1200 के करीब लड़ाकू विमान है. इन लड़ाकू विमानों में चेंगडू J-10 और J-20 एयरक्राफ्ट भी शामिल हैं. J-10 एयरक्राफ्ट की अधिकतम स्पीड 2284 किलोमीटर प्रति घंटा है. वहीं J-20 एयरक्राफ्ट को चीन का सबसे आधुनिक फाइटर जेट माना जाता है. लड़ाकू विमान रडार से बचने में सक्षम है. इन विमानों को चीन ने ही विकसित किया है.

इसके अलावा चीन के पास 371 बॉम्बिंग एयरक्राफ्ट भी हैं. वहीं चीनी वायुसेना के पास हेलीकॉप्टर की संख्या करीब 912 है. इनमें लड़ाकू हेलीकॉप्टर की संख्या 281 है. चीनी वायुसेना के बेड़े में रूस की बनाई गई सुखोई विमानों के अलग-अलग वेरिएंट भी हैं.
बड़ी रेंज की कई मिसाइलेंअमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट बताती है कि चीन के पास अलग-अलग रेंज की 2350 मिसाइल हैं. इनमें इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) की संख्या 150 है. इन मिसाइलों की रेंज 5500 किलोमीटर से भी ज्यादा है. वहीं शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों (SRBM) की बात करें चीन के पास ऐसी 1000 मिसाइलें हैं. चीन के पास DF-41 जैसी इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है. एक्सपर्ट की मानें तो ये मिसाइल दुनिया के किसी भी हिस्से को टारगेट कर सकती है. चीन ने 2019 में नेशनल आर्मी डे परेड के दौरान इसे सामने रखा था.
चीन लगातार परमाणु क्षमता से लैस मिसाइलों का भी परीक्षण करता रहा है. अमेरिकी सांसद नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से ठीक पहले चीन ने एक हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था. यह परीक्षण 31 जुलाई को किया गया था. हालांकि चीन ने इस मिसाइल की खासियत के बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की थी.
समुद्री ताकतचीनी सरकार दावा करती है कि उसकी नौसेना दुनिया में सबसे बड़ी है. सबमरीन के मामले में चीन दुनिया का नंबर-1 देश है. चीन के पास 79 सबमरीन हैं. इसके अलावा अलग-अलग तरह के जंगी जहाजों की संख्या 150 से ज्यादा है. चीन ने जून में सबसे एडवांस युद्धपोत 'फ्यूजियन' को लॉन्च किया था, जो कि टाइप-003 एयरक्राफ्ट कैरियर है. इसे चीनी इंजीनियर्स ने ही बनाया है. ये युद्धपोत भारी एयरक्राफ्ट को ले जाने में भी सक्षम है.
चीन जहाजों और युद्धपोतों की संख्या में जरूर आगे है, लेकिन परमाणु क्षमता से लैस युद्धपोतों और सबमरीन के मामले में अमेरिका उससे आगे है. चीन समुद्री खतरों का सामना करने के लिए लगातार अपनी नौसेना का विस्तार कर रहा है. यूएस नेवी का अनुमान है कि 2020 और 2040 के बीच चीनी नौसेना में जहाजों की संख्या करीब 40 फीसदी तक बढ़ेगी.
मिलिट्री वर्कफोर्सग्लोबल फायरपावर की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में कुल अनुमानित सैनिकों की संख्या 30 लाख है. इनमें 5 लाख से अधिक रिजर्व सैनिक हैं. वहीं अर्द्धसैनिक बलों में 6 लाख 24 हजार जवान हैं. इस तरह अगर देखें तो चीन की सेना में 20 लाख एक्टिव सैनिक हैं. एक्टिव सैनिकों के मामले में चीन दुनिया में पहले नंबर पर है. हालांकि अगर ताइवान के रिजर्व सैनिकों की संख्या को देखेंगे तो यह चीन से कहीं ज्यादा 15 लाख के करीब है. पारंपरिक रूप से चीन की सबसे बड़ी ताकत उसका ग्राउंड फोर्स रहा है. चीन के सैनिकों को सपोर्ट करने के लिए उसके पास 6 हजार से ज्यादा टैंक हैं.

SIPRI 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन सेना पर खर्च के मामले में दूसरे नंबर पर है. पिछले 10 सालों में यह करीब दोगुनी हुई है. साल 2021 में चीन का रक्षा बजट 270 बिलियन डॉलर था. वहीं साल 2010 में चीन ने सेना पर 133 बिलियन डॉलर खर्च किया था. इस मामले में अमेरिका दूसरे देशों से कहीं ज्यादा आगे है. पिछले साल अमेरिका ने अपनी सेना पर 768 करोड़ बिलियन डॉलर खर्च किया था.
दुनिया में कोई भी युद्ध आज परंपरागत तरीके से नहीं लड़े जाएंगे. तकनीकी स्तर पर हथियार से लेकर सैन्य सामान काफी आधुनिक हो सके हैं. सभी देश अपनी सेनाओं में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और साइबर क्षमता को बढ़ा रही है. कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन सेना में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लगातार मजबूत कर रहा है. कई देश चीन पर साइबर हमले का आरोप लगाते रहे हैं. इसलिए सिर्फ हथियारों को गिनना और उससे किसी देश की सैन्य क्षमता को आंकना आज के दौर में शायद सही नहीं हो सकता है.
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