प्रधानमंत्री की कुर्सी जाने के बाद ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने नौकरी जॉइन कर ली है. अब वह गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक (Goldman Sachs) में वरिष्ठ सलाहकार के तौर पर काम करेंगे. पिछले साल जब ब्रिटेन में चुनाव हुए थे तो उनकी पार्टी बहुत बुरा हारी. समय से पहले हुए चुनावों वाला दांव उनकी कंजर्वेटिव पार्टी के काम नहीं आया और जनता ने लेबर पार्टी का साथ दिया.
प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद नौकरी, ऋषि सुनक इस 'क्लब' में अकेले नहीं हैं
Rishi Sunak ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ने के बाद नौकरी जॉइन की है. वह गोल्डमैन सैक्स कंपनी में सलाहकार के तौर पर काम करेंगे. हालांकि, वो इस क्लब में अकेले नहीं हैं. कई प्रधानमंत्रियों ने राजनीति छोड़ने के बाद नौकरी की है.

अब बात मौजूदा रोल की करें तो गोल्डमैन कंपनी में सुनक को सलाहकार बनाया है. वह मैक्रोइकॉनमिक और जियो पॉलिटिकल सीनैरियो पर कंपनी को सलाह देंगे. सुनक पहले भी इस कंपनी के साथ काम कर चुके हैं.
ऋषि सुनक के नौकरी जॉइन करने की चर्चा इसलिए भी है कि ‘हमारे कान ऐसी खबरों के आदी नहीं हैं.’ कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री रहा हो तो उसे अब नौकरी करने की क्या जरूरत है लेकिन सुनक दुनिया में ऐसा करने वाले पहले नेता नहीं हैं. कनाडा, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन में ही कई मंत्री-प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद फिर नौकरी करने लौटे हैं.
आज ऐसे कुछ नेताओं के बारे में जानते हैं
हेरोल्ड विल्सन तो 1964 से 1970 तक और फिर 1974 से 1976 तक लेबर पार्टी से ब्रिटिश प्रधानमंत्री रहे थे. 4 चुनाव जीतने वाले विल्सन ने जब राजनीति से संन्यास लिया तो टीवी पर आने लगे. बीबीसी-2 के कार्यक्रम ‘फ्राइडे नाइट, सैटरडे मॉर्निंग’ के चैट शो में. ये दुनिया का अकेला ऐसा टीवी कार्यक्रम बन गया था, जिसे पूर्व पीएम होस्ट करते थे. विल्सन का ये प्रोग्राम अक्टूबर 1979 में टेलीकास्ट हुआ था. यानी उनके इस्तीफा देने के तीन साल बाद.
जॉर्ज ऑस्बोर्न ब्रिटेन के ही एक बड़े नेता हैं. वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नहीं थे लेकिन डेविड कैमरन की सरकार में कर जैसे वित्तीय मामलों के प्रभारी मंत्री के तौर पर काम करते थे. कैमरन जब पद से हटे और थेरेसा मे ब्रिटेन की पीएम बनीं तो ऑस्बोर्न को पद से हटा दिया गया. उनकी सांसदी फिर भी रही लेकिन मार्च 2017 में एलान हुआ कि वह नई नौकरी जॉइन कर रहे हैं. ये नौकरी थी- लंदन इवनिंग स्टैंडर्ड अखबार के संपादक की. ये नौकरी पाने के बाद ऑस्बोर्न बहुत खुश हुए और बोले कि वो अपने जवानी के दिनों से पत्रकार बनना चाहते थे. अब जाकर उनका सपना पूरा हुआ है, जिससे वो बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं.

कनाडा में एक प्रधानमंत्री हुए- स्टीफन हार्पर. वह अब अल्बर्टा इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट कॉरपोरेशन (AIMCo) के बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर काम करते हैं. अल्बर्टा कनाडा में एक राज्य है और इस संस्था का मालिकाना हक अल्बर्टा सरकार के पास है. इसकी स्थापना कई पब्लिक फंड्स और पेंशन के मैनेजमेंट के लिए की गई थी. कनाडा के 22वें प्रधानमंत्री हार्पर को तीन साल के लिए बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.

इस लिस्ट में न्यूजीलैंड की पूर्व पीएम हेलेन क्लार्क भी शामिल हैं. वह 1999, 2002 और 2005 में अपने देश की प्रधानमंत्री रहीं लेकिन जब पद छोड़ा तो 2009 यूएनडीपी की एडमिनिस्ट्रेटर बन गईं. संयुक्त राष्ट्र के इस संगठन का नेतृत्व करने वाली वह पहली महिला हैं.

भारत के राष्ट्रपति रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने पद छोड़ने के बाद पूर्णकालिक तौर पर तो कोई नौकरी जॉइन नहीं की थी लेकिन वह देश के तमाम यूनिवर्सिटीज में गेस्ट लेक्चरर के तौर पर जाते रहे थे. इनमें आईआईएम, आईआईटी, एनआईटी और आईआईएससी शामिल हैं.

ब्रिटेन के कंजर्वेटिव नेता एलेक्स डगलस होम 1963 से 1964 के बीच 363 दिनों तक ब्रिटिश प्रधानमंत्री रहे. उनका कार्यकाल 20वीं सदी में किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर दूसरा सबसे छोटा कार्यकाल था. प्रधानमंत्री पद पर काम करने के बाद वह एडवर्ड हीथ की सरकार में विदेश सचिव बन गए थे. इस पद पर उन्होंने 1970 से 1974 तक काम किया था.
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