धनु 9 लोगों के साथ भारत आई थी. आते ही उसने एक मोटा चश्मा खरीदा. और तैयारी में लग गई. मानसिक तैयारी. उस काम की, जिसकी कल्पना भर आपको सिहरन से भर सकती है. उसे तमिल तो आती थी, लेकिन वो जानती थी कि अगर वो यहां लोगों से बात करेगी, तो वो तुरंत पकड़ लेंगे कि वो श्रीलंका के जाफना से आई है. इसीलिए वो घर से ज़्यादा निकलती नहीं थी. लेकिन हम इतना जानते हैं कि वो कम से कम तीन बार घर से निकलकर रैलियों में गई थी. पहली दो रैलियां ड्राई रन थीं. जैसे प्रैक्टिस मैच होता है. 20 मई 1991 की रात उसने एक फिल्म देखी. और अगले रोज़ अपनी खास ड्रेस पहनी. और चेन्नई से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर श्रीपेरंबदूर में उस जगह पहुंच गई जहां कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सभा होने वाली थी. सभास्थल के रास्ते में उसने एक आइसक्रीम खाई. और इंतज़ार करने लगी.
राजीव गांधी के हत्यारों को गांधी परिवार ने माफ किया, लेकिन रिहाई की वजह ये है
कोर्ट के इस आदेश को तमिलनाडु में कैसे देखा जा रहा है?

रात 10 बजे के करीब राजीव गांधी का काफिला वहां पहुंचा. सफेद एम्बैस्डर कार से उतरे राजीव गांधी ने मंच की ओर पैदल चलना शुरू किया. चुनाव प्रचार के एक बेहद लंबे दिन के बाद ये उनकी आखिरी सभा थी. फिर भी वो रास्ते में लोगों से मिलते रहे. कोई हाथ बढ़ाता, तो मिला लेते. कोई फूल देता, तो थाम लेते.
इन्हीं लोगों में धनु भी थी. ये उसकी तीसरी और अंतिम रैली थी. सलवार सूट में खड़ी धनु के हाथ में एक माला थी, जो वो राजीव गांधी को पहनाना चाहती थी. वो राजीव की ओर बढ़ी, तो पुलिस की एक महिला सब इंस्पेक्टर ने उसे रोक लिया. लेकिन राजीव धनु को निराश नहीं करना चाहते थे. उन्होंने सब इंस्पेक्टर को संकेत किया और धनु राजीव के ठीक सामने आ गई. और उनका आशीर्वाद लेने के लिए झुकी. और तभी एक तेज़ रोशनी के साथ धमाका हो गया. स्टील की 10 हज़ार छोटी छोटी गोलियां सारी दिशाओं में बढ़ीं और जो सामने आया, उसे भेदकर आगे निकल गईं. रात के 10 बजकर 10 मिनट पर 16 लोगों की जान चली गई. इनमें राजीव गांधी और उनकी हत्यारी धनु भी शामिल थे.
प्रायः हत्या के मामलों में दो प्रमुख पक्ष होते हैं. पीड़ित और आरोपी. तीसरा पक्ष होती है सरकार, जिसकी ज़िम्मेदारी होती है न्याय सुनिश्चित करना. लेकिन राजीव गांधी हत्याकांड में पक्षों की गिनती न सिर्फ लंबी है, बल्कि ये तय करना भी बहुत मुश्किल है कि किसकी बात का वज़न कितना आंका जाए. ये भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या थी. भारत की एक प्रमुख पार्टी के अध्यक्ष की हत्या थी. और इन सबसे ज़्यादा, ये एक पिता और पति की हत्या थी.
और दूसरी तरफ सिर्फ लिट्टे नाम का उग्रवादी/आतंकवादी संगठन ही नहीं था. श्रीलंका में दमन से आजिज़ आए तमिलों का ऐतराज़ था. और उस ऐतराज़ को लेकर भारत के तमिलों की भावनाएं भी, जो उस दौर में, और आज भी हमारे यहां तमिल राजनीति को प्रभावित करती हैं.
इसीलिए इस मामले में जब भी कोई मोड़ आया, उसे अलग-अलग पक्षों ने अलग-अलग तरह से व्याख्यायित किया. ये पूरा चक्र आज फिर घूम रहा है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड के छह दोषियों को जेल से रिहा करने का आदेश दे दिया है. इनके नाम हैं -
नलिनी श्रीहरन
आरपी रविचंद्रन
संथन
मुरुगन
रोबर्ट पायस
जयकुमार
राजीव गांधी हत्याकांड में कुल 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था. जिनमें से 12 की मौत हो चुकी है. 3 कभी पकड़े नहीं गए. बाकी के 26 आरोपियों को टाडा कोर्ट ने जनवरी 1998 में मौत की सजा सुनाई थी, जिसे साल सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था. 26 में से 19 आरोपियों को रिहा कर दिया गया था जबकि 7 आरोपियों को दोषी करार दिया गया. इनमें से 4 को फांसी की सजा जबकि 3 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. बाद में इन चारों की सजा भी उम्रकैद में बदल दी गई.
आज सुप्रीम कोर्ट ने 7 में से इन्हीं 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया है. एक दोषी पेरारिवलन को इसी साल मई में रिहा करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था. इसे ही आधार बनाते हुए बाकी दोषियों ने भी कोर्ट से रिहाई की अपील की थी. आज 11 नवंबर को कोर्ट ने साफ कहा कि अगर इन दोषियों पर कोई अन्य मामला नहीं है, तो उन्हें रिहा कर दिया जाए. यानी इस मामले में पेरारिवलन के बाद अब नलिनी श्रीहरन, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार, और रॉबर्ट पॉयस भी जेल से बाहर आएंगे.
आजतक से जुड़े कनु सारदा और संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने की. बेंच ने अपने फैसले में कहा,
‘लंबे समय से राज्यपाल ने इस पर कदम नहीं उठाया तो हम उठा रहे हैं. इस मामले में दोषी करार दिए गए पेरारिवलन की रिहाई का आदेश बाकी दोषियों पर भी लागू होगा.’
कोर्ट ने आगे कहा कि दोषी तीन दशक से ज्यादा समय से जेल में बंद हैं. इस दौरान उनका बर्ताव भी अच्छा रहा है. बेंच ने फैसला सुनाते हुए दोषियों के जेल में रहकर पढ़ाई करने, डिग्री हासिल करने और उनके बीमार होने का जिक्र भी किया. सुप्रीम कोर्ट ने जिन लोगों को रिहा करने का आदेश दिया है उनकी राजीव गांधी हत्याकांड में भूमिका क्या थी, इसके बारे में भी जान लेते हैं.
1. नलिनी- जिस जगह पर राजीव गांधी की हत्या हुई नलिनी वहां मौजूद थी. नलिनी पर हत्या की साजिश में शामिल होने और आत्मघाती दस्ते की मदद करने का आरोप लगा. जांच के दौरान मिली तस्वीरों में उसे हत्या करने वालों के साथ देखा गया. हत्याकांड के बाद नलिनी ने अपने पति मुरुगन के साथ चेन्नई छोड़ दी थी. करीब एक महीने बाद उसकी गिरफ्तारी हुई. नलिनी तब गर्भवती थी. बाद में जेल में उसने बेटी को जन्म दिया जो 5 साल की उम्र तक जेल में ही पली-बढ़ी. नलिनी को मौत की सजा सुनाई गई थी लेकिन बाद में इसे उम्रकैद में बदल दिया गया था.
2. मुरुगन- मुरुगन, लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण का विश्वस्त सहयोगी था. राजीव गांधी की हत्या करने का फैसला करने के बाद प्रभाकरण ने बेबी सुब्रमण्यम, मुतुराजा, शिवरासन के साथ मुरुगन को बुलाया और हत्या की योजना बनाई. फरवरी 1991 में मुरुगन मद्रास आकर हत्याकांड को अंजाम देने के लिए टीम बनाता है और बाकी सारी व्यवस्था करता है. कोर्ट ने मुरुगन को भी फांसी की सजा सुनाई थी. जिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया.
3. पेरारिवलन- 11 जून 1991 को पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया था. पेरारिवलन पर आरोप लगे कि हत्याकांड में जिस आत्मघाती जैकेट का इस्तेमाल हुआ था, उसमें लगने वाली बैटरी पेरारिवलं ने सप्लाई की थी. दो 9 वोल्ट की बैटरी. जांच हुई. कोर्ट में साबित हो गया कि पेरारिवलन ने हत्या के मास्टरमाइंड शिवरासन को बैटरी खरीदकर दी थी. घटना के समय पेरारिवलन 19 साल का था. और अभी पिछले 31 सालों से सलाखों के पीछे है. उसे भी फांसी की सजा सुनाई गई थी जिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया.
4. संथन- अदालती दस्तावेजों के मुताबिक संथन श्रीलंका का नागरिक है. 1991 में वो शिवरासन और कुछ अन्य लोगों के साथ श्रीलंका से भागकर भारत आ गया था. शिवरासन ही राजीव गांधी हत्याकांड को अंजाम देने वाली टीम को लीड कर रहा था. कोर्ट ने पाया था कि राजीव गांधी हत्याकांड में संथन ने सीधी और सक्रिय भूमिका निभाई थी. संथन को भी मौत की सजा सुनाई गई थी जिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया था.
5. आर पी रविचंद्रन- भारतीय नागरिक रविचंद्रन, 80 के दशक से ही तमिल ईलम आंदोलन से जुड़ा था. कहा जाता है कि लिट्टे के गठन से पहले से ही उसके शीर्ष नेताओं के साथ रविचंद्रन के घनिष्ठ संबंध थे. रविचंद्रन समुद्र के रास्ते कई बार श्रीलंका भी गया था.
6. रॉबर्ट पायस- रॉबर्ट पायस लिट्टे का सक्रिय सदस्य था. शिवरासन के साथ उसके घनिष्ठ संबंध थे. हत्याकांड की साजिश रचने और उसे अंजाम देने में उसने सक्रिय भूमिका निभाई थी.
7. जयकुमारन- जयकुमारन भी मुरुगन के बुलाने पर अपने जीजा रॉबर्ट पायस के साथ श्रीलंका से भारत आया था. वो भी लिट्टे का सक्रिय सदस्य था. पायस के साथ-साथ जयकुमारन की भी सक्रिय संलिप्तता राजीव गांधी हत्याकांड में पाई गई.
गांधी परिवार ने कई बार राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों को माफ करने की बात कही है. लेकिन कांग्रेस पार्टी का कहना है कि वो रिहाई के इस फैसले को पूरी तरह सही नहीं मानती. जैसा कि हमने आपको बताया था, राजीव गांधी हत्याकांड और उसके बाद के घटनाक्रम ने तमिल राजनीति को खूब प्रभावित किया है. हमने इस बिंदू पर राहुल वी से बात की. राहुल द रूस्टर न्यूज़ चलाते हैं, जो तमिल, हिंदी और अंग्रेज़ी में काम करता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तमिल नाडु कैसे देखता है, सुनिए -
"तमिलनाडु के लोगों का राजीव गांधी से काफी जुड़ाव था. उनकी धमाके में उनकी मृत्यु के बाद लोगों ने अपने बाल कटवा दिए थे. DMK इन लोगों की रिहाई को अपना चुनावी मुद्दा बना कर चल रही थी. शुरुआत में AIADMK भी यही कर रही थी. लेकिन कांग्रेस इनकी रिहाई का विरोध कर रही थी क्योंकि जिन छह लोगों की रिहा किया जाएगा उनमें से 3 श्रीलंका के नागरिक हैं. रिहा होने के बाद उनका क्या होगा, क्या उन्हें वापस श्रीलंका भेजा जाएगा या वो भारत में रहेंगे. अगर श्रीलंका ने उनको नहीं लिया तो क्या होगा? क्या उनका भारत में रहना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नहीं होगा? और केंद्र और राज्य सरकार के लिए ये एक बड़ा सवाल है."
राहुल ने तमिल नाडु की तीन बड़ी पार्टियों - कांग्रेस, DMK और AIADMK के रुख के बारे में बताया. हमने उनसे ये भी पूछा कि तमिल नाडु भाजपा इस विषय पर क्या रुख रखती है. इस पर राहुल ने बताया कि तमिलनाडु भाजपा के लिए यहां एक मुश्किल की स्थिति है. जहां कांग्रेस कहती है कि इस हत्याकांड में उन्होंने एक नेता खोया है वहीं बीजेपी कहती है कि ये मामला भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या से जुड़ा है. अगर बीजेपी हत्याकांड मामले में सजा कट रहे लोगों की रिहाई को मंजूरी देती है तो वो एक तरह से DMK का साथ देती है क्योंकि DMK के चुनावी घोषणापत्र में यही कहा गया था. वहीं कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने इस पूरे मामले को सही से हैंडल नहीं किया. लेकिन बीजेपी ने साफ तौर पर कोई विरोध किया नहीं है.