सलमान की मां. काफी लोगों की नज़र में रीमा लागू की पहचान इसी रूप में थी. हिन्दी फिल्मों में निरूपा रॉय के बाद अगर किसी ने मां की बेहतरीन भूमिका निभाई, तो वो रीमा लागू ही थीं. लेकिन इनकी पहचान को सिर्फ यहीं तक सीमित कर देना ठीक नहीं.
रीमा लागू का वो किरदार, जिसके सामने नाना पाटेकर फीके पड़ते थे
90 के दशक में मां के खूब किरदार किए. मगर इनके कुछ ऐसे रोल हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं.

आइए पढ़ते हैं इनके बारे में कुछ बातें:
1. जिनको मां के रोल में देखा, बच्चे का भी दिलचस्प रोल करती थीं
रीमा का बचपन का नाम नयन भड़भड़े था. उनकी मां मराठी रंगमंच में काम करती थीं इसलिए रीमा का रुझान भी ऐक्टिंग की ओर हो गया. हिन्दी-मराठी फिल्मों की ऐक्ट्रेस दुर्गा खोटे से इनकी मां की अच्छी दोस्ती थी, इसलिए उनकी मदद से रीमा को फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में रोल मिल गया.
बाल कलाकार के रूप में रीमा ने 9 फिल्मों में काम किया. जब इसकी वजह से इनकी पढ़ाई में रुकावट आने लगी तो आगे की पढ़ाई के लिए रीमा पुणे शिफ्ट हो गईं. लेकिन फिल्मों के लिए मन में जो एक खिंचाव था वो एक बार फिर रीमा को मुंबई खींच के ले आया. अब तक रीमा अपनी 11वीं तक की पढ़ाई पूरी कर चुकी थीं. और अब उन्होंने निर्णय ले लिया था कि अब उन्हें फिल्मों में ही काम करना है. मां खुद भी थियेटर से जुड़ी थीं इसलिए उन्हें इसकी इजाज़त मिलने में कोई दिक्कत नहीं हुई. आगे की पढ़ाई रीमा ने करेस्पॉन्डेंस से की. इस दौरान उन्हें एक साबुन के विज्ञापन से काफी प्रसिद्धि मिली. श्याम बेनेगल के साथ किए गए इस विज्ञापन को छह और भी भाषाओं में शूट किया गया.
2. बैंक में नौकरी की, और वहीं से छलांग मार ली

विवेक लागू
ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ इनकी ऐक्टिंग भी चलती रही. इस दौरान रीमा को यूनियन बैंक में नौकरी मिल गयी. उस वक्त बैंकों का इंटर बैंक थियेटर कंपटीशन होता था जिसमें ऐक्टर्स का कोटा होता था. इसी के तहत इन्हें सेलेक्ट कर लिया गया. इसी दौरान रीमा की मुलाकात मराठी कलाकार विवेक लागू से हुई. दोनों शादी के बंधन में बंधे और एक लड़की हुई. जिसका नाम मृण्मयी रखा. शादी के बाद इन्होंने अपना नाम रीमा लागू कर लिया. लेकिन ये साथ ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ साल बाद दोनों अलग हो गए. इसके बाद रीमा ने शादी नहीं की और ज़िन्दगी भर अपनी बेटी के साथ रहीं. इस समय इनकी बेटी मृण्मयी भी ऐक्टिंग करती हैं.
3. रेप विक्टिम का इनका रोल नाना पाटेकर को भी फीका कर देता था
नाना पाटेकर के साथ रीमा ने 'पुरुष' नाटक किया जिसके करीब 700-800 मंचन हुए. लेकिन इसमें जब रीमा नाना पाटेकर के सामने बलात्कार पीड़िता के रूप में खड़ी होती थीं तो नाना भी कहीं फीके नज़र आते थे. लेकिन उस समय नाना पाटेकर काफी मशहूर हो चुके थे. उनकी 'अंकुश' फिल्म काफी हिट हो चुकी थी. इसलिए कई बार नाटक के दौरान लोग नाना को देख के सीटियां बजाने लगते थे. इसके अलावा 'छापाकांटा' उनका नाटक था, जिसमें बेटी और मां के संबंधों को उन्होंने बेहतरीन तरीके से जिया.
4. जीते कई फिल्म फेयर अवॉर्ड
1980 से 'कलयुग' फिल्म से शुरू हुआ इनका सफर लगातार बढ़ता चला गया. इसके बाद उन्होंने कुछ फिल्मों में बेहतरीन रोल किए. 'मैंने प्यार किया' में सलमान की मां का रोल इस कदर असरदार था कि वो सलमान की मां के नाम से ही मशहूर हो गईं. 'हम साथ साथ हैं' में उनका रोल चाहे कैकेयी के कैरेक्टर से मेल खाता हो लेकिन यह भी मां के रूप में उनके अभिनय की मज़बूती को ही दिखाता है. 'वास्तव' फिल्म के अंतिम सीन में संजय दत्त को गोली मार कर उसे दर्द से मुक्त कर देना मां का एक अलग रूप दिखाता है. 'जिस देश में गंगा रहता है' एक ऐसी फिल्म है जिसमें मां अपने बच्चे से बिछड़ गई है, ये रोल भी इनका ही था. उनको 'मैंने प्यार किया' और 'हम आपके हैं कौन' के लिए उन्हें 1990 में बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवार्ड मिला था. 'आशिकी' और 'वास्तव' के लिए भी उन्हें इसी सम्मान से नवाजा गया था.

फिल्म 'हम साथ-साथ हैं' का सीन
खास बात ये है कि इनकी उम्र सलमान खान, शाहरुख खान सरीखे कलाकारों से बहुत ज़्यादा नहीं थी जिनकी मां का रोल इन्होंने निभाया. अभी रीमा कई सीरियल्स में भी काम कर रही थी. 'तू तू मैं मैं' और 'श्रीमान श्रीमती' में इनके काम को काफी सराहा गया. इस समय महेश भट्ट के सीरियल 'नामकरण' में भी ये काम कर रही थीं. हालांकि रीमा की मंझी हुई ऐक्टिंग के मुताबिक उन्हें रोल नहीं मिला. और इस बात का दुख रीमा को भी था.
इसे शिव ने लिखा है.
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