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बिना नोटिस के जॉब छोड़ने वाले ये स्टोरी पढ़कर सिर पकड़ लेंगे!

GST पर क्या फैसला आया कि बिना नोटिस नौकरी छोड़ना महंगा हो गया?

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जीएसटी पर एडवांस रूलिंग अथॉरिटी की सांकेतिक तस्वीर
बिना वाजिब नोटिस दिए जॉब छोड़ने वाले सावधान हो जाएं. ऐसा करने पर कंपनी ‘नोटिस पे रिकवरी’ के तौर पर आपसे कुछ ज्यादा ही रकम वसूल सकती है. ऐसा क्यों? क्योंकि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) पर अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (AAR) ने फैसला सुनाया है कि एम्प्लॉयर की ओर से की जाने वाली कोई भी रिकवरी ‘सर्विसेज की सप्लाई’ मानी जाएगी और इस पर GST चार्ज होगा. पे रिकवरी के दायरे में सिर्फ सैलरी ही नहीं, कंपनी की ओर से मुहैया कराए गए ग्रुप इंश्योरेंस का प्रीमियम, फोन या दूसरी सुविधाएं भी आएंगी. यही नहीं, अगर कंपनी ने कर्मचारी की किसी खास ट्रेनिंग या हायर स्टडीज पर मोटी रकम खर्च की है और कॉन्ट्रैक्ट के तहत वह रकम भी वसूली जानी है, तो उस रिकवरी पर भी GST लग सकता है. टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर AAR का यह फैसला लागू हुआ तो कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा और आखिरकार इसकी वसूली कर्मचारी की जेब से ही की जाएगी. आम तौर पर सर्विसेज पर GST रेट 18% है. इसे मोटे तौर पर समझिए कि अगर कंपनी को किसी एम्प्लॉयी से 1 लाख रुपये की पे रिकवरी करनी है तो GST लगने के बाद वह 1 लाख 18 हजार रुपये चुकाएगा. क्या है AAR और फैसले का मतलब? अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग का गठन GST के प्रावधानों और दरों पर किसी भी तरह के मतभेद को दूर करने के लिए किया गया था. जहां GST कानून में स्पष्टता न हो, वहां भी इस अथॉरिटी का फैसला मान्य होता है. हालांकि इसके फैसले को भी कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. आप जानते हैं कि GST, सामान और सेवाओं की सप्लाई पर लगता है. आम तौर पर एम्प्लॉयर और एम्प्लॉयी के बीच होने वाले वित्तीय लेन-देन (जैसे सैलरी, इंसेंटिव, बोनस वगैरह) ‘सर्विसेज’ नहीं माने जाते और इस पर GST नहीं लगता. लेकिन रूलिंग अथॉरिटी ने पिछले काफी समय से विवाद का विषय रहे 'पे रिकवरी' को बतौर सर्विसेज टैक्सेबल माना है. क्या कहते हैं GST एक्सपर्ट? इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) के पूर्व प्रेसिडेंट और GST एक्सपर्ट वेद जैन ने ‘दी लल्लनटॉप’ को बताया.
“इस फैसले के दायरे में हर तरह की पे रिकवरी आएगी. अगर एम्प्लॉयर ने अपने कर्मचारियों के लिए ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी है और प्रीमियम का एक हिस्सा कर्मचारी से वसूलता है या फोन और दूसरी सहूलियतें किफायती दरों पर दे रखी हैं, तो इस रूलिंग के मुताबिक वह एम्प्लॉयर एक GST डीलर के तौर पर अपने कर्मचारियों को सेवाएं दे रहा है. ऐसे में रिकवरी पर GST की लाइबिलिटी बनती है. इससे कंपनियों की कॉस्ट बढ़ेगी और वे यह अतिरिक्त बोझ भी कर्मचारियों पर ही डालेंगी’’.
कितना लगेगा GST? अभी तक GST कानून की रेट लिस्ट में पे रिकवरी का साफ जिक्र नहीं है. दरों की बात करें तो मोटे तौर पर GST की चार दरें हैं- 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत. GST लागू होने के साथ ही सर्विस टैक्स इसमें समाहित हो गया था और अब ज्यादातर सर्विसेज पर 18 प्रतिशत GST लगता है. ऐसे में माना जा रहा है कि नोटिस पे रिकवरी पर भी 18 प्रतिशत ही GST लगेगा. इस मुद्दे पर हमने GST कंसल्टेंट सीए राकेश गुप्ता से भी बात की. उन्होंने ‘ दी लल्लनटॉप’ से कहा,
‘यह फैसला इसलिए अहम है कि आम तौर पर एम्प्लॉयर और एम्प्लॉयी के संबंध GST के दायरे में नहीं आते, यानी कंपनी की ओर से कर्मचारी को मिलने वाला भुगतान या सेवाएं GST के नजरिए से सर्विस नहीं माने जाते. नोटिस रिकवरी को लेकर हाल में विवाद उभरकर आया था. अगर GST विभाग इस फैसले के आधार पर कंप्लायंस चाहता है तो इसका वित्तीय असर बड़ा भी हो सकता है. लेकिन मेरा मानना है कि अभी इस मसले पर विवाद कायम रहने वाला है'.
ट्रेनिंग रिकवरी पड़ेगी भारी कंपनियों में टैलेंट झपटने की होड़ के मद्देनजर यह फैसला और अहम हो जाता है. राकेश गुप्ता ने बताया कि अगर नोटिस पे रिकवरी को ‘सर्विस’ मानकर GST चार्ज किया गया तो इसके दायरे में कई और सुविधाएं आएंगी. उन्होंने कहा,
‘मेरे एक क्लाइंट ने हाल ही में एक मल्टीनेशनल कंपनी छोड़ी है. कंपनी ने उसे हायर स्टडीज के लिए विदेश भेजा था. लेकिन बीच में ही उसे बेहतर जॉब मिल गई. कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक कंपनी ने उससे 12 लाख रुपये की रिकवरी मांगी. उस एम्प्लॉयी ने नई कंपनी की मदद से इस रकम का भुगतान किया. अगर हम यहां 18% रेट अप्लाई मानें तो उस एम्लॉयी को रिकवरी पर GST के रूप में करीब 2 लाख 16 हजार रुपये की अतिरिक्त रकम चुकानी पड़ती.'
नोटिस पे रिकवरी क्या है ? जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी या संस्थान को एक एम्प्लॉयी के तौर पर जॉइन करता है तो उसे कुछ नियम-शर्तों पर समझौता यानी कॉन्ट्रैक्ट साइन करना होता है. इसके तहत तय समय से पहले नौकरी छोड़ने के लिए कंपनी को सूचित करना होता है. यह नोटिस पीरियड एक महीने से लेकर तीन महीने तक हो सकता है. कर्मचारी के ऐसा नहीं करने पर उस अवधि की सैलरी के बराबर रकम कंपनी को देय होती है. यह रकम आम तौर पर कंपनियां सैलरी या अन्य बकाया रकम से काट लेती हैं या कर्मचारी अपने पास से जमा कराते हैं. यही नोटिस पे रिकवरी कहलाती है. कंपनियों के बीच टैलेंट हंट की प्रतिस्पर्धा में रिकवरी का चलन बढ़ गया है और कई बार हायर करने वाली कंपनी एम्प्लॉयी के पुराने एम्प्लॉयर को अपने पास से भुगतान कर देती हैं.