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पंजाब: कैप्टन के चहेते कुंवर, जो उन्हीं को चुनौती देने मैदान में उतर आए

IPS कुंवर विजय प्रताप सिंह को पार्टी में लेने के लिए कांग्रेस ही नहीं बीजेपी और अकाली भी बेचैन थे?

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कुंवर विजय प्रताप सिंह पंजाब के एक तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी माने जाते रहे हैं. उन्होंने आईजी पद से इस्तीफा देकर 21 जून को आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली.
कुंवर विजय प्रताप सिंह. IPS 1998 बैच. एमए, एलएलबी, एमबीए और पीएचडी. ये परिचय पंजाब पुलिस के आईजी पद से इस्तीफा दे चुके कुंवर विजय प्रताप सिंह ने अपने ट्विटर प्रोफाइल में लिखा है. बिहार के रहने वाले हैं, लेकिन फर्राटे से पंजाबी बोलते हैं. उनके सोशल मीडिया प्रोफाइल पर आपको और कई रोचक चीजें मिल जाएंगी. वह यूट्यूब वीडियो में क्लास 10 के बच्चों को गणित पढ़ाते दिख जाएंगे. एक वीडियो में वह स्टेज पर गाना गाकर महेंद्र कपूर को श्रद्धांजलि देते दिख रहे हैं. यही नहीं, वह 2017 में एक पंजाबी फिल्म 'यारां दा यार' में काम भी कर चुके हैं.
पंजाब के जाने-माने पुलिस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह की शख्सियत के ये कुछ पहलू हैं. पुलिस की नौकरी में उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल खुलासे किए. अपने साथी कई पुलिस अधिकारियों पर ही केस दर्ज कर दिए. रिटायरमेंट से 8 साल पहले ही नौकरी छोड़ दी. अब 21 जून सोमवार को वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं. किस बात से खफा होकर उन्होंने आईजी की नौकरी छोड़ दी? पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह के चहेते होने के बावजूद उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन क्यों थामा? आइए जानते हैं कुंवर विजय प्रताप की पुलिसिया पारी और राजनीतिक दांव के बारे में तफ्सील से. वो केस, जिसने उत्तर भारत को हिला दिया कुंवर विजय प्रताप सिंह का नाम सबसे पहले 2002 में अमृतसर में पोस्टिंग के दौरान सुर्खियों में आया. वह अमृतसर में एसपी सिटी-1 के तौर पर तैनात थे. ऑर्गेनाइज क्राइम से निपटने में स्पेशलिस्ट कुंवर विजय प्रताप सिंह ने बरसों से चल रहे किडनी रैकेट का पर्दाफाश किया. उन्होंने शहर के नामी डॉक्टरों, वकीलों और पुलिस वालों को इस केस में नामजद किया. विजय प्रताप सिंह ने शहर के नामी डॉक्टर प्रवीण सरीन को गिरफ्तार किया. उनके साथ ही सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टरों को भी अरेस्ट किया. इस केस की धमक न सिर्फ पंजाब बल्कि आसपास के प्रदेशों में भी सुनाई दी. पंजाब पुलिस के मुताबिक, आसपड़ोस के प्रदेशों से आने वाले मजदूरों को एजेंट अपने चंगुल में फंसा लेते और उनकी किडनी निकल लेते थे. मजदूर को चंद हजार रुपए देकर रफा-दफा कर दिया जाता. डॉक्टर और मिडिलमैन इसमें लाखों रुपये बनाते. इस केस में साल 2013 में 5 बड़े डॉक्टरों और एक रिटायर्ड पुलिस अफसर को 8 साल की सजा हुई. इनमें डॉक्टर सरीन भी शामिल थे. हालांकि 2018 में हाई कोर्ट ने 5 डॉक्टरों को बरी कर दिया.
पंजाब के एक सीनियर जर्नलिस्ट का कहना है कि कुंवर विजय प्रताप सिंह की छवि एक ईमानदार लेकिन अड़ियल पुलिस अधिकारी के तौर पर रही है. उनके सीनियर अधिकारी भी उनसे बात करने में कतराते थे. साथ काम करने और जूनियर अधिकारियों का तो कहना ही क्या. उनका ये भी भरोसा नहीं रहता था कि किसके खिलाफ कहां शिकायत कर दें. पंजाब में जहां भी उनकी पोस्टिंग रही, वह एक कड़क पुलिस अधिकारी के तौर पर जाने गए. लेकिन अमृतसर से उनका खास लगाव रहा. जनता पर नरम, अपराधियों पर कड़क कुंवर विजय प्रताप सिंह के करियर को करीब से देखने वाले एक सीनियर जर्नलिस्ट बताते हैं कि उनकी पहचान एक बेदाग छवि के पुलिस अधिकारी के तौर पर थी. वह जिस जिले में रहे, उनके ऑफिस में आम लोग सीधे जाते थे. कई लोग काम न होने की नाराजगी जताते थे लेकिन वह बहुत ठंडे दिमाग से उनसे डील करते थे. दूसरी तरफ वह अपराधी और नेताओं को लेकर काफी सख्त थे. किसी से भी भिड़ जाने में गुरेज़ नहीं करते थे. 2009 में भी ऐसा ही वाकया हुआ. उस वक्त कुंवर विजय प्रताप सिंह की अमृतसर नॉर्थ से बीजेपी विधायक अनिल जोशी से किसी बात को लेकर ठन गई. कुंवर ने विधायक की एक न चलने दी. अनिल जोशी उनके तबादले की मांग करते हुए अनशन पर बैठ गए. मामला दिल्ली तक पहुंचा. कुंवर विजय प्रताप सिंह का तबादला कर दिया गया. इधर कुंवर की तरफ से सिविल सोसाइटी के लोगों ने मोर्चा संभाला लिया. उन्होंने हाईकोर्ट में फैसले को चैलेंज कर दिया. हालांकि बाद में मामला रफा-दफा हो गया. लेकिन कुंवर विजय प्रताप सिंह के साथ काम करने वाले और नेता यह अच्छी तरह से जान गए कि दबाव में उनसे कोई काम करना टेढ़ी खीर है. वो केस, जिसने बदल दिया समीकरण साल 2015. पंजाब का फरीदकोट ज़िला. ज़िले के बुर्ज जवाहर वाला गांव में श्रीगुरुग्रंथ साहिब की चोरी हुई. 12 अक्टूबर 2015 को फरीदकोट के ही बरगाड़ी गांव में श्रीगुरुग्रंथ साहिब के कुछ फटे हुए पन्ने मिले. इसके बाद कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए. 14 अक्टूबर 2015 को फरीदकोट के कोटकपूरा और बहिबल कलां में ऐसे ही एक विरोध प्रदर्शन में लोगों की पुलिस से झड़प हो गई. इस दौरान 2 लोग मारे गए. एक गंभीर रूप से घायल हो गया. कोटकपूरा में पुलिस लाठीचार्ज में काफी लोगों को गंभीर चोटें आईं. इसकी जांच के लिए तत्कालीन प्रकाश सिंह बादल सरकार ने जांच कमीशन बनाने के आदेश दिए. मृतकों के परिजनों को एक करोड़ का मुआवज़ा दिया गया. बाद में इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुईं.
साल 2017 में जब पंजाब में चुनाव हुए तो कांग्रेस ने इस घटना के गुनहगारों को अंजाम तक पहुंचाने का चुनावी वादा कर दिया. सरकार में आने के बाद पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार ने मामले की जांच के लिए 5 सदस्यों की SIT गठित कर दी. कुंवर विजय प्रताप सिंह को पहले इसका सदस्य, और बाद में SIT का मुखिया बना दिया गया. विजय प्रताप सिंह ने पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल और फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार तक से इस मामले में पूछताछ की.
Ig Kunwar Vijay Pratap Singh
सीएम अमरिंदर सिंह ने कुंवर प्रताप सिंह को इस्तीफे से रोकने के लिए बयान भी दिया, लेकिन कुंवर इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस नहीं, AAP में चले गए.
कुंवर विजय प्रताप पर क्या आरोप लगे? लेकिन कोटकपूरा और बहिबल कलां मामले के एक आरोपी इंस्पेक्टर गुरदीप सिंह ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी. SIT हेड कुंवर विजय प्रताप सिंह पर गंभीर आरोप लगाए. आरोप ये कि वह इस मामले की जांच राजनीतिक संरक्षण में कर रहे हैं. उनका रवैया भेदभावपूर्ण है. ये भी कहा कि जब याचिकाकर्ता ने इस मामले में दर्ज FIR रद्द करने की मांग की थी, तो IG ने उन्हें याचिका वापस लेने की धमकी दी. याचिकाकर्ता ने मामले की जांच कर रही SIT से कुंवर विजय प्रताप सिंह को हटाने की मांग की. साथ ही रिपोर्ट को रद्द करने के लिए भी प्रार्थना की.
याचिका पर पंजाब सरकार ने कुंवर का पक्ष लिया, कहा कि
"याची (इंस्पेक्टर गुरदीप सिंह) संगीन मामले में आरोपी है. वह कैसे SIT पर आरोप लगा सकता है. अगर ऐसे आरोपों से SIT में बदलाव किया गया, तो इससे न सिर्फ जांच प्रभावित होगी, बल्कि SIT का मनोबल भी गिरेगा. कुंवर विजय प्रताप सिंह पर लगाए सभी आरोप गलत हैं. वे पूरी निष्पक्षता, पारदर्शिता और वैज्ञानिक तरीके से जांच कर रहे हैं."
समय का पहिया घूमा. 9 अप्रैल 2021. हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार और कुंवर विजय प्रताप सिंह की दलीलों को सिरे से नकार दिया. याची की बातों से सहमति जताई. हाईकोर्ट ने SIT की जांच रिपोर्ट को खारिज कर दिया. कहा कि SIT की जांच का तरीका ही गलत है. हाईकोर्ट ने ये भी आदेश जारी किया कि कुंवर विजय प्रताप सिंह को SIT से हटाया जाए और किसी अन्य अधिकारी को शामिल किया जाए.
केस हारने के बाद कुंवर विजय प्रताप सिंह ने एक पंजाबी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा. (पूरा विडियो यहां क्लिक
करके देख सकते हैं)
"मैं अब भी अपनी जांच पर कायम हूं. ऐसी जांच रिपोर्ट देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई तक नहीं कर सकती. हम हाईकोर्ट में केस उन बड़े-बड़े वकीलों की वजह से हारे हैं जिन्होंने सरकार से पैसा लिया, लेकिन दोषियों के साथ खड़े नजर आए. मैं जब दिल्ली में इन बड़े-बड़े वकीलों के घर पर जाता था, तो मुझे चपरासी की तरह बाहर इंतजार करवाया जाता था. इन्होंने मुझे बहुत परेशान किया है."
कुंवर विजय ने ये भी आरोप लगाए कि सरकार को पत्र लिखने के बाद भी हमारे गवाहों को सुरक्षा नहीं मिली. हमारी लीगल टीम कमजोर थी. जिस दिन हाईकोर्ट ने मामला खारिज किया, उस दिन भी एजी मेडिकल लीव पर चले गए थे. बताया जा रहा है कि कुंवर राज्य सरकार के बाकी अधिकारियों से भी नाराज चल रहे थे. खासतौर पर अटॉर्नी जनरल से. लेकिन हाईकोर्ट तो फैसला दे चुका था. इस फैसले से कुंवर विजय प्रताप सिंह के साथ-साथ पंजाब सरकार की भी बहुत किरकिरी हुई. विपक्ष ने भी अमरिंदर सरकार और उन्हें निशाने पर लिया. कुंवर प्रताप और सीएम के बीच मान-मनौव्वल का दौर हाईकोर्ट का फैसला आने के दो दिन बाद यानी 11 अप्रैल 2021 को कुंवर प्रताप सिंह ने अपना इस्तीफा सौंप दिया. हालांकि सीएम अमरिंदर सिंह ने इनकार करते रहे. इस्तीफे वाली चिट्ठी में कुंवर प्रताप सिंह ने लिखा-
"मुझे काफी समय पहले सूबे में पोस्टिंग मिली. मैंने पूरी ईमानदारी से सेवा की. अमृतसर किडनी स्कैम में भी आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया. कोटकपूरा कांड में भी जब मुझे जिम्मेदारी मिली, मैंने हर पहलू पर जांच की. हम अंतिम पड़ाव के करीब पहुंच चुके हैं. मुझे न्याय प्रणाली पर पूरी तरह भरोसा है. मैं समय से पहले ही सेवानिवृत्ति लेना चाहता हूं. मेरी अर्जी मंजूर की जाए."
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कुंवर विजय के स्वैच्छिक रिटायरमेंट की मांग को ठुकरा दिया. कहा कि उनकी सेवाओं की जरूरत है. सीएम ने कहा,
"कुंवर विजय प्रताप सिंह की सेवाओं की ऐसे समय में बहुत जरूरत है, जब पंजाब विभिन्न आंतरिक व बाहरी खतरों का सामना कर रहा है. अनुभव और महारत रखने वाले कुंवर विजय प्रताप सिंह ने पंजाब पुलिस में अलग-अलग महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए बेहतरीन सेवाएं दी हैं. वह एक कुशल, काबिल और साहसी अधिकारी हैं, जिनका ट्रैक रिकार्ड बेमिसाल हैं."
सीएम ने कहा कि कुंवर विजय को SIT से हटाने या केस की जांच रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. इसकी तैयारी की जा रही है.
इसके बाद, 15 अप्रैल को कुंवर विजय प्रताप सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि उनका इस्तीफा स्वीकार करने को चीफ मिनिस्टर अमरिंदर सिंह राजी हो गए हैं. इसी के बाद से अटकलें लगने लगीं कि कुंवर विजय का अगला कदम क्या होगा. कयास लगाए गए कि अमरिंदर सिंह से नजदीकी के चलते वह कांग्रेस जॉइन कर सकते हैं. हालांकि उन्होंने आखिरी समय तक अपने पत्ते नहीं खोले. और 21 जून को आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली. उनकी अहमियत का अंदाजा इससे भी समझा जा सकता है कि खुद अरविंद केजरीवाल उन्हें पार्टी जॉइन कराने के लिए पंजाब पहुंचे. इस मौके पर अरविंद केजरीवाल ने कुंवर विजय प्रताप को नया नाम भी दे दिया. उन्हें 'आम आदमी का पुलिसवाला' कहा. कैप्टन के दुलारे, AAP में क्यों पधारे? जिस पुलिस अधिकारी को रिटायरमेंट न लेने के लिए खुद सीएम मनाए, उसे पार्टी में लेना कौन सी बड़ी बात थी. सबके मन में यही सवाल था. आखिर क्या बात थी जो कुंवर विजय प्रताप सिंह कांग्रेस की बजाय AAP में गए. उनके एक करीबी दोस्त बताते हैं कि
"कुंवर विजय प्रताप ने यह सियासी कदम बहुत सोच-समझ कर उठाया है. उन्हें पार्टी में लेने के ऑफर सिर्फ कांग्रेस से ही नहीं, अकाली और बीजेपी की तरफ से भी थे. किसान आंदोलन के चलते बीजेपी में जाने का कोई मतलब नहीं था. अकाली दल के सरकार में रहते ही किसान कानून बना, ऐसे में पंजाब की जनता में उसकी छवि भी आमतौर पर किसान विरोधी की ही है. अब बची कांग्रेस तो अमरिंदर सिंह ने सरकार में आने के वक्त जो बड़े-बड़े वादे किए थे, उन्हें पूरा करने में वो असफल रहे. ऐसे में कुंवर विजय प्रताप सिंह को AAP एक बेहतर विकल्प नजर आया. अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार का आरोप भी नहीं है. साथ ही दिल्ली मॉडल की बात भी होने लगी है. कुंवर विजय प्रताप सिंह ने नाप-तौल कर यह फैसला लिया है."
पंजाब में अगले साल विधानसभा इलेक्शन होने हैं. इसे लेकर राजनीतिक सरगर्मियां जोरों पर हैं. ऐसे में कुंवर विजय प्रताप सिंह की विधानसभा सीट को लेकर भी कयासबाजी शुरू हो गई है. कुंवर विजय के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह अमृतसर नॉर्थ की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. फिलहाल इस सीट से कांग्रेस का विधायक है. अब देखना ये है कि सीएम अमरिंदर सिंह के चहेते रहे कुंवर आने वाले चुनावों में उन्हें कैसी चुनौती दे पाते हैं.

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