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कौन है विनय दुबे, जिसने मजदूरों के लिए 40 बसें चलाने की बात फैलाई और गिरफ्तार हो गया

बांद्रा में लोगों के इकट्ठा होने को विनय दुबे की इस अपील से जोड़ा जा रहा है.

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विनय दुबे उत्तर भारतीयों के हितों की बात करने का दावा करता है. उसने 2019 में लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव दोनों लड़ा था लेकिन हार मिली थी. फोटो: फेसबुक/विनय दुबे
14 अप्रैल. दिन मंगलवार. पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ गया है. इसी दिन मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर हज़ारों मजदूर इकट्ठा हो गए. इस मामले में पुलिस ने एक शख्स को नवी मुंबई से गिरफ्तार किया है. नाम विनय दुबे. आरोप है कि उसने मज़दूरों से इकट्ठा होने की अपील की और फेक न्यूज़ फैलाई कि वो उनके लिए 40 बसें चलवा रहा है. उसके ख़िलाफ़ महामारी ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
विनय दुबे अपनी फेसबुक पोस्ट में लगातार इस बात का दावा कर रहा था कि वो मज़दूरों को उनके घर ले जाएगा. उसने 'चलो घर की ओर' कैम्पेन चला रखा था. उसकी फेसबुक प्रोफाइल वर्तनी की तमाम अशुद्धियों के साथ ऐसी अपीलों से भरी पड़ी है, जिसमें वो ''मजदुर आंदोलन...चलो घर परिवार के बिच'' जैसी बातें कहता है. वो कार में बैठकर फेसबुक लाइव भी करता है.
11 अप्रैल की विनय दुबे की फेसबुक पोस्ट.
11 अप्रैल की विनय दुबे की फेसबुक पोस्ट.

13 अप्रैल की एक पोस्ट में विनय दुबे ने 'उग्र आंदोलन' की बात कही थी. वो उत्तर भारतीयों के हितों की बात करने की बात कहता है. उसने एक वीडियो में कहा,
हमने, हमारी टीम ने एक सुविधा की है. 14 तारीख को अगर लॉकडाउन खत्म होता है तो उसके बाद 15 तारीख को सवेरे मुंबई के अलग-अलग ठिकानों से करीबन 40 बसें हमने अरेंज की हैं, जो इन मज़दूरों को यहां से ले जाकर अपने-अपने राज्यों में छोड़ेंगीं और ये पूरी जो सुविधा है...इन मजदूरों से कोई भी पैसा नहीं लिया जाएगा.
विनय दुबे की 13 अप्रैल की पोस्ट, जिसमें उसने उग्र आंदोलन की बात कही.
विनय दुबे की 13 अप्रैल की पोस्ट, जिसमें उसने उग्र आंदोलन की बात कही.

कौन है विनय दुबे
विनय दुबे ख़ुद को सामाजिक कार्यकर्ता और आंत्रप्रेन्योर कहता है. वह उत्तर भारतीय महापंचायत नाम से एक NGO चलाता है. मुंबई के कल्याण इलाके में रहता है. कल्याण लोकसभा सीट से 2019 में चुनाव भी लड़ चुका है. निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर. यही नहीं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उसने नवी मुंबई की ऐरोली विधानसभा से निर्दलीय पर्चा भरा. सेब के निशान पर चुनाव लड़ा और फिर हार गया. उत्तर भारतीयों के लिए किए गए एक कार्यक्रम में उसने राज ठाकरे को बुलाया था. इसकी फोटो उसने सोशल मीडिया पर शेयर की थी.
राज ठाकरे के साथ दायीं तरफ विनय दुबे. फोटो: फेसबुक
राज ठाकरे के साथ दायीं तरफ विनय दुबे. फोटो: फेसबुक

इसके अलावा विनय दुबे CAA, NRC विरोधी प्रदर्शन में सक्रिय था. ज्यादा नहीं, बस पिछले दस दिनों की फेसबुक पोस्ट देखने से पता चलता है कि उसने अचानक मजदूरों के हितों की बात करनी शुरू कर दी. अलग-अलग समय में उसके 'मुद्दे' अलग होते हैं. पिछले कुछ दिनों से वो सरकार से 40 बसें चलाने की इजाज़त भी मांग रहा था.
विनय दुबे की फेसबुक फॉलोवर संख्या पिछले कुछ दिनों में तेजी से बढ़ी है.
विनय दुबे की फेसबुक फॉलोवर संख्या पिछले कुछ दिनों में तेजी से बढ़ी है.

12 अप्रैल को फेसबुक पर एक वीडियो में उसने ट्रेन चलवाने की अपील की थी. उसने कहा,
रेलवे मंत्रालय और मोदी जी से मेरा निवेदन है कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन की स्थिति ख़त्म हो रही है. उसके बाद दो से तीन दिनों के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के लिए ट्रेनें छोड़ी जाएं. अनारक्षित ही सही, लेकिन ट्रेन चलाई जाए, जिससे ये मजदूर भाई अपने घर पहुंच सकें.
 
11 अप्रैल की एक पोस्ट में उसने दावा किया कि बस सेवा को लेकर उसकी मुख्यमंत्री कार्यालय में मीटिंग है. फोटो: फेसबुक
11 अप्रैल की एक पोस्ट में उसने दावा किया कि बस सेवा को लेकर उसकी मुख्यमंत्री कार्यालय में मीटिंग है. फोटो: फेसबुक

11 अप्रैल के एक वीडियो में विनय दुबे पेटीएम, गूगल पे पर मदद मांगता है ताकि लोगों तक राशन पहुंचाया जा सके. इसमें वो फोन नंबर भी बताता है.
 
इस वीडियो में वो 18 अप्रैल तक मुंबई कुर्ला स्टेशन पर पहुंचने की अपील कर रहा है. फोटो: फेसबुक
इस वीडियो में वो 18 अप्रैल तक मुंबई कुर्ला स्टेशन पर पहुंचने की अपील कर रहा है. फोटो: फेसबुक

विनय दुबे और सोशल मीडिया
फेसबुक पर उसके करीब 2 लाख 21 हजार फॉलोवर हैं. ये संख्या पिछले कुछ दिनों में बढ़ी है. फेसबुक पर 31 मार्च तक 1 लाख 38 हजार फॉलोवर थे. वो कहता है कि दूसरों की मदद की तस्वीरें पोस्ट ना करें लेकिन उसकी खुद ऐसी कई तस्वीरों से उसकी प्रोफाइल भरी हुई है. ट्विटर पर फिलहाल उसके 5,301 फॉलोवर हैं. 5 अप्रैल तक 2,275 फॉलोवर थे. मतलब 10 दिनों में दोगुने हो गए. विनय दुबे का दावा है कि कि वो किसी भी पार्टी से नहीं जुड़ा है. ट्विटर पर वो सिर्फ अपने NGO को फॉलो करता है, जिस पर आखिरी पोस्ट 1 मार्च को डाली गई थी. उसकी फेसबुक पोस्ट में उल्टी सीधी भाषा का भी खूब जमकर इस्तेमाल होता है.
विनय दुबे के ट्विटर अकाउंट में आखिरी पोस्ट 11 अप्रैल की है. फोटो: ट्विटर
विनय दुबे के ट्विटर अकाउंट में आखिरी पोस्ट 11 अप्रैल की है. फोटो: ट्विटर

यूट्यूब पर गालियां ही गालियां
विनय दुबे का कहना है कि उसने कोई यूट्यूब चैनल नहीं बनाया है लेकिन उसके वीडियो एक चैनल पर खूब अपलोड होते हैं. अनीस भारती नाम का एक चैनल है. इस चैनल पर विनय दूबे को 'हीरो' बताया जाता है. 15 अप्रैल को इस चैनल पर विनय दुबे की गिरफ्तारी का वीडियो भी अपलोड किया गया है. चैनल पर विनय दुबे के इन वीडियों में गालियों की भरमार होती है.
इस चैनल पर विनय दूबे के काफी वीडियो पड़े हैं, जिनमें वो खुलकर गालियां देता है. फोटो: यूट्यूब
इस चैनल पर विनय दूबे के काफी वीडियो पड़े हैं, जिनमें वो खुलकर गालियां देता है. फोटो: यूट्यूब

इस चैनल पर NRC, निज़ामुद्दीन मरकज, जेएनयू, उत्तर भारतीयों को लेकर तमाम वीडियो हैं. 'हिंदू हितों' की बात करते हुए दुबे मोदी और अमित शाह को ललकारता रहता है. अंधभक्त शब्द इस्तेमाल करते हुए इसकी जगह वो 'वर्डप्ले' करते हुए कुछ और बोलता है. इन वीडियो के व्यूज़ लाखों में हैं. इन वीडियो में 'पोल खोल दी', 'धो दिया' जैसी बातें खूब होती हैं. कई वीडियो में वो ''विनय दुबे रहे ना रहे, आंदोलन नहीं रुकना चाहिए'' जैसी बातें करता बरामद होता है.


मुंबई पुलिस ने बांद्रा मामले में जिस विनय दुबे को पकड़ा, उसने मोदी सरकार को क्या चैलेंज दिया था?