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तारीख: कहानी 23 साल के जासूस की, जिसने जर्मन सेना का टॉर्चर सहा पर टूटी नहीं

पहला मिशन अप्रैल 1944 में शुरू हुआ. ब्रिटेन के सरकारी अखबार द गैजेट से पता चलता है, उनका कोडनेम Corinne Leroy था. उन्होंने SOE एजेंट फ़िलिप लिवर के लिए एक कूरियर के तौर पर काम किया.

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साल 1944 की गर्मियों का एक दिन. फ्रांस की सुनसान सड़क पर, एक पुरानी सिट्रॉएन कार सरपट दौड़ रही है. अचानक जर्मन सेना के बैरिकेड पर उसे रोका जाता है. नाज़ी सोल्जर गोलियों की बौछार कर देते हैं. दो लोग कार से कूद पड़ते हैं. एक कहता है: व्योलेट! वो हमें घेर रहे हैं! व्योलेट जवाब देती है : तुम निकल जाओ! मैं कवर दूंगी! व्योलेट का साथी कूदकर दूसरी तरफ़ भागना शुरू करता है. व्योलेट अपनी स्टेन गन उठाती है, और एक पेड़ के पीछे छिप जाती है. उसके टखने में मोच आ गई है, लेकिन उसका संकल्प नहीं टूटा है. गोलियों की आवाज़ से जंगल गूंज गया है. वो क़रीब 30 मिनट तक जर्मन सेना का सामना करती रही, कई जर्मन सैनिकों को मार गिराया और कुछ को घायल भी किया. आखिर में, जब उसका गोला-बारूद खत्म हो गया, उसे पकड़ लिया गया. जर्मन्स ने खूब यातनाएं दीं. और कुछ दिनों बाद उसे मार दिया. कौन थी ये 23 साल की जांबाज, जानने के लिए देखें तारीख का ये एपिसोड.

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