“मुझे लगता है, तुम जानोगी कि इस पृथ्वी पर सबसे मज़बूत चीज़ धातु है. उसके बाद डाइनामाइट का नंबर आता है. और उसके बाद मसल्स का.”जोजो. एक 10 साल का प्यारा बच्चा. अपनी मां रोज़ी के साथ रहता है. जर्मनी में. दूसरा विश्व युद्ध चल रहा है. आखिरी दिन हैं. कभी भी फैसला हो सकता है. हिटलर और नाज़ी कुप्रचार ने बाकी अधिकतर की तरह उसे भी वशीभूत कर रखा है. वो हिटलर का फैन है. उसका सपना है हिटलर का एलीट सिपाही बनना. और अपने 'सबसे बड़े शत्रुओं' यहूदियों से लड़ना. दरअसल ये बहुत बड़ी बड़ी बातें हैं. अंदर से वो एक छोटा सा बच्चा ही है. ये सब विचार उसकी फैंटेसी हैं. और ये भी नहीं है कि वो जिस युद्ध की रट लगाए रहता है, उसे समझता है. वो इतना डरपोक या कहें कि मानवीय है कि जब हिटलर की युवा सेना के एक कैंप में उसे खरगोश थमा दिया जाता है और उसे मारने के लिए कहा जाता है तो वो सिकुड़ जाता है. और उसे मारने के बजाय भगाने की कोशिश करता है. फिर जोजो की पिटाई होती है. यहीं से उसका नाम जोजो रैबिट पड़ जाता है. अर्थ ये कि वो खरगोश जैसा डरपोक है.- जब नन्हा सा बच्चा होते हुए भी जोजो, नाज़ी विचारधारा को समर्पित हो जाता है. तो उसकी मां उसे कहती है कि इन विकृत विचारधाराओं के सिवा भी लाइफ में बहुत कुछ रखा है. वो कहती है प्यार इस दुनिया में सबसे ताकतवर और मज़बूत चीज़ है. इस पर भोला जोजो उसे 'प्यार से भी ज़्यादा मज़बूत' चीजें गिनाने लगता है.

लेकिन उसका एक इमैजिनरी दोस्त है. हिटलर. वो बीच बीच में प्रकट होता रहता है. चूंकि जोजो की 10 साल की बुद्धि से ही निर्मित है तो वो भी डंब बातें ही करता है. जैसे कि बच्चे करते हैं. वो उसका हौसला बढ़ाता है. कहता है खरगोश कायर नहीं होते. एक नन्हा सा विनम्र खरगोश इस ख़तरनाक दुनिया का हर रोज़ सामना करता है. अपने और अपने परिवार के लिए गाजरें ढूंढ़ते हुए. जोजो और हिटलर में ऐसी बातें होती रहती हैं. इस काल्पनिक दोस्त के अलावा जोजो का एक असली दोस्त भी है. उसका बेस्ट फ्रेंड. यॉर्की. बहुत ही क्यूट बच्चा. मन करता है यॉर्की की बातें सुनते ही चले जाएं.
जोजो की लाइफ में बड़ा भूचाल तब आता है जब उसे अपने घर की एक अटारी में एक ज्यू/यहूदी लड़की छुपी मिलती है. एल्सा. मां रोज़ी ने उसे छुपा रखा है. अब अपने ख़्वाबी दोस्त हिटलर की मदद से वो उसे भगाना चाहता है. एल्सा जोजो के सारे तर्कों की धज्जियां उड़ा देती है. जोजो अब क्या करेगा और कहानी का अंत कैसा होता है ये आगे पता चलता है.

जोजो और एल्सा. वो उसके सारे खोखले यकीनों को गिराने में लगी रहती है. जैसे उसके सबसे अज़ीज़ फिक्शनल दोस्त के बारे में कहती है - "तुम्हे एक ऐसे वाहियात और टुच्चे आदमी ने चुना है, जो अपनी पूरी मूंछ तक नहीं उगा सकता है." (फोटोः फॉक्स सर्चलाइट पिक्चर्स)
'जोजो रैबिट' एक कॉमेडी ड्रामा फ़िल्म है. जिसे एक कलात्मक व्यंग्य भी कहेंगे. ये युद्ध, हिंसा, नफरत और कट्टर सोच का मखौल उड़ाती है. उनकी स्टूपिडिटी को सामने लाती है. फ़िल्म में इस कमेंट्री का आधार हालांकि हिटलर और नाज़ी जर्मनी है. लेकिन ये टिप्पणी आज के नफरत के माहौल और इनटॉलरेंस पर भी है. फ़िल्म में रोज़ी एक जगह जोजो से कहती है - "तुम बहुत तेजी से बड़े हो रहे हो. 10 साल के बच्चों को वॉर नहीं सेलिब्रेट करने चाहिए, राजनीति पर बातें नहीं करनी चाहिए. तुम्हे पेड़ों पर चढ़ना चाहिए. और फिर उन पेड़ों से गिरना चाहिए. लाइफ एक तोहफा है. हमें वो सेलिब्रेट करना चाहिए. हमें नाचना चाहिए. ताकि ईश्वर को बता सकें हम जीवित हैं इसलिए आपके एहसानमंद हैं." जब रोज़ी को चौराहे पर लटका दिया जाता है उससे पहले तक वो यही सोचती है - "उम्मीद कि मेरा लास्ट बच्चा एक आम बच्चा है, कोई भूत नहीं."
इस मूवी को टाइका वाइटिटी ने डायरेक्ट किया है. वो न्यूज़ीलैंड से आते हैं. बड़ा विशिष्ट और रॉ ह्यूमर है उनका. जैसे कोई ठंडी हवा बह रही हो. करीब 20 साल के करियर में छह फीचर और कुछ शॉर्ट फ़िल्में बनाई हैं. अपनी अधिकतर फ़िल्मों में एक्टिंग भी करते हैं. जैसे 'जोजो रैबिट' में इमैजिनरी हिटलर का रोल उन्होंने खुद ही किया है. इस फ़िल्म से पहले उनकी 'बॉय' (2010) और 'हंट फॉर द वाइल्डर पीपल' (2016) के केंद्रीय पात्र भी बच्चे ही थे.

टाइका. बॉय. हंट फॉर द वाइल्डर पीपल.
हर विषय को ताज़ा ट्रीटमेंट देने के चलते मार्वल जैसे बड़े स्टूडियो ने उनको अपनी सुपरहीरो फ़िल्म 'थॉरः रैग्नारॉक' (2017) डायरेक्ट करने को दी. भारतीय रुपयों के हिसाब से इसने करीब 6000 करोड़ कमाए. 'जोजो रैबिट' का आइडिया उनको इसके बाद नहीं आया बल्कि 2010 में आया था जब उनकी मां ने एक किताब उनको पढ़ने को दी. क्रिस्टीन लूनन्स की 'कैजिंग स्काइज़'. इसका मिजाज थोड़ा सीरियस था. वे 2012 में इस पर फ़िल्म बनाने जा रहे थे . लेकिन डिस्ट्रैक्ट हो गए और दूसरे प्रोजेक्ट बनाते रहे. फिर 2019 में 'जोजो रैबिट' लाए.
मूवी में स्कारलेट जोहानसन ने जोजो की मां रोज़ी का रोल किया है. वे 2019 में 'मैरिज स्टोरी' (ऑस्कर नॉमिनेशन) और 'अवेंजर्सः एंडगेम' जैसी फ़िल्मों में भी दिखी थीं.
इस मूवी में जोजो का रोल किया है रोमन ग्रिफिन डेविस ने. वो ब्रिटिश-फ्रेंच एक्टर हैं. 12 बरस के. पूरा घर फ़िल्मों से जुड़ा है. मां राइटर-डायरेक्टर. पिता और दादा सिनेमैटोग्राफर. दो जुड़वा भाई हैं जो 'जोजो रैबिट' में भी दिखते हैं. रोमन का चेहरा और चपलता बहुत सम्मोहक है. ये उनकी पहली फ़िल्म है और देखते हुए ऐसा ज़रा भी नहीं लगता. वे तैयार एक्टर लगते हैं.
इस फ़िल्म के दूसरों से प्रेम करने वाले मैसेज के अलावा जो सबसे बड़ा विमर्श रहा है वो ये कि क्या वर्ल्ड वॉर 2 के दौरान हुए यहूदी नरसंहार जैसे विषय पर कॉमेडी बनाई जा सकती है? ये एक बहस की बात है कि क्या वो एंटरटेनमेंट की वस्तु हो सकती है? अगर ख़ासतौर पर 'जोजो रैबिट' की बात करें तो वो कहीं से भी उस त्रासदी को भुनाने की कोशिश नहीं करती. बल्कि उसका एक नवीन सिनेमाई तरीके से उपयोग करती है ताकि आज के समय में लोगों को फिर वही गलती दोहराने से रोका जा सके. ख़ुद चैपलिन ने 1940 में 'द ग्रेट डिक्टेटर' में हिटलर का रोल किया था. उस मूवी में दी गई उनकी लंबी स्पीच आज भी प्रासंगिक और ताकतवर है. अब इस फ़िल्म में टाइका हिटलर के रोल में दिखे हैं. वे कहते हैं कि इस पात्र में हिटलर जैसा कुछ नहीं है सिवा छोटी सी मूंछ के. वो एक 10 साल के बच्चे के दिमाग से उपजा किरदार है. और हिटलर के ऑथेंटिक चित्रण की उनकी कोई तमन्ना या रुचि नहीं थी. कि वो इसका हकदार नहीं.

'द ग्रेट डिक्टेटर' में चैपलिन. 'लाइफ इज़ ब्यूटीफुल' में मौत के मुंह में जाते हुए भी बच्चे को हंसाने के लिए खेल करता पिता.
1997 में रोबेर्तो बेनिनी की कॉमेडी फ़िल्म 'लाइफ इज़ ब्यूटीफुल' में भी इस मसले का चित्रण था. एक ऐसे दुबले-पतले आदमी की कहानी जो नाज़ी यातना शिविर में अपने बच्चे के सामने हंसी-ठिठोली, खेल और एक्टिंग करता रहता है ताकि इस जगह की भयावहता का उसे अंदाजा न हो. टाइका का कहना है कि नाज़ियों जैसे नृशंस लोगों से डील करने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि उन पर हंसा जाए. उनका मखौल उड़ाया जाए. कॉमेडी ऐसा औजार भी है जो लोगों को इंगेज करता है, उन्हें भीतर खींचता है जिसके बाद उन्हें मैसेजिंग दी जा सकती है. वे कहते हैं - "क्या ये अजीब नहीं है कि 2019 में भी किसी को ऐसी फ़िल्म बनानी पड़ रही है जिसमें लोगों को एक्सप्लेन किया जा रहा है कि उनको नाज़ी नहीं होना चाहिए."
2020 के ऑस्कर में 'जोजो रैबिट': छह नॉमिनेशन मिले. एक जीता.
बेस्ट पिक्चर - कार्थ्यू नील, टाइका वाइटिटी, चैल्सी विनस्टैनली राइटिंग (एडेप्टेड स्क्रीनप्ले) - टाइका वाइटिटी सपोर्टिंग एक्ट्रेस - स्कारलेट जोहानसन फिल्म एडिटिंग - टॉम ईगल्स प्रोडक्शन डिज़ाइन - रा विन्सेंट, सेट डेकोरेशन - नॉरा सोप्कोवा कॉस्ट्यूम डिज़ाइन - मेज़ सी. रूबियो
2020 की ऑस्कर सीरीज़ की अन्य फ़िल्मों के बारे में पढ़ें: Parasite – 2020 के ऑस्कर में सबको तहस नहस करने वाली छोटी सी फ़िल्म
1917 – इस ऑस्कर की सबसे तगड़ी फ़िल्म जिसे देखते हुए मुंह खुला का खुला रह जाता है
Judy – वो महान एक्ट्रेस जिसे भूख लगने पर खाना नहीं गोलियां खिलाई जाती थीं
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