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कौन हैं वो 5 महिलाएं जिनपर 'मिशन मंगल' बेस्ड है

इनपर अलग-अलग 5 फ़िल्में बन सकती हैं.

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वो महिला वैज्ञानिक, जिनकी वजह से 'मंगलयान' मिशन सफल रहा.

'मिशन मंगल' फिल्म रिलीज़ हो गई है. सिनेमा हॉल में जाकर आप देख सकते हैं. बताने वाली बात नहीं है, लेकिन फिर भी बता देते हैं कि फिल्म इंडिया के मंगलयान मिशन पर बनी है. इसमें लीड रोल में अक्षय कुमार हैं. साथ ही पांच एक्ट्रेसेज़ भी हैं- विद्या बालन, तापसी पन्नू, सोनाक्षी सिन्हा, कीर्ति कुलहड़ी, नित्या मेनन. इन हिरोइन्स ने असल मंगलयान मिशन में तगड़ा काम करने वाली महिला साइंटिस्ट का रोल प्ले किया है. इस आर्टिकल में हम आपको उन्हीं महिला साइंटिस्ट के बारे में बताएंगे, जो मंगलयान मिशन की असली हिरोइन्स हैं, लेकिन पहले इस मिशन के बारे में जान लेते हैं.


क्या है मंगलयान मिशन?

5 नवंबर 2013 के दिन एक स्पेसक्राफ्ट लॉन्च हुआ था, यानी अंतरिक्ष में छोड़ा गया था. ISRO/इसरो (इंडियन स्पेस रीसर्च आर्गेनाइजेशन) ने लॉन्च किया था. ये स्पेसक्राफ्ट ही मंगलयान है. इसे लॉन्च करने वाले मिशन को मिशन मंगलयान, या मार्स ऑर्बिटिंग मिशन यानी MOM (मॉम) भी कहते हैं. 24 सितंबर 2014 से ये स्पेसक्राफ्ट मंगल ग्रह के चक्कर लगा रहा है.


'मिशन मंगल' फिल्म इंडिया के मंगलयान मिशन पर बनी है. 15 अगस्त के दिन फिल्म रिलीज़ हुई है.
'मिशन मंगल' फिल्म इंडिया के मंगलयान मिशन पर बनी है. 15 अगस्त के दिन फिल्म रिलीज़ हुई है.

मंगलयान की लॉन्चिंग के साथ ही, इसरो मार्स पर पहुंचने वाली चौथी स्पेस एजेंसी बन गई थी. इससे पहले रोस्कोस्मोस, नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ही मंगल ग्रह तक पहुंच पाई थी. इस पूरे प्रोजेक्ट में बाकी स्पेसक्राफ्ट के मुकाबले बहुत कम खर्चा आया था. 450 करोड़ रुपए में ये प्रोजेक्ट पूरा किया गया था. इसरो के 500 वैज्ञानिकों की टीम ने इस प्रोजेक्ट में काम किया था.

मिशन मंगलयान में महिला वैज्ञानिकों ने पहले के मुकाबले भारी संख्या में काम किया था. करीब 27 फीसद अहम पद महिला वैज्ञानिकों ने संभाला था. इन्हीं महिलाओं में से 5 महिला सांइटिस्ट के बारे में आगे जानिए-

मीनल संपत

कोलकाता में जन्म हुआ. अहमदाबाद की 'निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी' से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की. गोल्ड मेडल लिया और इसरो पहुंच गईं. करियर की शुरुआत इसरो में सेटेलाइट कम्युनिकेशन्स इंजीनियर के तौर पर की. अभी इसरो में वैज्ञानिक और सिस्टम इंजीनियर हैं.

मॉम में प्रोजेक्ट मैनेजर और सिस्टम इंजीनियर के तौर पर दो साल तक काम किया. दिन के 18-18 घंटे बिना खिड़की वाले बंद कमरे में गुज़ारने पड़ते थे. मिशन मंगलयान के दौरान दो साल तक एक भी छुट्टी नहीं ली.


मीनल संपत. दो साल तक बीना छुट्टी के काम किया था मॉम में. फोटो- ट्विटर
मीनल संपत. दो साल तक बीना छुट्टी के काम किया था मॉम में. फोटो- ट्विटर

मीनल जब छोटी थीं, तो सफेद कपड़े पहने वैज्ञानिकों को देखकर खुश होती थीं. मन में सोचती थीं कि ये सारे काम करना कितना अच्छा होता होगा. तभी सोच लिया था कि वैज्ञानिक बनना है. बचपन से ही दूसरों की मदद करना अच्छा लगता था.

एक इंटरव्यू में मीनल ने कहा था,

'आम लोगों की मदद करने का मेरा सपना था. जब उन लोगों ने मॉम की सफलता के बारे में खबरों में देखा, न्यूज़ पेपर में पढ़ा होगा, तो उनके मन में आया होगा कि हां ऐसा भी हो सकता है. ये बात खुशी देती है.'

अनुराधा टी के

इसरो में प्रोग्राम डायरेक्टर हैं. बेंगलुरु में साल 1961 में जन्म हुआ था. बचपन से ही मैथ्स और साइंस पढ़ना अच्छा लगता था. 1969 में नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चंद्रमा पर कदम रखा था. पहली बार कोई इंसान चंद्रमा पर चला था. उस वक्त अनुराधा काफी छोटी थीं. नील के चंद्रमा पर पहुंचने की खबर ने इन्हें तगड़ा इंस्पायर किया. वो सोचने लगीं कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है. तब से ही स्पेस में दिलचस्पी और बढ़ गई. फैसला कर लिया कि अब स्पेस साइंटिस्ट ही बनेंगी.


अनुराधा टीके की तस्वीर. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट
अनुराधा टीके जब छोटी थीं, तब नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने उन्हें इंस्पायर किया था. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट

कर्नाटक की विश्वेश्वरैया यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग की. फिर 1982 में इसरो से जुड़ गईं. वहां पहली महिला सेटेलाइट प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनीं. स्पेस की फील्ड में लगातार काम करते चली गईं. 2003 में 'स्पेस गोल्ड मेडल' जीता. 2011 में 'सुमन शर्मा' अवॉर्ड जीता. मॉम का हिस्सा बनीं. प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर काम किया.

अनुराधा लड़कियों को स्पेशल मैसेज देती हैं. वो कहती हैं,

'लड़कियों अपना फोकस पूरी तरह से क्लीयर रखो. तुम्हें पता होना चाहिए कि क्या करना चाहती हो. खुद को रास्ते से भटकने मत दो. दूसरों के विचारों से प्रभावित मत हो. जो तुम्हें सही लगता है, वो करो.'

रितू करिधल-

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्म हुआ. बचपन से ही स्पेस साइंस में तगड़ी दिलचस्पी थी. रात भर जागकर आसमान में देखती थीं और स्पेस की दुनिया के बारे में सोचा करती थीं. रात में आसमान में छाए काले अंधेरे और चमकते सितारों के आगे की दुनिया के बारे में जानना चाहती थीं. इसलिए स्पेस के रहस्यों को जानने के रास्ते पर चल पड़ीं. यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ से फिजिक्स में BSc की. IISc यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस का एंट्रेंस टेस्ट पास किया और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.


रितू करिधल की तस्वीर. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट
रितू करिधल बचपन से ही अंधेरे के पीछे की दुनिया के बारे में जानना चाहती थीं. तस्वीर. फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट

1997 में इसरो जॉइन कर लिया. कई सारे मिशन में काम किया. बड़ा ब्रेक मिला मिशन मंगलयान में. मॉम में डिप्टी ऑपरेशन्स डायरेक्टर बनीं. मिशन सफल रहा. फिर चंद्रयान-2 को लीड किया, ये मिशन भी सफल रहा. स्पेस की फील्ड में लगातार काम कर रही हैं. इसलिए इन्हें 'रॉकेट वुमन' भी कहते हैं.

नंदिनी हरिनाथ-

इसरो में रॉकेट साइंटिस्ट हैं. मां मैथ्स टीचर थीं और पिता इंजीनियर थे. सबको साइंस फिक्शन में दिलचस्पी थी. इसलिए नंदिनी ने बचपन में ही चारों तरफ साइंस, साइंस और सिर्फ साइंस को देखा था. उनकी भी दिलचस्पी पैदा हो गई.


नंदिनी हरिनाथ. फोटो- ट्विटर
नंदिनी हरिनाथ ने पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद पहली नौकरी के लिए इसरो में ही अप्लाई किया था. फोटो- ट्विटर

पढ़ाई पूरी करने के बाद सबसे पहले इसरो में ही नौकरी के लिए अप्लाई किया. जॉब मिल भी गई. आज इसरो के साथ काम करते हुए नंदिनी को 20 साल हो गए हैं. मॉम में प्रोजेक्ट मैनेजर और मिशन डिज़ाइन डिप्टी ऑपरेशन्स डायरेक्टर के तौर पर काम किया. अब तक इसरो के 14 मिशन्स में काम कर चुकी हैं.

मौमिता दत्ता-

फिज़िसिस्ट हैं. अहमदाबाद में इसरो का स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC) है. यहीं पर मौमिता सांइटिस्ट/इंजीनियर के तौर पर काम करती हैं. कोलकाता में जन्म हुआ. जब स्टूडेंट थीं, तब चंद्रयान मिशन के बारे में पढ़ा और सुना. तभी से स्पेस में दिलचस्पी पैदा हो गई. इसरो में जाने का सपना देखने लगीं. फिजिक्स पसंद थी, इसलिए इंजीनियर बनने का ठाना.


मौमिता दत्ता. फोटो- ट्विटर
मौमिता दत्ता. चंद्रयान के बारे में जानकर स्पेस में दिलचस्पी बढ़ी थी. फोटो- ट्विटर

यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता से एम.टेक करने के बाद अहमदाबाद में SAC यानी स्पेस एप्लीकेशन्स सेंटर जॉइन किया. उसके बाद से ही इसरो के बहुत से मिशन पर काम किया. मॉम का हिस्सा बनीं. प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर काम किया.



वीडियो देखें: फिल्म रिव्यू: मिशन मंगल