इज़रायल तो उत्तर में एक पहाड़ी शहर है. पहले भी जा चुकी हूं वहां. कुछ दिन पहले ही गई थी. कार्मेल नाम की पहाड़ियों पर बना ये शहर बड़ा प्यारा लगा. यहां सबसे पहले ध्यान जाता है कार्मेल स्थित एक भव्य और बड़े गार्डेन की तरफ, जो लगभग पहाड़ की पूरी ऊंचाई तय करते शहर की दो मुख्य सड़कों के बीच से गुजरता है. बहाई! नाम तो सुना ही होगा. हमारी दिल्ली में भी है. देखा तो होगा ही- लोटस टेंपल.

लोटस टेंपल
मुझे अचरज हुआ कि इज़रायल में तो पहले ही तीन अब्राहमिक धर्म- जूडिज़्म, ईसाई और मुस्लिम सदियों से लड़ते आ रहे हैं (और ये कॉन्फ्लिक्ट खत्म होने के आसार नहीं दिखते). ऐसे में एक और धर्म की पूजा की महत्वपूर्ण जगह यहां कैसे हो सकती है! थोड़ा खंगालने पर जो पता चला, वो रिसर्च इस प्रकार है-
धर्मों की श्रृंखला में लेटेस्ट धर्म है बहाई. इसके संस्थापक पर्शिया (आज के दौर का ईरान) के कुलीन घर के मिर्ज़ा हुसैन अली थे, जिन्हें उनके अनुयायियों ने बहाईउल्ला की उपाधि दी थी. बहाईउल्ला खुद बाब के अनुयायी थे. बाब ईरान में जन्मे और धार्मिक अध्येता थे, जिनके लिखे धार्मिक ग्रंथ बहाई धर्म की बुनियाद बने. बाब को 30 साल की उम्र में मार दिया गया था.

बहाईउल्ला
पर्शिया से प्रतिबंध लगने के बाद बहाईउल्ला अपने अनुयायियों के साथ एक्को शहर आए, जो उस समय ओटोमन एंपायर में था और आज इज़रायल में है. यहां आते ही उन्हें कैद कर लिया गया, लेकिन धीरे-धीरे उन पर लगी पाबंदियों में नरमियां आती गईं.

1927 में हिंदुस्तान के कराची में एक बहाई परिवार
- अरबी और पर्शियन से निकले शब्द 'बहाई' का अर्थ होता है 'भव्य'.
- बहाई धर्म की शुरुआत 1884 में हुई थी.
- आज बहाई धर्म के करीब 50 से 70 लाख अनुयायी हैं, जो दुनियाभर के 218 देशों में फैले हुए हैं.
- बहाई धर्म में कोई पुजारी नहीं होता.
- इस धर्म की सीखों के मुताबिक हर इंसान को सत्य की तलाश खुद ही करनी चाहिए.
- बाकी अद्वैतवाद संबंधी धर्मों की तरह ये भी मानते हैं कि ईश्वर एक है और सभी धर्मों का एक ही उद्देश्य है.
- बहाई धर्म में सभी लोगों की एकता पर जोर दिया गया है और खुले तौर पर जातिवाद या राष्ट्रवाद को अस्वीकार किया गया है.
- इसके मुख्य सिद्धांत बहाई धर्म का आधार स्थापित करती हैं- ईश्वर की एकता, धर्म की एकता और मानवता की एकता.
इसके अलावा और धार्मिक डीटेल्स चाहते हैं, तो आप गूगल या विकीपीडिया कर ही सकते हैं.
तो वापस आते हैं बहाई गार्डेन पर. ये दो लाख स्क्वायर मीटर ज़मीन में फैला, सीढ़ीनुमा आकार में है, जिसमें करीब 18 टेरेस हैं. शहर की तीन प्रमुख सड़कें इनसे होती हुई गुज़रती हैं, पर गार्डेन्स को अंदर ही अंदर जोड़े रखने के लिए फुट-ओवरब्रिज बनाए गए हैं. यहां पर बाब का मंदिर है. गार्डेन बनाने वाले कैनेडियन आर्किटेक्ट थे. गार्डेन में दोनों ईस्टर्न-वेस्टर्न स्टाइल देखने को मिल जाती है. जैसे मोर की मूर्तियां, जो ईरानी मूल की हैं और हाउस ऑफ जस्टिस, जो रोमन स्टाइल में बना है.

बहाई गार्डेन
बहाई धर्म का मानना है कि आध्यात्मिक विकास के लिए ध्यान लगाना यानी मेडिटेशन बहुत ज़रूरी है. इसलिए चाहे लोटस टेंपल हो या हाइफा का बहाई गार्डेन, दोनों जगह शांत रहने पर जोर दिया गया है, क्योंकि अगर आप शांत होकर अपने अंदर झांकेंगे, तभी अपनी गलतियां भी महसूस होंगी और आध्यात्मिक और मानसिक विकास हो जाएगा. वरना लोगों की तू तू-मैं मैं में ज़िंदगी खत्म हो जाएगी.

हाइफा बहाई गार्डन से शहर और पोर्ट का नज़ारा
तो अगर आप इज़रायल जाएं, तो हाइफा ज़रूर जाएं. वरना कम से कम लोटस टेंपल देखकर ही खुश हो जाएं.
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