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फिर तेजी से फैल रहा कोरोना वायरस, वैक्सीन से बने एंटीबॉडी रोक पाएंगे?

जहां तक भारत का सवाल है, तो Ministry Of Health And Family Welfare के Covid-19 Dashboard के मुताबिक, अभी देश में कोरोना वायरस के 257 एक्टिव मामले हैं. बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शिरोडकर और सनराइजर्स हैदराबाद के बैटर ट्रेविस हेड को भी कोविड-19 हो गया है.

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लोग कोविड-19 से ठीक से उभर भी नहीं पाते, कि इसके मामले फिर बढ़ने लगते हैं

दुनिया कोविड-19 से ठीक से उभर भी नहीं पाती, कि इसके मामले फिर से बढ़ने लगते हैं. इस बार एशिया के कई देशों में ऐसा हो रहा है. सिंगापुर, हांग कांग, चीन और थाइलैंड जैसे देशों में कोरोना वायरस के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं.

सिंगापुर की बात करें, तो अप्रैल के आखिरी हफ्ते में यहां कोविड-19 के 11,100 मामले थे. मई की शुरुआत में ये मामले बढ़कर 14,200 से ज़्यादा हो गए. यानी एक हफ्ते के भीतर 28% की बढ़ोत्तरी. अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज़ों की संख्या भी 30% तक बढ़ गई. हालांकि राहत की बात ये है कि गंभीर मरीज़ों की संख्या कम हुई है.

वहीं, हांग कांग में 4 मई से 10 मई के बीच, यानी एक हफ्ते में कोविड-19 के 1,042 मामले दर्ज किए गए थे. ये मामले इससे पिछले हफ्ते में 972 थे. मार्च की शुरुआत में हांग कांग में हर हफ्ते बहुत ही कम, सिर्फ 33 केस सामने आ रहे थे. लेकिन, धीरे-धीरे कोविड-19 के मामलों की संख्या बढ़ने लगी और अब मई में, हर हफ्ते हज़ार के करीब मामले सामने आ रहे हैं. ये मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं.

इसी तरह, चीन और थाइलैंड में भी कोविड-19 के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. इन देशों की सरकारें कोविड के बढ़ते मामलों पर नज़र रखे हुए हैं.

जहां तक भारत का सवाल है, तो Ministry Of Health And Family Welfare के Covid-19 Dashboard के मुताबिक, अभी देश में कोरोना वायरस के 257 एक्टिव मामले हैं. बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शिरोडकर और सनराइजर्स हैदराबाद के बैटर ट्रेविस हेड को भी कोविड-19 हो गया है.

मगर सिंगापुर और हांग कांग जैसे देशों में कोविड-19 के मामले क्यों बढ़ रहे हैं. इसके पीछे कौन-सा वेरिएंट हैं. क्या भारत में भी कोविड-19 की लहर आ सकती है. हम बचे रहें, इसके लिए क्या सावधानियां बरतना ज़रूरी है. और, जिन लोगों को वैक्सीन और बूस्टर डोज़ लग चुकी है. क्या उनके लिए कोई चिंता की बात है. चलिए, डॉक्टर से समझते हैं. 

सिंगापुर और हांग कांग जैसे देशों में कोविड-19 के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

ये हमें बताया डॉक्टर धीरेन गुप्ता ने.

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डॉ. धीरेन गुप्ता, सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट, सर गंगा राम हॉस्पिटल, नई दिल्ली

इन देशों में कोविड-19 के मामले बढ़ने की दो वजहें हैं- एक इंसान से जुड़ी और दूसरी वायरस से. हमें 5 साल पहले वैक्सीन लगी थी, वो डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ लगी थी. अब नया वेरिएंट आ चुका है, जिसमें काफी बदलाव हो गए हैं. हमारी पुरानी एंटीबॉडीज़ कमज़ोर या खत्म हो चुकी हैं. जब एंटीबॉडी कमज़ोर हो जाती हैं, तो नए वायरस वेरिएंट से संक्रमित होने का चांस बढ़ जाता है. दूसरी तरफ, वायरस ने भी खुद को काफी हद तक बदल लिया है. नया वायरस वेरिएंट बहुत खतरनाक नहीं है, इसलिए इससे ज़्यादा मौतें नहीं होतीं. हालांकि, इस वजह से ये ज़्यादा लोगों में फैल सकता है. वायरस के लगातार बदलने की वजह से, पुरानी एंटीबॉडीज़ इस पर असरदार नहीं रहतीं. भले ही किसी के शरीर में ज़्यादा एंटीबॉडी हों, वो इस नए वायरस को रोक नहीं पातीं.

कोविड-19 के ये मामले कोरोना के किस वेरिएंट के कारण बढ़ रहे हैं?

हांग कांग और सिंगापुर में जो वायरस फैल रहा है, वो JN.1 वेरिएंट का नया रूप है. जैसे LF.7 और NB.1.8, ये सब-वेरिएंट्स हाल ही में सामने आए है. ये सब-वेरिएंट्स बहुत तेज़ी से फैलते हैं. इनके लक्षण आम वायरल बुखार से मिलते जुलते हैं. जैसे खांसी आना, ज़ुकाम होना, नाक बंद होना. कुछ लोगों को दस्त लग जाते हैं और पेट दर्द भी होता है. डेल्टा वेरिएंट में जहां निमोनिया आम लक्षण था. वहीं, इन नए वेरिएंट्स में निमोनिया कम देखने को मिल रहा है.

क्या भारत में भी कोविड-19 की लहर आ सकती है?

हमें कोविड-19 का इंफेक्शन करीब 5 साल पहले हुआ था. वैक्सीन भी 4 साल पहले लगी थी. बहुत संभावना है कि हमारी एंटीबॉडीज़ अब कमज़ोर हो चुकी होंगी. ऐसे में कोविड-19 के मामले भारत में भी बढ़ सकते हैं. हमारे देश में लोग एक-दूसरे के बहुत पास रहते हैं. इससे वायरस के फैलने का चांस बढ़ जाता है. हालांकि अभी गर्मियों का मौसम चल रहा है. इतनी गर्मी में वायरल इंफेक्शन थोड़ा कम ही फैलते हैं.

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कोविड-19 से जुड़े लक्षण हों, तो मास्क लगाएं और तुरंत डॉक्टर से मिलें (फोटो:Freepik)

क्या सावधानियां बरतना ज़रूरी है?

वायरस का नया वेरिएंट बहुत ही आम लक्षण पैदा करता है. इससे जानलेवा निमोनिया नहीं होता. फिर भी, 1 साल से कम उम्र के बच्चे और 65 साल से ज़्यादा उम्र वाले लोग ख़तरे में हैं. खासकर जिनमें एक साथ दो या उससे ज़्यादा बीमारियां हैं. जैसे डायबिटीज़, हाइपरटेंशन, पहले से निमोनिया है, COPD या कमज़ोर इम्यूनिटी है. ऐसे मरीज़ों में इंफेक्शन का चांस थोड़ा ज़्यादा होता है. जहां ऐसे मरीज़ रह रहे हैं, वहां सावधानी बरतने की ज़रूरत है. जैसे घर में आने पर मास्क लगाएं. बार-बार हाथ साफ करें. कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोगों से थोड़ी दूरी बनाएं. बाक़ी लोगों को ज़्यादा घबराने या सावधानियां बढ़ाने की ज़रूरत नहीं है. 5 साल पहले जो दौर आया था, उसके दोहराए जाने के चांस कम हैं.

अगर कोविड केस बढ़े तो लग चुके बूस्टर और वैक्सीन रक्षा कर पाएंगे?

जो वैक्सीन अब तक लगी हैं, वो पुरानी हैं. इसलिए, उनका असर अब कम हो गया है. अगर नई तरह की वैक्सीन ईजाद हो, तो कमज़ोर इम्यूनिटी वालों को थोड़ी मदद मिल सकती है. वैसे भी इस वेरिएंट के लक्षण ज़्यादा घातक नहीं हैं. लिहाज़ा, अभी वैक्सीन पर ज़्यादा ज़ोर देना जरूरी नहीं है. 

अभी भारत में मामले नहीं बढ़ रहे हैं, इसलिए फिलहाल हमें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. लेकिन, अगर आपको सांस से जुड़ा कोई इंफेक्शन हो गया है, जिसके लक्षण कोविड-19 से मिलते जुलते हैं. तो आप तुरंत मास्क लगाएं और डॉक्टर से मिलें. अपना पूरा इलाज कराएं और घर पर आइसोलेट रहें, ताकि इंफेक्शन दूसरों में न फैले.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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