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जो बाइडेन को हुआ प्रोस्टेट कैंसर कितना खतरनाक है?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन को प्रोस्टेट कैंसर डायग्नोस हुआ है. उनका ग्लीसन स्कोर 9 है. ये ग्लीसन स्कोर बताता है कि कैंसर कितना ज़्यादा गंभीर है.

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जो बाइडेन को 16 मई के दिन कैंसर होने का पता चला

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन को कैंसर डायग्नोस हुआ है (Joe Biden Prostate Cancer). बीते रविवार को उनके ऑफिस ने एक स्टेटमेंट जारी कर बताया कि जब पिछले हफ्ते पूर्व प्रेसिडेंट जो बाइडेन को पेशाब से जुड़े कुछ लक्षण नज़र आए तो उनकी जांच की गई. टेस्ट में उनकी प्रोस्टेट ग्रंथि में एक गांठ पाई गई है. फिर शुक्रवार, 16 मई को उन्हें प्रोस्टेट कैंसर होने का पता चला. 

बताया गया कि कैंसर के सेल्स पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति की हड्डियों तक फैल चुके हैं. उनका ग्लीसन स्कोर 9 है. ये बीमारी का ज़्यादा आक्रामक रूप है. बाइडेन और उनका परिवार इलाज के तरीकों को लेकर डॉक्टरों के साथ लगातार चर्चा कर रहा है.

मगर प्रोस्टेट कैंसर होता क्या है? इसके शुरुआती लक्षण क्या हैं? जब प्रोस्टेट कैंसर हड्डियों तक फैल जाए, तो इसे कितना गंभीर माना जाता है? प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए कौन-से टेस्ट कराने चाहिए? और ये ग्लीसन स्कोर क्या है? ये सब हमने पूछा एंड्रोमेडा कैंसर हॉस्पिटल, सोनीपत में ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर रमन नारंग से.

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डॉ. रमन नारंग, सीनियर कंसल्टेंट, ऑन्कोलॉजी, एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल, सोनीपत

डॉक्टर रमन कहते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर, पुरुषों में होने वाला एक बहुत ही आम कैंसर है. ये ज़्यादातर बुज़ुर्गों को होता है, पर कई बार इसके मामले युवाओं में भी देखे जाते हैं. प्रोस्टेट कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि में होता है. नींबू के आकार की ये ग्रंथि पेशाब की थैली के नीचे होती है और सीमन बनाने में मदद करती है. जब इस ग्रंथि में सेल्स असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं, तो कैंसर बन जाता है. ये कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन समय पर पहचान न होने की वजह से ये यूरिनरी सिस्टम, सीमन प्रोडक्शन और हड्डियों जैसे दूसरे अंगों पर भी असर डाल सकता है.

अगर कैंसर शरीर के दूसरे अंगों तक फैल जाए तो इसे मेटास्टेटिक कैंसर (Metastatic Cancer) कहा जाता है और ये बहुत ही गंभीर माना जाता है. जो बाइडेन का कैंसर इसी स्टेज पर है. इससे दर्द, कमज़ोरी और चलने-फिरने में दिक्कत हो सकती है. कैंसर का इलाज भी मुश्किल हो जाता है, लेकिन, दवाओं और थेरेपी की मदद से लक्षणों को कम किया जा सकता है.

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प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए PSA टेस्ट किया जाता है

प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए PSA ब्लड टेस्ट, DRE यानी डिजिटल रेक्टम एग्ज़ाम और प्रोस्टेट बायोप्सी की जाती है. जब कैंसर होने का पता चल जाता है, तब डॉक्टर ग्लीसन स्कोर देखते हैं. ये एक स्केल है, जो बताता है कि कैंसर कितना गंभीर है. ये 2 से 10 के बीच होता है. अगर स्कोर 9 या 10 हो, तो इसका मतलब कैंसर बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है और तुरंत इलाज की ज़रूरत है. ग्लीसन स्कोर जितना ज़्यादा होता है, कैंसर उतना ही आक्रामक माना जाता है. इसलिए, प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है.

अगर किसी को पेशाब करने में दिक्कत हो रही है. जैसे जलन या पेशाब रुक-रुक हो रहा है. रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना पड़ रहा है. य पेशाब में खून आ रहा है. तो बिना देर किए यूरोलॉजिस्ट से मिलें और अपनी जांच कराएं. वहीं, अगर किसी के परिवार में कोई प्रोस्टेट कैंसर का मरीज़ है तो ऐसे लोग भी 45-50 साल की उम्र में अपनी जांच करा लें. ऐसे लोगों को प्रोस्टेट कैंसर होने का रिस्क, बाकी लोगों से 3-4 गुना ज़्यादा होता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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