The Lallantop

इज़रायल को भारत से चाहिए बीस हजार ब्लू कॉलर वर्कर, मगर ये ब्लू-वाइट कॉलर जॉब होती क्या है?

ब्लू कॉलर नौकरियों का पूरा तीन-पांच समझ लीजिए. 'ब्लू कॉलर जॉब' होती क्या है? किन देशों में होती है? व्हाइट कॉलर जॉब से ये कितनी अलग हैं?

post-main-image
नीलपोश नौकरियों की स्थिति क्या है? (सांकेतिक तस्वीर)

इज़रायल और हमास की जंग (Israel-Hamas War) का कहर तो फ़िलिस्तीनियों पर टूटा, लेकिन फिर 'जंग तो ख़ुद ही एक मसला है, जंग क्या मसअलों का हल देगी.. आग और ख़ून आज बख़्शेगी, भूख और एहतियाज कल देगी'. नुक़सान दोनों का ही होना है. किसी का आज, किसी का कल. अब इज़रायल भी आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है. जंग की वजह से इज़रायल में फ़िलिस्तीनी मज़दूरों की कमी हो गई है. हज़ारों फ़िलिस्तीनियों को ग़ाज़ा में वापस भेजने के बाद, इज़रायल अब ब्लू कॉलर जॉब्स (blue collar jobs) के लिए मज़दूर खोज रहा है. भारत के मज़दूरों के लिए वैकेंसी जारी कर रहा है. हालांकि, अभी तक कुछ भी फ़ाइनल नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि वे लगभग 20,000 भारतीय मज़दूरों को इज़रायल में लाने पर विचार कर रहे हैं.

अब इस आपदा में अवसर खोजते हुए कई राज्य सरकारों ने वैकेंसी जारी कर दी. हरियाणा की खट्टर सरकार ने 10,000 मज़दूरों को इज़रायल भेजने का प्रस्ताव रखा. इस क़दम की आलोचना भी हुई, कि एक युद्धग्रस्त देश में भारतीयों को भेजना ख़तरनाक़ है. बहरहाल, हम इस विवाद में नहीं जाएंगे. 

  • ये मज़दूर वहां क्या क्या करेंगे?
  • 'ब्लू कॉलर जॉब' होती क्या है? 
  • किन देशों में होती है? 

ये बताते हैं.

नीली शर्ट पहन कर नौकरी पर जाना होता है?

नहीं, 'ब्लू कॉलर' को शाब्दिक न लें. नीली शर्ट पहनने की कोई बाध्यता नहीं है. ब्लू-कॉलर नौकरियां माने वर्किंग क्लास नौकरियां, आमतौर पर जिसके लिए प्रति घंटा के हिसाब से पैसे मिलते हैं. कंसट्रक्शन, मैनुफ़ैक्चरिंग, खनन या मेनटेनेंस की नौकरियां, जिसमें शारीरिक श्रम लगे या स्किल्ड व्यापार शामिल हो. मसलन, मैकेनिक, पावर प्लांट चलाने वाला, इलेक्ट्रीशियन, राज मिस्त्री, फ़ैक्ट्री कर्मी, मशीन ऑपरेटर, ट्रक ड्राइवर, वग़ैरह.

सलमान ख़ान की दो फ़िल्में याद करिए: 'भारत' और 'टाइगर ज़िंदा है'. 'भारत' में सलमान का किरदार भरत कुमार अपनी बहन की शादी के लिए पैसे कमाने सऊदी अरब जाता है. वहां उसे अपनी चीफ़ इंजीनियर कुमुद (कैटरीना कैफ़ के किरदार) से प्यार हो जाता है. इसके आगे हैपिली एवर आफ़्टर. 'टाइगर ज़िंदा है' में सलमान का किरदार टाइगर, नर्सों को बचाने के लिए इराक़ जाता है. अपनी टीम के साथ. इस फ़िल्म में भी तेल रिफ़ाइनरी के मज़दूर बन कर जाता है. मतलब ब्लू कॉलर जॉब.

ये भी पढ़ें - नौकरी के लिए इंडिया से कनाडा गया, दो दिन में क्या हो गया?

ब्लू कॉलर जैसा ही होता है वाइट कॉलर. वर्किंग क्लास की फ़ूड-चेन में ब्लू कॉलर से ऊपर. वाइट कॉलर या सफ़ेदपोश नौकरियों में प्रशासनिक और प्रबंधकीय काम शामिल हैं, जिनमें शरीर से ज़्यादा दिमाग़ ख़र्च हो. इन नौकरियों के लिए दिहाड़ी की जगह वेतन मिलता है और इसीलिए पढ़ाई-लिखाई, डिग्री चाहिए होती है. फ़ूड चेन में ज़्यादा 'प्रतिष्ठित' और 'वांछनीय' मानी जाती हैं.

वैसे तो कॉलरों की कमी नहीं है. रेड, ऑरेंज, ग्रीन, स्कार्लेट, ब्राउन, ग्रे.. भतेरे कॉलर्स हैं. काम के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े हुए. पर मुख्यतः वाइट और ब्लू ही हैं. इन दोनों के अलावा 'पिंक कॉलर' को ज़रा-सा समझ लें. ये ब्लू कॉलर नौकरियों का ही हिस्सा है, बस इसमें सीधे लोगों से डील करना होता है. मसलन, वेटर, सेल्सपर्सन, बिना लाइसेंस वाले सहायक कर्मचारी, वग़ैरह.

वाइट, ब्लू.. नाम कहां से आए?

फ़ोर्ब्स में छपे एक आर्टिकल के मुताबिक़, 'ब्लू कॉलर' शब्द 20वीं सदी की शुरुआत में गढ़ा गया था. तब फ़ैक्ट्री मज़दूर नीले डेनिम या कैम्ब्रिक जैसे टिकाऊ मटेरिलय के कपड़े पहनते थे. गहरा रंग गंदगी और ग्रीस को छिपाने में मदद करता था. रोज़ धोने की बहुत ज़रूरत नहीं पड़ती थी.

वाइट कॉलर को बटन-डाउन, सफ़ेद शर्ट पहनने वाले पेशेवर पहनने वालों के लिए इस्तेमाल किया जाता था. फिर अमेरिकी नॉवलकार अप्टन सिंक्लेयर ने 1930 के दशक में इसे और फैलाया. उन्होंने इसे क्लर्की, मैनेजर लेवल की नौकरियों के लिए संदर्भित किया.

नीलपोश भारतीय कहां-कहां हैं?

शहरों में जिन्हें नौकरी नहीं मिली, उन्होंने शहर बदले. राज्य में नहीं मिली, तो राज्य बदला. देश में नहीं मिली, तो देश छोड़ना पड़ा. सालों-साल से भारतीय अलग-अलग देशों में ब्लू कॉलर नौकरियों के लिए जा रहे हैं. मज़दूर भेजने वाले राज्यों में सबसे ऊपर बिहार, उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु है. द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, फरवरी, 2021 में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने भारत के स्किल्ड मज़दूरों के लिए 12 देशों में फैली 42 लाख वैकेंसियां चिन्हित की थीं.

ये भी पढ़ें - क्या खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीयों को भी मिलेगा डाक से वोट डालने का अधिकार?

और, यहां से सबसे ज़्यादा लोग जाते कहां हैं? जहां रोज़ी मिले. खाड़ी देशों से लेकर अमेरिका, सिंगापुर, कनाडा, यूरोप तक. सबसे ज़्यादा सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, क़तर, क़ुवैत और ओमान. 2021 के स्किल मंत्रालय के बयान के मुताबिक़, 42 लाख में से खाड़ी में 26 लाख, यूरोपीय देशों में 3 लाख और अमेरिका, सिंगापुर, न्यूजीलैंड जैसे देशों में लगभग 10 लाख नौकरियां थीं.