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क्या नवाज़ शरीफ़ की पाकिस्तान में वापसी होने वाली है?

पनामा पेपर लीक मामले में जेल जा चुके हैं नवाज़.

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पनामा पेपर लीक मामले में जेल जा चुके हैं नवाज़. (AFP)

4 अप्रैल 2016 की सुबह पाकिस्तानियों के लिए आम नहीं थी. उस दिन पाकिस्तान के अखबारों में एक न्यूज़ छपी थी. न्यूज़ का संबंध था तत्लाकिल पीएम नवाज़ शरीफ़ से. डॉन अखबार ने सुर्खी लगाई थी,

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‘Panama Papers’ reveal Sharif family’s ‘offshore holdings’

अंदर ख़बर में नवाज़ शरीफ पर टैक्स बचाने के लिए विदेशों में संपत्ति खरीदने के आरोप लगाए गए थे. जैसे ही ये ख़बर टीवी न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया में पहुंची, वैसी ही पाकिस्तान की राजनीति में एक नए भूचाल की शुरुआत हो गई, टीवी डिबेट्स सिर्फ इसी मुद्दे से भर गई थी. विपक्षी नेताओं ने नवाज़ को घेरना शुरू किया. उस समय इमरान खान ने कहा था ‘मैं नवाज़ शरीफ से पूछना चाहता हूं, आपकी इनकम कितनी है? आप टेक्स कितना देते हैं? विदेशों में आपने कितना पैसा छिपाकर रखा हुआ है? मैं नवाज़ शरीफ़ से गुज़ारिश करता हूं, जितनी भी संपत्ति हो उसे सबके सामने उजागर करें’

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बयानों के सिलसले तो कुछ दिन चले फिर मामला कोर्ट पहुंचा. कोर्ट में नवाज़ शरीफ़ को दोषी ठहराया गया. और उन्हें पीएम के पद से हटा दिया गया. जुलाई 2018 में उन्हें 10 साल की जेल की सज़ा हुई. पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा था कि किसी प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में पीएम पद से हटाया गया हो. और उसे जेल की सज़ा हुई हो. याद कीजिए, इससे पहले भी 1999 में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने तख़्तापलट करके नवाज़ शरीफ़ को प्रधानमंत्री पद से हटाकर उन्हें नज़रबंद कर लिया था. बाद में उनके साथ डील की कि वो दस साल के लिए मुल्क छोड़कर चले जाएं.

पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ़ 

लेकिन अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आज हम नवाज़ शरीफ़ की चर्चा अचानक क्यों कर रहे हैं? वजह ये है कि लंदन में नवाज़ शरीफ़ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज़ (PML-N) के नेताओं की एक मीटिंग हुई है. मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़ इस बैठक में नवाज़ शरीफ की पाकिस्तान वापसी पर चर्चा की गई. मीटिंग के बाद नवाज़ शरीफ़ ने पत्रकारों से बात भी की जिसमें उन्होंने पूर्व आर्मी चीफ़ जनरल क़मर जावेद बाजवा और आइएसआइ प्रमुख रह चुके फैज़ हमीद को मुल्क के हालात के लिए दोषी ठहराया. लेकिन मीडिया में सुर्खी बनी नवाज़ शरीफ़ की संभावित वापसी.

आइए समझते हैं,

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नवाज़ शरीफ़ के पीएम पद से हटाए जाने की कहानी क्या है?
लंदन में हुई इस मीटिंग में क्या बात हुई?
और नवाज़ शरीफ़ कब तक पाकिस्तान में वापस आ सकते हैं?

जुलाई 2017 में अदालत ने नवाज़ शरीफ़ को सज़ा सुनाई. ये तय हो चुका था कि अब वो पीएम नहीं रहेंगे. पाकिस्तान का कोई सरपरस्त नहीं रह गया था. अटकलें लगाईं जा रही थी कि रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को पीएम बनाया जाएगा फिर सत्ता की कमान नवाज़ शरीफ के छोटे भाई शहबाज़ शरीफ़ को सौंप दी जाएगी. लेकिन ये सब अटकलें गलत साबित हुई. पीएम बनाया गया शाहिद ख़ाक़ान अब्बासी को.

पर इन सबकी नौबत आई नवाज़ के पीएम पद से हटाए जाने के बाद. अगर उनका नाम पनामा पेपर्स लीक में नहीं आता तो ये सब नौबत आती ही नहीं. तो आइए सबसे पहले समझते हैं. ये पनामा पेपर्स लीक मामला है क्या? कैसे नवाज़ शरीफ़ को इस मामले में दोषी ठहराया गया. अप्रैल 2016 में इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (ICIJ) ने ‘पनामा पेपर्स’ प्रकाशित किए , जिसमें दुनिया के कुछ अमीर लोगों के एकाउंट्स और शेल कंपनियों के माध्यम से टेक्स चोरी का पर्दाफाश किया गया था. इन दस्तावेजों में नवाज़ शरीफ के परिवार का नाम भी शामिल था. लेकिन इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म को ये खज़ाना हाथ कहां से लगा?

‘ज़ुडॉच्चे ज़ाइटुंग’ नाम का एक जर्मन अखबार है. इस अखबार को ‘मोस्सैक फोंसेका’ नाम की एक कंपनी के 1.15 करोड़ से ज्यादा लीक्ड डॉक्यूमेंट हासिल हो गए. इस अखबार ने ये सभी डॉक्यूमेंट इंटरनेशनल कंसॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (ICIJ) के साथ शेयर किए. ICIJ एक ऐसा संस्थान है जो दुनियाभर के पत्रकारों और मीडिया हाउसेज के साथ काम करता है. इसने ये दस्तावेज़ दुनियाभर के मीडिया संस्थानों के साथ भी शेयर किए. ‘मोस्सैक फोंसेका’ कंपनी पनामा में रजिस्टर्ड थी इसलिए इन दस्तावेजों को पनामा पेपर्स कहा गया.

इन पेपर्स में कई लोगों के कथित अवैध लेनदेन का रिकॉर्ड मौजूद था. इन लोगों पर टैक्स चोरी से बचने के लिए ऑफशोर कंपनियों में गैरकानूनी ढंग से निवेश करने के आरोप लगे थे. इसकी वजह ये थी कि ये कंपनियां ऐसे देशों में खोली गईं थी जहां टैक्स में आसानी से लोचा किया जा सकता था. माने कंपनियों के मालिकाना हक और लेनदेन पर टैक्स का कोई चक्कर ही नहीं. ये थी पनामा पेपर्स की कहानी.  

अब अपने टॉपिक पर वापस लौटते हैं.

4 अप्रैल 2016 को पनामा पेपर्स में नवाज़ शरीफ़ का नाम आया और 5 अप्रैल को उन्होंने आरोपों की जांच के लिए एक न्यायिक समिति का गठन भी कर दिया. लेकिन विपक्ष ने इस सिमिति का विरोध किया, कहा कि इसमें नवाज़ ने अपने लोग सेट कर दिए हैं, जिससे मामले की स्वतंत्र जांच कभी नहीं हो पाएगी. वहीं नवाज़ शरीफ़ लगातार आरोपों से इनकार करते रहे, आरोप-प्रत्यारोप के दौर में 8 महीने कब बीत गए इसका पता ही नहीं चला, मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था, फिर नवंबर महीने की 1 तारीख को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया कि वो मामले की जांच को आगे बढ़ाएगा. फिर मामले में एंट्री हुई कतर के शहजादे की. दरअसल इस जांच में नवाज़ के लंदन वाले फ्लैट पर भी बात हो रही थी. सवाल उठा कि इसे भी पैसों के फर्जीवाड़े से खरीदा गया है. इसके बचाव में 7 नवंबर 2016 को नवाज़ शरीफ ने सुप्रीम कोर्ट में एक चिट्ठी जमा की. ये चिट्ठी थी क़तर के प्रिंस हमद बिन अब्दुल्ला अल थानी की. इसमें कहा गया था कि उन्होंने नवाज़ शरीफ़ के परिवार को लंदन में फ्लैट खरीदने के लिए पैसा मुहैया कराया था. ये सौदा एक उनकी कंपनी के ज़रिए हुआ था. प्रिंस की कंपनी ने साल 1980 में नवाज़ के फ्लैट पर पैसा लगाया था. साल 2006 में नवाज़ शरीफ के बेटे हुसैन नवाज और क़तर के प्रिंस के परिवार के बीच निवेश का निपटारा हो गया था.

पनामा मामले में नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरयम नवाज़ का नाम भी था, 6 जनवरी 2017 को उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी संपत्ति का ब्योरा पेश किया. जांच आगे बढ़ी 5 मई को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने आगे के लिए एक जॉइंट इन्वेस्टीगेटिंग टीम (JIT) का गठन किया. इस टीम ने नवाज़ शरीफ़ के बेटों हसन नवाज़ और हुसैन नवाज़ के पास सवालों की एक लंबी लिस्ट भेजी. पर अख़बारों में ख़बरें छपीं कि दरअसल ऐसी कोई लिस्ट हुसैन नवाज़ को भेजी ही नहीं गई. बहरहाल, दोनों भाइयों को पूछताछ के लिए बुलाया गया मगर इस पूछताछ से कुछ निकला नहीं. उधर, नवाज़ को अपने कुर्सी की चिंता सताए जा रही थी. वो इस मामले को रफा-दफा करने के लिए हाथ-पैर मार रहे थे. एक वक्त पर पाकिस्तान के सबसे ताकतवर पद पर बैठा हुआ इंसान बेबस था.

नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरयम नवाज़

जब JIT को जांच में कुछ हाथ नहीं लगा तो उसने पाकिस्तान की सुप्रीम को एक रिपोर्ट भेजी. इस रिपोर्ट में आरोप नवाज़ शरीफ सरकारी संस्थाओं का इस्तेमाल कर जांच में रुकावट पेश कर रहे हैं. जब ये बात पब्लिक डोमेन में आई तो नवाज़ के प्रतिद्वंदी एक बार फिर एक्टिव हो गए. इमरान ने नवाज़ को घेरना शुरू किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब नवाज़ शरीफ से पूछ-ताछ की जानी चाहिए. 15 जून को नवाज़ शरीफ के लीए JIT की तरफ से बुलावा आया. नवाज़ वक्त से हाज़िर हुए. पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा था कि कोई प्रधानमन्त्री किसी जांच एजेंसी के सामने पूछ-ताछ के लिए हाज़िर हुआ हो.

नवाज़ शरीफ़ से पूछ-ताछ के बाद उनके छोटे भाई और उस समय के पंजाब प्रांत के सीएम शहबाज़ शरीफ़ को बुलवाया आया. JIT ने इसके बाद एक आखिरी बार नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम नवाज़ से पूछ-ताछ की. और 10 जुलाई को JIT ने अपनी फाइनल रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश कर दी. 21 जुलाई 2017 को नवाज़ शरीफ़ की किस्मत का फैसला हो चुका था. उस दिन तीन जजों की बैंच ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. लेकिन सुनाया नहीं.

फैसला आया 28 जुलाई 2017 को. इस दिन सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने सर्वसम्मति से फ़ैसला किया कि मियाँ नवाज़ शरीफ़ पीएम पद पर रहने लायक़ नहीं हैं. अब उनको क्या सज़ा मिलनी थी ये पाकिस्तान में सबसे बड़ी चर्चा का विषय था. इस चर्चा का अंत हुआ ठीक एक साल बाद जुलाई 2018 में. उन्हें 10 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई. वो दिसंबर 2018 से मार्च 2019 तक जेल में रहे. लेकिन खराब तबियत की वजह से कुछ समय बाद जेल से बाहर आए. और नवंबर 2019 में मेडिकल इमरजेंसी पर बेल लेकर लंदन चले गए. तब से लेकर अब तक वो लंदन में ही रह रहे हैं. नवाज़ लंदन में रहते हैं. लेकिन पाकिस्तान की सिसायत में उनका असर-रसूख़ कम नहीं हुआ है. इमरान खान की कुर्सी जाने के बाद नवाज़ शरीफ़ के छोटे भाई शहबाज़ शरीफ़ पीएम की कुर्सी संभाल रहे हैं. कहा जाता है कि छोटे भाई को कुर्सी दिलाने में उनका ही हाथ था. समय-समय में उनकी पार्टी PML-N के नेता लंदन में उनसे मिलने जाते रहते हैं. ऐसी ही एक मीटिंग की वजह से आज हम उनकी चर्चा कर रहे हैं.

तो अब इस मीटिंग के बारे में भी कुछ जान लेते हैं,

19 जनवरी 2023 को PKL-N के नेताओं की लंदन के स्टैनहोप हाउस में एक बैठक हुई. इस बैठक में राणा सनाउल्लाह, परवेज राशिद और जावेद लतीफ भी मौजूद थे. पाकिस्तान के अखबार डॉन ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस मीटिंग में नवाज़ शरीफ़ की पाकिस्तान में वापसी पर चर्चा की गई है. साथ ही पंजाब प्रांत में मची सियासी उथल-पुथल पर भी बात हुई. मीडिया रिपोर्ट्स में ख़बरें भी चल रही थी कि नवाज़ शरीफ कई दिनों से गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह से मिलना चाहते थे. एक सूत्र ने अखबार डॉन को मीटिंग के बारे में बताया,

‘बैठक बहुत अच्छे माहौल में हुई. नवाज़ शरीफ़ ने राणा साहब से कहा हम 4 दिन से आपके आने का इंतजार कर रहे हैं. नवाज़ शरीफ ने राणा से ये भी कहा कि हमने पिछले कुछ दिनों का होमवर्क पूरा कर लिया है. और इसे जल्द ही आपके सामने पेश किया जाएगा.’

राणा सनाउल्लाह

सूत्र ने ये दावा भी किया कि इस मीटिंग को बुलाने की ख़ास वजह थी नवाज़ शरीफ की वापसी. और पाकिस्तान की सियासत में आगे नवाज़ शरीफ का रोल.

मीटिंग खत्म होने के बाद नवाज़ ने कुछ पत्रकारों से भी बात की, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व आर्मी चीफ़ जनरल बाजवा पर तंज कसा. और उन्हें मुल्क के हालातों के लिए ज़िम्मेदार बताया. उन्होंने कहा,‘हम इस मुल्क को इन हालात से बाहर निकालेंगे, ये मुमकिन नहीं है कि पाकिस्तान दोबारा अपने पांव पर खड़ा न हो सके. हमने पहले भी पाकिस्तान की खिदमत की है. उस ‘मैड-मैन’ ने पाकिस्तान को इन हालत में पहुंचाया है.’

मैड-मैन से नवाज़ का इशारा इमरान ख़ान की तरफ था. वो पहले भी अक्सर उनपर तंज कसते रहे हैं. वहां इमरान ख़ान सत्ता में लौटने के लिए अब भी जद्दोजहद में लगे हुए हैं. और यहां नवाज़ शरीफ़ अपनी वापसी की तैयारी में. इस बीच पाकिस्तान आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. 19 जनवरी को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर और PML-N के नेता बलिगुर्रहमान ने कहा था कि नवाज़ शरीफ़ फरवरी में पाकिस्तान आएंगे.

नवाज़ शरीफ़ एक ऐसे नेता हैं जो पिछले क़रीब चालीस बरस से किसी न किसी हैसियत से पाकिस्तान की राजनीति को प्रभावित करते रहे हैं. अब अगर वो अपने वतन लौटे तो वहाँ की सियासत में क्या गुल खिलाएंगे? ये ऐसा दिलचस्प सवाल है जिस पर आने वाले दिनों में सबकी नज़र रहेगी. पाकिस्तान की सियासत पर नज़र तो लल्लनटॉप की भी रहेगी और सभी जानकारियाँ हम आप तक पहुंचाते रहेंगे.

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