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हैदराबाद ट्विन ब्लास्ट: 2 विस्फोटों, 42 मौतों के बाद अभी पूरे शहर में 19 बम और फटने बाकी थे

'हमेशा लगता है कि वही दर्द और भय हमें आज भी जकड़े हुए है. ज़िंदगी आगे बढ़ जाती है लेकिन विस्फोट, चीखें, अंधेरा जिसने हमें कुछ क्षणों में ही निगल लिया, वो कभी ख़त्म न होगा.’

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फोटो - thelallantop

अगस्त 2007 का लॉन्ग वीकेंड. 25, 26 को क्रमशः शनिवार, रविवार और 27, 28 को ओणम और राखी. भारत के हर शहर के मार्केट, मॉल और पार्क लोगों की चहल-पहल से गुलज़ार थे. लेकिन ये लॉन्ग वीकेंड हैदराबाद के लोगों को एक गहरा घाव देकर जाने वाला था. घाव जो आज 11 साल बाद भी नहीं भरा.




शनिवार की वो फुर्सत भरी शाम मातम की रात में बदल गई, जब पौने आठ बजे के लगभग एक के बाद एक दो बम धमाके हुए. हैदराबाद के अलग-अलग हिस्सों में. पहला लुंबिनी पार्क में और दूसरा गोकुल चाट भंडार में.
हैदराबाद के टूरिस्ट स्पॉट्स में से एक, लुंबिनी पार्क, जिसका नाम गौतम बुद्ध के जन्मस्थान के नाम पर रखा गया था. गौतम बुद्ध वही जो सदियों से शांति के पर्यायवाची रहे हैं. वही बुद्ध जिन्हें पूरी दुनिया में भगवान बुद्ध के नाम से जाना जाता है. वही बुद्ध जो अफगानिस्तान में भी एक बार इसी घृणा और नफ़रत का शिकार हुए थे. अफ़सोस कि ये घृणाएं ‘अंगुलिमाल’ की घृणा से कहीं ज़्यादा इंटेंस थीं, कि कोई बुद्ध, कोई ईश्वर उस घृणा को प्रेम में नहीं बदल पाया.
अहमदनगर के अमृतवाहिनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग संगमनेर के छात्रों का एक समूह इसी लुंबिनी पार्क में लेजर शो का आनंद ले रहा था. अभी शो शुरू ही हुआ था जब ऑडिटोरियम इस विस्फोट से हिल गया. ग्रुप में से सात लोग मारे गए.
Blast - 1
25 अगस्त, 2018. ग्यारह साल बाद गोकुल चाट भंडार को उस दिन की याद में बंद रखा गया है. उस दिन बच गए लेकिन अपंग हो गए लोगों में कई लोग श्रद्धांजली देने आए हैं. डेक्कन क्रोनिकल के अनुसार पीड़ितों में से दो लोग रहीम और के. शंकर बताते हैं
‘हर साल हम इस जगह पर आते हैं. हमेशा लगता है कि वही दर्द और भय हमें आज भी जकड़े हुए है. ज़िंदगी आगे बढ़ जाती है, लेकिन...
...लेकिन विस्फोट, चीखें, अंधेरा जिसने हमें कुछ क्षणों में ही निगल लिया, वो कभी ख़त्म न होगा.’
क्या ये केवल एक दुर्योग था कि इससे ठीक चार साल पहले यानी 25 अगस्त, 2004 को मुंबई में एक ट्विन बॉम्बिंग हुई थी. उसमें 52 आम नागरिकों की जानें गई थीं. हैदराबाद वाली ट्विन बॉम्बिंग में 42 लोगों की जानें गईं.
Blast - 2
ये आंकड़ा बढ़ सकता था अगर पूरे शहर को दहलाने के उद्देश्य से जगह-जगह रखे गए 19 और बम भी फट जाते. वो 19 बम जिन्हें पुलिस ने अगले दिन बरामद किया. हर जगह से. पार्क से, बस स्टॉप के पास से, मूवी हॉल से. अजब भय का माहौल था.
आंकड़े दुनिया की सबसे असंवेदनशील शै हैं. ‘इतने’ लोग मरे. ‘इतने’ ज़ख़्मी हुए. ‘इतने’ अनाथ हुए. ‘इतने’ पैसे दिए. ‘इतने’ लोग पकड़े गए. इस सभी वाक्यों में ‘इतने’ को किसी भी संख्या से विस्थापित कर दो...
...इस ‘इतने’ के पीछे किसी एक के दर्द और आंसू हमेशा से छुपते रहे हैं. वो शॉक, वो फटी रह गई आंखें, वो कराहें और वो घटनाक्रम जिसने ख़ुशी को दुःख में एक क्षण में बदल दिया, इनमें से किसी भी संख्या, किसी भी ‘इतने’ में नहीं आ सकता.
वो कौन सा मकसद है, जो लोगों को मार देने से प्राप्त हो जाता है. कोई भी हो, इंसानियत तो नहीं.
हैदराबाद के लोकल कोर्ट ने कहा था कि वो 27 अगस्त, 2018 को इसका फैसला देगी. अब फैसला 4 सितंबर, 2018 को सुनाया जाएगा.
सैयद रहीम (तस्वीर: The News Minute) पीड़ित सैयद रहीम (तस्वीर: The News Minute)


विस्फोट की जांच कर रहे तेलंगाना काउंटर इंटेलिजेंस (सीआई) सेल ने जांच के दौरान तीन अलग-अलग आरोपपत्रों में सात लोगों पर आरोप तय किया था. अगस्त 2013 में मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीशों (एमएसजे) की अदालत ने अनिक शफीक सैयद, मोहम्मद सादिक, अकबर इस्माइल चौधरी और अंसार अहमद बादशाह शेख के खिलाफ आरोप लगाए थे. ये सभी कथित तौर पर इंडियन मुजाहिद्दीन से संबंध रखते थे. जांच के दौरान लगभग 170 गवाहों से पूछताछ की गई.
अंत में एक घिस चुकी लाइन जिसके अर्थ बहुत ज़यादा डाईल्यूट हो चुके हैं लेकिन शायद कभी इसके भीतर छुपी संवेदनाओं तक हम पहुंच पाएं -
फैसला जो भी लेकिन गई जिंदगियां कभी वापस नहीं आएंगी! कभी नहीं!!



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