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नकल करने वाली जो बाइडन की वो कलम जिस पर ट्रंप ने विवाद खड़ा कर दिया है

अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने पहले तो Autopen को नकारा लेकिन बाद में इस पर भरोसा दिखाया. अब ये पेन White House का एक ओपेन सीक्रेट बन गई है.

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कई अमेरिकी राष्ट्रपति ऑटोपेन का इस्तेमाल करते रहे हैं. (फाइल फोटो: एजेंसी)

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने जो बाइडन (Joe Biden) की एक कलम को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. ट्रंप से पहले बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति थे. उनका कहना है कि बाइडन आधिकारिक दस्तावेजों पर साइन करने के लिए ऑटोपेन (Joe Biden Autopen) का इस्तेमाल करते थे.

पिछले कुछ समय से ट्रंप इस मामले में बाइडन पर आरोप लगा रहे थे. अब उन्होंने आदेश दिया है कि इस बात की जांच की जाए कि इस ऑटोपेन का इस्तेमाल कैसे और कहां-कहां हुआ? 

4 जून को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर उन्होंने कहा कि ऑटोपन सबसे बड़ा राजनीतिक घोटाला है.

Trump Autopen Biggest Political Scam
डॉनल्ड ट्रंप का पोस्ट.
ऑटोपेन है क्या?

ऑटोपेन को रोबोट पेन भी कहते हैं. इस मशीन का इस्तेमाल किसी के हस्ताक्षर की नकल करने के लिए किया जाता है. मशीन पर असली सिग्नेचर को स्कैन किया जाता है. इसके बाद वो मशीन कागज पर ठीक उसी तरह से साइन कर देती है. तस्वीर देखिए-

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ऑटोपेन की तस्वीर. (फाइल फोटो: AP)

इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है?

वैसे लोग जिनको दिन में बहुत सारे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने होते हैं, ये मशीन उनके काम आती है. न्यूज एजेंसी AP की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति दशकों से ऑटोपेन का इस्तेमाल करते आए हैं. इसमें ट्रंप का नाम भी शामिल है.

ट्रंप ने मुद्दा क्यों बनाया?

कुछ समय पहले एक अमेरिकी थिंक टैंक हेरिटेज फाउंडेशन ने दावा किया कि बाइडन ने अधिकतर दस्तावेजों पर ऑटोपेन से हस्ताक्षर किए थे. ट्रंप का आरोप है कि इनमें कुछ बेहद संवेदनशील डॉक्यूमेंट भी थे. इन दावों को वहां की मीडिया ने खूब बढ़ा चढ़ाकर दिखाया. लेकिन ट्रंप की असल आपत्ति इस बात से नहीं है. उनका कहना है कि बाइडन के खराब स्वास्थ्य के बहाने उनके सहयोगियों ने ऑटोपेन से उनके हस्ताक्षर लिए. इसी आधार पर वो बाइडन के हस्ताक्षर वाले कई आदेशों को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं.

हालांकि, बाइडन की टीम ने आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने कहा है कि उनके कार्यकाल के दौरान लिए गए सारे फैसले उनके खुद के थे.

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1803 में ऑटोपेन का पेटेंट कराया गया 

शेपेल मैनुस्क्रिप्ट फाउंडेशन के मुताबिक, अमेरिका में ऑटोपेन को साल 1803 में पेटेंट कराया गया. हालांकि, ऐसा माना जाता है कि इसके पहले भी इस तरह के रोबोट पेन का इस्तेमाल होता था. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन ने पहली बार एक ऑटोपेन खरीदा था. शेपेल फाउंडेशन का कहना है कि जेफरसन के बाद कई राष्ट्रपतियों ने इस पर भरोसा किया. शुरुआत में तो वाइट हाउस ने आधिकारिक तौर इसके इस्तेमाल को नकारा. लेकिन धीरे-धीरे ये एक ओपेन सीक्रेट बन गया. हालांकि, कुछ राष्ट्रपति इसके इस्तेमाल में अतिरिक्त सावधानी बरतते रहे हैं.

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के बारे में कहा जाता है कि वो ऑटोपेन पर बहुत ज्यादा निर्भर थे. इस मामले पर एक किताब लिखी गई. किताब का शीर्षक दिया गया, ‘द रोबोट दैट हेल्प टू मेक ए प्रेसिडेंट’.

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ऑटोपेन के इस्तेमाल पर जॉन एफ कैनेडी को लेकर कई थ्योरी चलती हैं.

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ऑटोपेन की संवैधानिक मान्यता क्या है?

2005 में पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने किसी विधेयक पर ऑटोपेन से हस्ताक्षर करने की इच्छा जताई. उन्होंने ‘डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस’ से पूछा कि क्या ऐसा करना संवैधानिक होगा. उनको छूट दी गई यानी कि उन्हें इसकी अनुमति मिल गई. लेकिन उन्होंने ऐसा किया नहीं. बल्कि उन्होंने उस बिल पर हस्ताक्षर ही नहीं किया. 

मई 2011 में बराक ओबामा ने फ्रांस में जी8 शिखर सम्मेलन के दौरान एक विधेयक पर ऑटोपेन से साइन किया. अमेरिकी इतिहास में ये पहला मौका था जब किसी राष्ट्रपति ने किसी विधेयक पर इससे हस्ताक्षर किया. इसके बाद उन्होंने कई विधेयक पर इससे दस्तख्त किए.

अब तक ऑटोपेन से होने वाले हस्ताक्षर को चुनौती नहीं दी गई थी. न ही किसी अमेरिकी अदालत ने इस मामले में जांच के कोई आदेश दिए. हालांकि, धोखाधड़ी के मामले पर संज्ञान लेने के लिए कानून जरूर हैं.

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कितने में मिलता है ऑटोपेन?

ऑटोपेन बेचने वाली UUNA TEK नाम की एक कंपनी के मुताबिक, इसकी कीमतें इसके मॉडल और इसके फीचर्स पर निर्भर करते हैं. इसका ‘मॉडल 80’ या ‘प्रेसिडेंशियल ग्रेड मॉडल’ 5,000 डॉलर से 10,000 डॉलर (4.3 लाख रुपये - 8.6 लाख रुपये) के बीच मिलता है. 

इसके एडवांस मॉडल की कीमत 20,000 डॉलर (लगभग 17.2 लाख रुपये) से अधिक हो सकती है.

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