अगस्त 2022 की बात है, BJP ने छत्तीसगढ़ में अचानक एक फैसला लिया. इस फैसले ने पार्टी के अंदर और बाहर कईयों को चौंका दिया. पार्टी ने अपने छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष को अचानक हटा दिया और सांसद अरुण साव को इस पद पर बिठा दिया. फैसला हैरानी वाला कई वजहों से था. जिन्हें हटाया गया था वो पार्टी में सबसे बड़े आदिवासी चेहरा थे. नाम विष्णुदेव साय. दूसरा राज्य में विधानसभा चुनाव को साल भर ही बचा था, ऐसे में BJP का ये निर्णय उसे आगामी चुनावों में भारी भी पड़ सकता था. एक और वजह ये भी थी कि अरुण साव कोई बड़ा नाम नहीं थे, केवल एक बार के सांसद थे. विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने BJP के इस फैसले को एंटी-आदिवासी कहकर खूब प्रचारित किया. लेकिन, अब साल भर बाद जब छत्तीसगढ़ चुनाव के नतीजे आ चुके हैं, तो ये कहा जा सकता है BJP का वो दांव सफल रहा. और उसी दांव को आगे बढ़ाते हुए अब BJP ने अरुण साव को डिप्टी सीएम की कुर्सी थमा दी है.
अरुण साव: पहली बार विधायक बने नेता को BJP ने छत्तीसगढ़ का डिप्टी CM क्यों बना दिया?
Chhattisgarh में Arun Sao पर BJP ने जब भी दांव लगाया, तब-तब उसे सफलता मिली. अब इन्हें डिप्टी सीएम बनाकर BJP कौन सा लक्ष्य साधना चाहती है?

साल 2022 में अरुण साव को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपने के पीछे की पटकथा लिखी गई कांग्रेस का तोड़ ढूंढने के लिए. और साफ़ कहें तो कांग्रेस के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का तोड़ खोजने के लिए. दरअसल, छत्तीसगढ़ की आबादी में OBC वर्ग की हिस्सेदारी लगभग 45 फीसदी है. इस वर्ग के समर्थन ने ही 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित की थी. मतलब कांग्रेस को अधिकांश वोट इसी तबके का मिला था. इसीलिए कांग्रेस ने भी OBC वर्ग से आने वाले नेता भूपेश बघेल को सीएम पद की जिम्मेदारी सौंप दी.

इंडिया टुडे से जुड़े राजनीतिक मामलों के पत्रकार हिमांशु शेखर के मुताबिक BJP को भूपेश बघेल का तोड़ ढूंढना था, मतलब उसे किसी OBC नेता को पार्टी में बड़ा पद देना था. इसलिए उसने अगस्त 2022 में OBC वर्ग से आने वाले अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी. हिमांशु शेखर आगे बताते हैं कि BJP को अरुण साव इसलिए भी परफेक्ट लगे क्योंकि वो एक ऐसी जाति से आते हैं, जिसकी आबादी OBC वर्ग में सबसे ज्यादा है. साव साहू समाज से आते हैं. छत्तीसगढ़ में साहू समाज की ओबीसी वर्ग में आबादी करीब 20 से 22 फीसदी है.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो BJP को लगता है कि 2022 का उसका दांव सफल रहा और अब इसीलिए पार्टी हाईकमान ने अरुण साव पर फिर एक दांव लगाते हुए उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया. अब साव के जरिए BJP लोकसभा चुनाव में OBC वर्ग के वोट को अपने साथ जोड़े रखना चाहती है.
अरुण साव के लोकसभा टिकट ने क्यों हैरान किया?अरुण साव 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP के टिकट से बिलासपुर से सांसद चुने गए थे. साव मुंगेली जिले के रहने वाले हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने चौंका दिया था. तब BJP आलाकमान ने 2014 के चुनाव में 1.76 लाख वोटों से जीते लखनलाल साहू का टिकट काटकर उन्हें दे दिया था. लोकसभा चुनाव में भी साव ने शानदार जीत हासिल की. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अटल श्रीवास्तव को 1,41,763 वोटों के अंतर से हराया था.
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ABVP और RSS को BJP की जड़ें कहा जाता है. अरुण साव ने इसी जड़ से राजनीति शुरू की. मुंगेली से ग्रेजुएशन और बिलासपुर से कानून की डिग्री लेने के दौरान ABVP में सक्रिय रहे. 1990 में ABVP की मुंगेली जिला यूनिट के अध्यक्ष बने, बाद में ABVP की राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य भी रहे. 1996 में अरुण साव ने भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयूमो) के साथ अपने BJP करियर की शुरुआत की. 1996 में ही युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष बना दिए गए. साव ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की और राज्य के महाधिवक्ता के कार्यालय में उन्होंने काफी समय तक काम भी किया.
चलते-चलते आपको ये भी बता दें कि इनका आरएसएस और BJP में इंट्रेस्ट कैसे जगा. बचपन में अक्सर शाम को खाना खाते हुए इनके पिता अभयराम साव इन्हें संघ और इससे जुड़े बड़े नेताओं के किस्से सुनाते थे. यही सुनते-सुनते इनका इंट्रेस्ट जाग गया. अभयराम साव जनसंघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता और RSS के स्वयंसेवक थे. इनके करीबी बताते हैं कि बचपन में ही अरुण साव ने ठान लिया था कि चलना तो पिता की राह पर ही है, फिलहाल तो ये राह अभी डिप्टी सीएम तक पहुंची है. आगे कहां तक पहुंचेगी, ये तो वक्त ही बताएगा.
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