15 वीं सदी के अंत तक यूरोप के कई देश व्यापार के लिए पूर्व की तरफ बढ़ रहे थे. अरब देशों से व्यापार से उन्हें भारत का माल, जैसे कपास, मसाले आदि मिलते थे. लेकिन वो सीधे भारत से व्यापार नहीं कर पा रहे थे. यूरोप की अर्थव्यवस्था ख़स्ता हाल थी. उत्पादन और खेती के लिए वहां का मौसम अनुकूल नहीं था. इसलिए इस दौरान यूरोप से कई जहाज़ी बेड़े व्यापार के नए मौक़े खोजने के लिए निकलने लगे. यूरोप में इस काल को ‘ऐज ऑफ़ डिस्कवरी' कहा गया. स्पेन, फ़्रांस डच और पुर्तगाल इनमें सबसे आगे थे. ब्रिटेन की हालत कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी. 16वीं सदी के अंत तक व्यापार के नाम पर वो ज़्यादातर स्पेनिश और डच जहाज़ों में लूटपाट मचाया करता था.
जहांगीर का अंग्रेज़ी दोस्त जिसे वो 'खान हॉकिन्स' कहकर बुलाया करता था!
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में कदम रखते ही पहला दांव क्या चला?
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जहांगीर के दरबार में थॉमस रो (तस्वीर: www.parliament.uk)
आज 24 अगस्त है और आज की तारीख़ का संबंध है ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से.
15 वीं सदी के अंत तक यूरोप के कई देश व्यापार के लिए पूर्व की तरफ बढ़ रहे थे. अरब देशों से व्यापार से उन्हें भारत का माल, जैसे कपास, मसाले आदि मिलते थे. लेकिन वो सीधे भारत से व्यापार नहीं कर पा रहे थे. यूरोप की अर्थव्यवस्था ख़स्ता हाल थी. उत्पादन और खेती के लिए वहां का मौसम अनुकूल नहीं था. इसलिए इस दौरान यूरोप से कई जहाज़ी बेड़े व्यापार के नए मौक़े खोजने के लिए निकलने लगे. यूरोप में इस काल को ‘ऐज ऑफ़ डिस्कवरी' कहा गया. स्पेन, फ़्रांस डच और पुर्तगाल इनमें सबसे आगे थे. ब्रिटेन की हालत कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी. 16वीं सदी के अंत तक व्यापार के नाम पर वो ज़्यादातर स्पेनिश और डच जहाज़ों में लूटपाट मचाया करता था.मसालों का द्वीप
भारतीय उपमहाद्वीप से व्यापार करने में सबसे पहले सफलता मिली पुर्तगालियों को. 1498 में 'वास्को डी गामा' पुर्तगाल से यात्रा करता हुआ भारत पहुंचा और मालाबार कोस्ट पर मौजूद Calicut में उतरा. उसने भारत में व्यापार के कई ट्रेंडिंग पोस्ट बनाए. और इसी के साथ यूरोप में भारतीय महाद्वीप में व्यापार स्थापित करने को लेकर होड़ शुरू हो गई.
हेक्टर और विलियम हॉकिन्स
1603 में एलिज़ाबेथ की मृत्यु जो गई और ‘जेम्स VI’ ब्रिटेन का राजा बन गया. उसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी को दिए गए अधिकारों को बरकरार रखा. इसके बाद कम्पनी की दूसरी यात्रा शुरू हुई 1607 में. इस यात्रा में तीन जहाज़ थे. पहला था ‘रेड ड्रैगन’ दूसरा ‘कंसेंट’ और तीसरे जहाज़ का नाम था ‘हेक्टर’. हेक्टर का कप्तान था विलियम हॉकिन्स.
जहांगीर के दरबार में
जहांगीर के दरबार में पहुंचकर उसने ब्रिटेन के राजा जेम्स VI का संदेश सुनाया. और अपने साथ लाए बहुत से तोहफ़े दरबार में पेश किए. इन तोहफ़ों में ब्रिटेन के ख़ास चित्रकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स भी शामिल थी. जहांगीर इन तोहफ़ों से बहुत खुश हुआ. उसने हॉकिन्स को दरबार में राजदूत के तौर पर शामिल होने का न्योता दिया. दोनों पक्के शराबी थी. इसलिए कुछ ही दिनों में जहांगीर और हॉकिन्स की गहरी दोस्ती हो गई. हॉकिन्स की मंशा थी कि किसी तरह वो व्यापार के लिए जहांगीर को मना सके. नतीजतन उसने मुग़ल पोशाक पहनना शुरू कर दी. और वो मुग़ल अभिजात्य वर्ग की तरह ही पेश आने लगा. इस कारण जहांगीर ने उसे एक विशेष नाम दिया- खान हॉकिन्स.
मुग़ल दरबार में थॉमस रो
हॉकिन्स लगभग दो साल तक मुग़ल दरबार का हिस्सा बना रहा. उसकी बादशाह से बढ़ती नज़दीकी देख दरबारियों ने जहांगीर के कान भरने शुरू कर दिए. जिसके नतीजे में हॉकिन्स धीरे-धीरे जहांगीर की छत्र छाया से दूर होता चला गया. अंत में जब उसे लगा कि यहां उसकी दाल नहीं गलने वाली तो वो वापस ब्रिटेन की ओर लौट गया. हालांकि ब्रिटेन पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई.
15 वीं सदी के अंत तक यूरोप के कई देश व्यापार के लिए पूर्व की तरफ बढ़ रहे थे. अरब देशों से व्यापार से उन्हें भारत का माल, जैसे कपास, मसाले आदि मिलते थे. लेकिन वो सीधे भारत से व्यापार नहीं कर पा रहे थे. यूरोप की अर्थव्यवस्था ख़स्ता हाल थी. उत्पादन और खेती के लिए वहां का मौसम अनुकूल नहीं था. इसलिए इस दौरान यूरोप से कई जहाज़ी बेड़े व्यापार के नए मौक़े खोजने के लिए निकलने लगे. यूरोप में इस काल को ‘ऐज ऑफ़ डिस्कवरी' कहा गया. स्पेन, फ़्रांस डच और पुर्तगाल इनमें सबसे आगे थे. ब्रिटेन की हालत कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी. 16वीं सदी के अंत तक व्यापार के नाम पर वो ज़्यादातर स्पेनिश और डच जहाज़ों में लूटपाट मचाया करता था.
मसालों का द्वीप
भारतीय उपमहाद्वीप से व्यापार करने में सबसे पहले सफलता मिली पुर्तगालियों को. 1498 में 'वास्को डी गामा' पुर्तगाल से यात्रा करता हुआ भारत पहुंचा और मालाबार कोस्ट पर मौजूद Calicut में उतरा. उसने भारत में व्यापार के कई ट्रेंडिंग पोस्ट बनाए. और इसी के साथ यूरोप में भारतीय महाद्वीप में व्यापार स्थापित करने को लेकर होड़ शुरू हो गई.
कंपनी बहादुर लंदन के व्यापारियों ने मसालों से होने वाले फ़ायदे का स्वाद चख लिया था. इसलिए उन्होंने महारानी एलिजाबेथ के आगे एक अपील दायर की. अपील में इंडियन ओशियन में व्यापार की अर्ज़ी शामिल थी. स्पेन और पुर्तगाल पूर्व में ट्रेड मोनोपॉली बनाए हुए थे. वे इसे तोड़ना चाहते थे.
हेक्टर और विलियम हॉकिन्स
1603 में एलिज़ाबेथ की मृत्यु जो गई और ‘जेम्स VI’ ब्रिटेन का राजा बन गया. उसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी को दिए गए अधिकारों को बरकरार रखा. इसके बाद कम्पनी की दूसरी यात्रा शुरू हुई 1607 में. इस यात्रा में तीन जहाज़ थे. पहला था ‘रेड ड्रैगन’ दूसरा ‘कंसेंट’ और तीसरे जहाज़ का नाम था ‘हेक्टर’. हेक्टर का कप्तान था विलियम हॉकिन्स.
जहांगीर के दरबार में
जहांगीर के दरबार में पहुंचकर उसने ब्रिटेन के राजा जेम्स VI का संदेश सुनाया. और अपने साथ लाए बहुत से तोहफ़े दरबार में पेश किए. इन तोहफ़ों में ब्रिटेन के ख़ास चित्रकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स भी शामिल थी. जहांगीर इन तोहफ़ों से बहुत खुश हुआ. उसने हॉकिन्स को दरबार में राजदूत के तौर पर शामिल होने का न्योता दिया. दोनों पक्के शराबी थी. इसलिए कुछ ही दिनों में जहांगीर और हॉकिन्स की गहरी दोस्ती हो गई. हॉकिन्स की मंशा थी कि किसी तरह वो व्यापार के लिए जहांगीर को मना सके. नतीजतन उसने मुग़ल पोशाक पहनना शुरू कर दी. और वो मुग़ल अभिजात्य वर्ग की तरह ही पेश आने लगा. इस कारण जहांगीर ने उसे एक विशेष नाम दिया- खान हॉकिन्स.
मुग़ल दरबार में थॉमस रो
हॉकिन्स लगभग दो साल तक मुग़ल दरबार का हिस्सा बना रहा. उसकी बादशाह से बढ़ती नज़दीकी देख दरबारियों ने जहांगीर के कान भरने शुरू कर दिए. जिसके नतीजे में हॉकिन्स धीरे-धीरे जहांगीर की छत्र छाया से दूर होता चला गया. अंत में जब उसे लगा कि यहां उसकी दाल नहीं गलने वाली तो वो वापस ब्रिटेन की ओर लौट गया. हालांकि ब्रिटेन पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई.
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