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बिहार में सौ साल बाद जमीनों का सर्वे हो रहा है, राज्य से बाहर रहने वाले ये जरूर पढ़ें

Bihar में सरकार ने Special Land Survey शुरू करवाया है. सरकार और लोगों को इससे क्या फायदा होगा? बिहार में नहीं रहने वाले लोग कैसे जमा करा सकेंगे डॉक्यूमेंट? जमीन का कागज नहीं होने पर क्या होगा? जानें सब कुछ.

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बिहार में जमीन से जुड़े समस्याओं का निदान करने की दिशा में सरकार का बड़ा कदम (फोटो: Meta AI)

बिहार (Bihar Land survey) से आए दिन आपको जमीन से जुड़े झगड़ों की खबरें सुनने को मिल जाती हैं. इसके पीछे की बड़ी वजह सही कागजात का नहीं होना और पुराना रिकॉर्ड होता है. अब इन झंझटों को खत्म करने की दिशा में राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. उसने विशेष भूमि सर्वेक्षण (Special Land Survey) शुरू करवाया है. इसके जरिये जमीन का पूरा हिसाब-किताब अब नए सिरे से होगा.

सरकार की तरफ से 20 जिलों के 89 अंचलों में सर्वेक्षण कराया जा चुका है. बाकी 445 अंचलों में 20 अगस्त से शुरू हुआ है. ये सर्वे 45 हजार से अधिक गांवों में होने वाला है. इस सर्वे को लेकर सरकार ने हजारों कर्मचारियों की भर्ती की है. कहा गया है कि सर्वे के जरिये जहां काफी हद तक जमीन विवाद सुलझाने में मदद मिलेगी, वहीं सरकार को ये भी पता चल पाएगा कि कितनी जमीन सरकारी है और उस पर किसका कब्जा है. बिहार के सभी गांवों में ग्राम सभा का आयोजन करके और कैंप लगाकर लोगों को इस बारे में जानकारी दी जा रही है.

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कैंप लगाकर लोगों को दी जा रही जानकारी (फोटो: Meta AI)
सर्वे की जरूरत क्यों पड़ी?

दरअसल, बिहार में आखिरी बार तकरीबन 100 साल पहले जमीनी सर्वेक्षण हुआ था. जबकि रिविजनल सर्वे 1977 में हुआ था, जो हर जिले में हो भी नहीं पाया था. अब दिक्कत है कि सर्वे होने के बाद से कई लोग अपने मालिकाना हक वाली जमीन की खरीद-बिक्री कर चुके हैं. ऐसे में पुराने सर्वे का रिकॉर्ड अब किसी मतलब का नहीं है. क्योंकि उसका मालिकाना हक बदल चुका है. कई जमीनों का तो कई बार. इनके नक्शे तक बदल चुके हैं. ऐसे में सरकार की कोशिश इस सर्वे के जरिये पुराने नक्शे और खतियान को अपडेट करने की है.

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अब दिक्कत ये है कि काफी संख्या में मालिकाना हक वाले लोग बिहार से बाहर रहते हैं. सर्वे के बारे में सुनकर कुछ लोग परेशान भी हो रहे हैं. उनके मन में ये सवाल चल रहा है कि सर्वे के समय अगर हम अपने गांव में ना रहे तो क्या उस पर सरकार का कब्जा हो जाएगा? या फिर सर्वे में ये जमीन किसी और के नाम पर तो नहीं चली जाएगी? सर्वे में क्या डॉक्यूमेंट जमा करने होंगे और क्या ये डॉक्यूमेंट ऑनलाइन जमा किए जा सकते हैं? हमने इन सब सवालों के जवाब टटोलने की कोशिश की है. इसके लिए हमने बात की है समस्तीपुर जिले के ताजपुर प्रखंड की सर्किल ऑफिसर (CO) आरती कुमारी से.

खाता-खेसरा तक गायब

सर्वे की वजह के बारे में पूछे जाने पर आरती कुमारी ने बताया,

“सर्वे नहीं होने की वजह से लोगों के साथ-साथ हमें भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कई जमीन के खाता-खेसरा गायब रहते हैं. खतियान काफी पुराने होने की वजह से खराब हो जाते हैं या फट जाते हैं. ऐसे में सर्वे होने से सारे रैय्यत का खाता-खेसरा अपडेट हो जाएगा. इससे दाखिल-खारिज होने में भी आसानी हो जाएगी. कई बार बड़े प्लॉट का खाता-खेसरा एक ही होता है, उसे कई (लोग) मिलकर एक साथ खरीदते हैं. लेकिन इसमें दिक्कत ये होती है कि खेसरा नंबर एक ही रह जाता है. इस सर्वे के बाद सबका खेसरा अलग हो जाएगा.”

आरती कुमारी बताती हैं कि इस सर्वे में हर किसी का हिस्सा लेना जरूरी है, ताकि सही खाता-खेसरा मालिकों को पता चले. उन्होंने कहा,

“इस सर्वे में मालिकाना हक वाले सभी लोगों का भाग लेना जरूरी है. चाहे वो बिहार में रहते हों या फिर बिहार से बाहर. लोगों को ये देख ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आपको डाक्यूमेंट्स इकट्ठा करने के लिए समय मिलेगा. हर गांव/पंचायत में सर्वे से पहले कैंप लग रहा है. जहां लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसमें सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, कानूनगो और अमीन हर पंचायत में मौजूद रहेंगे. लोग अपने गांव में लगे शिविर के बारे में पता करके स्व-घोषणा पत्र जरूर भर दें. जिसमें वंशावली समेत कुछ डॉक्यूमेंट्स देने होंगे. ये ऑफलाइन के अलावा ऑनलाइन भी भरा जा सकता है.”

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करीब एक साल तक चलेगा सर्वे का काम (फोटो: Meta AI)
किन दस्तावेजों की होगी जरूरत?

अब सर्वे में कागजात कौन-कौन से चाहिए होंगे ये भी जान लीजिए. इसमें खतियान, केवाला, LPC, दान वाली जमीन, बदलैन (विनिमय) वाले कागजात, जमाबंदी या मालगुजारी रसीद, वारिस होने का प्रमाण और खरीद-बिक्री के कागजात जमा करने होंगे. अगर किसी विवादित जमीन पर कोर्ट का कोई आदेश है तो वो कागजात भी जमा करने होंगे. अगर जमीन आपके पूर्वजों के नाम पर है, जो अब जीवित नहीं हैं, तो उनकी मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी. आवेदनकर्ता को आधार कार्ड की फोटोकॉपी भी देनी होगी.

खाता-खेसरा या खतियान नहीं होने पर क्या होगा?

बिहार की जमीनों के लेकर बड़ी समस्या ये है कि कई लोगों के पास सही कागजात मौजूद नहीं है. ना तो जमीन का सही खाता-खेसरा पता होता है और ना ही खतियान मौजूद होता है. ऐसी स्थिति को लेकर आरती कुमारी बताती हैं,

“इसमें घबराने की जरूरत नहीं है. अगर आपको खाता-खेसरा के बारे में नहीं पता है और खतियान भी मौजूद नहीं है तो ऐसी स्थिति में आप अमीन की मदद से ले सकते हैं. आप अपने मालिकाना हक/कब्जे वाली जमीन पर अमीन को लेकर खाता-खेसरा के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. हर पंचायत में एक सरकारी अमीन को इसी काम के लिए रखा गया गया है.”

ऑनलाइन कैसे होंगे कागजात जमा?

बिहार के बाहर रहने वाले लोग ये सारे कागजात ऑनलाइन जमा करा सकते हैं. इसके लिए आपको बिहार सरकार की भूमि से जुड़ी वेबसाइट https://dlrs.bihar.gov.in/ पर जाना होगा. साथ ही आप Bihar Survey Tracker App के जरिये भी अपने डॉक्यूमेंट्स को जमा कर सकते हैं. 

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बिहार के लोगों का होगा काम आसान (फोटो: Meta AI)

सर्वेक्षण टीम की तरफ से जो रिकॉर्ड बनाया जाएगा, वो आप तकरीबन 6 महीने बाद देख सकेंगे. इसे ड्राफ्ट पब्लिकेशन कहा जाता है. ड्राफ्ट पब्लिकेशन के दौरान अगर आपको कोई गड़बड़ी लगती है, जैसे आपकी जमीन किसी और के नाम पर दिखाई जा रही है, तो आप ऑनलाइन और ऑफलाइन इसकी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. शिकायत पर सुनवाई के दौरान आप खुद मौजूद रहें तो बहुत अच्छा. अगर नहीं तो आप अपने परिवार के किसी सदस्य को इसके लिए भेज सकते हैं. इस सर्वे के जरिये सरकार गलत कब्जे वाली और गैरमजरुआ जमीन को अपने कब्जे में लेगी. सरकार की कोशिश है कि ये काम साल भर तक पूरा कर लिया जाएगा ताकि राज्य के लोगों को जमीन से जुड़ी समस्याओं का सामना ना करना पड़े. फिलहाल ये काम राज्य के ग्रामीण इलाकों में ही हो रहा है.

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