The Lallantop

निरंजनी अखाड़े के इस संत ने भी की थी आत्महत्या, तब नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि ने क्या कहा था?

41 साल के आशीष गिरि की मौत पर पुलिस जांच में क्या पता चला था?

Advertisement
post-main-image
17 नवंबर 2019 को इसी निरंजनी अखाड़े के और महंत ने आत्महत्या की थी. दिवंगत महंत का नाम था आशीष गिरि.
20 सितंबर की तारीख. संदिग्ध हालत में एक मौत. मृतक का नाम. महंत नरेंद्र गिरि (Narendra Giri). अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष. निरंजनी अखाड़े के महंत. पुलिस के मुताबिक, नरेंद्र गिरि का शव प्रयागराज के अल्लापुर में बाघंबरी मठ के कमरे में मिला. शव के पास से "सुसाइड नोट" भी बरामद हुआ. पुलिस शुरुआती जांच में इसे आत्महत्या मान रही है. ये सब निरंजनी अखाड़े से जुड़ी एक और आत्महत्या के मामले का रिपीट टेलीकास्ट जैसा लगता है. वो आत्महत्या नवंबर 2019 को गई थी. तब निरंजनी अखाड़े के सदस्य आशीष गिरि (Ashish Giri) ने सुसाइड किया था. वो बाघंबरी मठ के सचिव थे. क्या हुआ था? उस समय की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 41 साल के आशीष गिरि ने 17 नवंबर, 2019 को निरंजनी मठ के अपने कमरे में आत्महत्या कर ली थी. वो रविवार का दिन था. सुबह क़रीब 11 बजे आशीष गिरि का शव खून से लथपथ मिला था. पुलिस के मुताबिक़ उनके हाथ में उनका लाइसेंसी रिवॉल्वर था. बताया गया कि आशीष ने अपने सिर में गोली मारकर आत्महत्या की थी. मामला अखाड़े से जुड़ा था, सो पुलिस के कई आला अफ़सर मौक़े पर पहुंचे थे. फ़ोरेंसिक जांच भी हुई थी.
घटना के बाद निरंजनी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरि ने कहा था कि उस दिन सुबह 8 बजे उनकी आशीष से बात हुई थी. उसके बाद आशीष नाश्ता करने आने वाले थे. नरेंद्र गिरि ने बताया था कि जब आशीष काफ़ी देर तक नहीं आए तो कुछ लोग उनके कमरे में गए. उन्हें कमरा खुला हुआ मिला था, जहां आशीष का शव पड़ा था.
उस समय प्रयागराज के पुलिस अधीक्षक बृजेश श्रीवास्तव ने समाचार एजेंसी एएनआई को बयान दिया था. उन्होंने कहा था,
"प्रारंभिक जांच के अनुसार, महाराज ने खुद को गोली मार ली. क्योंकि वो ब्लडप्रेशर और पेट की बीमारी से पीड़ित थे. जिससे उनका लिवर बुरी तरह प्रभावित हुआ था."
वहीं, महंत नरेंद्र गिरि ने एएनआई से कहा था कि पहले भी आशीष गिरि को उत्तराखंड के देहरादून के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके मुताबिक़, आशीष का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने कहा था कि वो काफ़ी स्ट्रेस में थे और उनको शराब और सिगरेट की बुरी लत थी.
Anand Giri And Narendra Giri
अपने गुरु नरेंद्र गिरी के साथ आनंद गिरी.
आनंद गिरि का दावा- आशीष की आत्महत्या नहीं हुई थी इस घटना के एक साल बाद तक आशीष गिरि की मौत को आत्महत्या ही माना जा रहा था. लेकिन बाद में आनंद गिरि (Anand Giri) ने अचानक कुछ दावे कर दिए. वही आनंद गिरि जिनकी मंगलवार 21 सितंबर को महंत नरेंद्र गिरि के कथित आत्महत्या मामले में गिरफ़्तारी हुई है.
आशीष गिरि की मौत के मामले में आनंद गिरि ने मीडिया से कहा कि उनकी मौत आत्महत्या नहीं थी और इसका मांडा की एक ज़मीन से जुड़े मामले से संबंध है. ये प्रयागराज और मिर्ज़ापुर से सटा एक इलाका है.
आनंद के दावे के बाद सवाल उठा था कि क्या आशीष गिरि की हत्या की गई थी? पुलिस ने अपने दस्तावेज़ों में इससे इन्कार किया है. प्रयागराज के कई पुलिस अधिकारियों ने दी लल्लनटॉप से हुई बातचीत में बताया कि महंत आशीष गिरि ने की तो आत्महत्या ही थी, लेकिन मठ और अखाड़े की अनदेखी की वजह से.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक़, आशीष गिरि ने अपनी बहुत सारी संपत्ति अखाड़े को दान कर दी थी. लेकिन इन ज़मीनों की बंदरबांट और कथित भ्रष्टाचार को देखते हुए आशीष गिरि गहरे अवसाद में चले गए थे. बेतहाशा नशा करने लगे थे, जिसके चलते आख़िर में उन्होंने आत्महत्या कर ली.
नशे वाली बात के सबूत के तौर पर दो बातों का जिक्र किया गया. पहला है पुलिस का बयान, जिसमें आशीष गिरि के लिवर ख़राब होने का ज़िक्र किया गया था. और दूसरा है अखाड़े के महंत दिवंगत नरेंद्र गिरि का बयान. इसमें उन्होंने डॉक्टरों के हवाले से कहा था कि आशीष गिरि को शराब और सिगरेट पीने की लत लग गई थी.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement