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गुरुग्राम की सबसे महंगी सोसाइटी 'कैमेलियास', यहां 12 करोड़ की ठगी कैसे हुई

गिरोह दिल्ली-एनसीआर से लेकर कई राज्यों में सक्रिय था और अब तक 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी कर चुका है.

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अगस्त से अक्टूबर 2024 के बीच महिला ने आरटीजीएस और डिमांड ड्राफ्ट के जरिए कुल 12.04 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे. (फोटो- दिल्ली पुलिस)

गुरुग्राम के DLF कैमेलियास में लग्जरी फ्लैट दिलाने के नाम पर 12 करोड़ रुपये की बड़ी ठगी का मामला सामने आया है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मामले में एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने आधे दाम पर फ्लैट दिलाने के नाम पर एक महिला के साथ ठगी की थी.

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इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक महिला गुरुग्राम में पॉश सोसाइटी में घर तलाश रही थी. डीएलएफ कैमेलियास उनकी लिस्ट में थी, लेकिन यहां फ्लैट्स की कीमत काफी ज्यादा थी. इसी दौरान उनकी अभिनव पाठक नाम के एक दवा विक्रेता से मुलाकात हुई. अभिनव ने दावा किया कि उसके जानकार लोग बैंक नीलामी या विवादित संपत्ति के जरिए इस सोसाइटी में फ्लैट सिर्फ 12.04 करोड़ रुपये में दिला सकते हैं. एक पुलिस अधिकारी ने बताया,

“आरोपी ने दावा किया कि उसने पहले ही बैंक की नीलामी के जरिए एक प्रीमियम प्रॉपर्टी खरीद ली है और उसे कम कीमत पर उसके नाम ट्रांसफर करने की पेशकश की.”

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बैंक आमतौर पर जब कोई लोन डिफॉल्ट (bad loan) हो जाता है, यानी प्रॉपर्टी का मालिक बैंक को किस्तें नहीं चुका पाता, तो ऐसी प्रॉपर्टी को नीलामी में बेचता है. नीलामी में ऐसी प्रॉपर्टी ज्यादातर काफी कम कीमत पर बिकती हैं.

महिला इस ऑफर पर यकीन कर गई. गिरोह ने उसे फर्जी दस्तावेज दिखाए. नकली सेल डीड, टाइटल पेपर्स, बैंक नीलामी के कागजात और अन्य जाली प्रमाणपत्र. विश्वास में आकर महिला ने अगस्त से अक्टूबर 2024 के बीच आरटीजीएस और डिमांड ड्राफ्ट के जरिए कुल 12.04 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए. कुछ समय बाद जब महिला ने बैंक से दस्तावेजों की जांच कराई, तो सच सामने आया. सारे डॉक्यूमेंट्स नकली थे. न तो कोई फ्लैट उपलब्ध था और न ही कोई नीलामी हुई थी.

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X पर दिल्ली पुलिस का पोस्ट.
पुलिस ने सिंडिकेट का खुलासा किया

महिला ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. जांच में पता चला कि यह एक बड़ा संगठित सिंडिकेट था, जिसका मास्टरमाइंड मोहित गोगिया था. मोहित विवादित, गिरवी या फर्जी प्रॉपर्टी की पहचान करता था. उसके साथी भरत छाबड़ा लैपटॉप पर नकली डॉक्यूमेंट्स तैयार करते थे. गिरोह के अन्य सदस्य विशाल मल्होत्रा, सचिन गुलाटी और अभिनव पाठक पैसे ट्रांसफर करने, लेयरिंग करने और नकदी निकालने में शामिल थे.

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पुलिस ने गिरफ्तारियों के बाद दो लग्जरी कारें भी बरामद कीं, जिनका इस्तेमाल आरोपी पायलट और एस्कॉर्ट वाहनों के रूप में करते थे. जांच में खुलासा हुआ कि ये गिरोह दिल्ली-एनसीआर से लेकर कई राज्यों में सक्रिय था और अब तक 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी कर चुका है.

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के अनुसार, मोहित गोगिया के खिलाफ पहले से ही 16 आपराधिक मामले दर्ज हैं. ये सिंडिकेट फर्जी बैंक नीलामी दस्तावेजों के जरिए लोगों को लुभाता था. पुलिस का कहना है कि ठगी की रकम को कई बैंक खातों, फर्मों और लोगों के माध्यम से लेयर करके ट्रेल छिपाई जाती थी. महिला की शिकायत पर दर्ज केस के बाद पुलिस ने तकनीकी निगरानी और खुफिया जानकारी के आधार पर कार्रवाई की. सभी पांच आरोपी अब न्यायिक हिरासत में हैं और आगे की जांच जारी है.

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