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दिल्ली में क्लाउड सीडिंग वाला विमान मेरठ में क्यों उतरा रहा? जान लीजिए

Delhi Cloud Seeding Meerut: 29 अक्टूबर को क्लाउड सीडिंग के दो और ट्रायल किए जाएंगे. एक्सपर्ट्स ने उम्मीद जताई है कि नमी की मात्रा कल से ज्यादा होने की उम्मीद है.

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23 अक्टूबर को शुरू हुआ था ट्रायल. (फोटो- PTI)

राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के इलाज के तौर पर क्लाउड सीडिंग का ट्रायल किया जा रहा है. लेकिन तीन ट्रायल के बावजूद दिल्ली में रत्ती भर भी बारिश नहीं हुई. अब बुधवार तीसरे दिन भी क्लाउड सीडिंग की जाएगी. एक बार फिर विमान मेरठ से उड़ेगा और आसमान में बारिश की संभावना के बीज रोपेगा. लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि आखिर इसके लिए दिल्ली में बारिश के लिए आखिर मेरठ से विमान क्यों उड़ाया जा रहा है, दिल्ली की क्लाउड सीडिंग में मेरठ का क्या रोल है, चलिए बताते हैं. 

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लैंडिंग के लिए मेरठ को क्यों चुना?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में क्लाउड सीडिंग करने के लिए उड़ने वाले विमान के लिए मेरठ का रोल बेहद अहम है. क्लाउड सीडिंग के लिए इस्तेमाल किए गए Cessna विमान ने IIT कानपुर के एयरस्ट्रिप से उड़ान भरी थी.  लेकिन सीडिंग पूरी होने के बाद विमान मेरठ एयरफील्ड पर लैंड हुआ. इसका मतलब है कि मेरठ को इस पूरे मिशन में कामकाजी बेस के तौर पर इस्तेमाल किया गया.

Cessna ही एकमात्र ऐसा विमान नहीं है जो दिल्ली के हवाई क्षेत्र में उड़ता है. दिल्ली के हवाई क्षेत्र में तो हजारों विमान उड़ते हैं. कुछ विदेशी होते हैं तो कुछ देसी. ठीक उसी तरह जैसे सड़क पर सिर्फ एक कार नहीं चलती बल्कि बहुत सारी कारें चलती हैं. जैसे सड़कों पर ट्रैफिक होता है, ठीक उसी तरह आसमान में एयर ट्रैफिक होता है. अब दिल्ली चूंकि राजधानी है. काफी बड़ा और इंटरनेशनल हब वाला सेंटर, इसलिए इसका हवाई क्षेत्र भी काफी व्यस्त होता है. 

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ऐसे में क्लाउड सीडिंग जैसे प्रयोग के लिए वैकल्पिक जगह की जरूरत थी. मेरठ में उपयुक्त एयरफील्ड, कम ट्रैफिक और सुविधाजनक लोकेशन होने के कारण इसे चुना गया. IIT-कानपुर के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में सही लैंडिंग की सुविधा न होने की वजह से और बाकी फ्लाइट्स ऑपरेशन में कोई रुकावट न आए इसलिए मेरठ में लैंड करने का इंतजाम किया गया. इसके अलावा, उड़ान की अनुमति, मौसम की जानकारी (बादल, नमी, हवा की गति) और रूट तय करने में भी मेरठ का क्षेत्र तकनीकी सहायता केंद्र साबित हुआ. यही वजह रही की मेरठ को चुना गया. 

कब हुआ था पहला प्रयोग और कितनी है लागत

बता दें कि दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का यह दूसरा प्रयोग था. इससे पहले 23 अक्टूबर की रात को भी ऐसा ही प्रयास किया गया था. तब भी कम बादल और नमी के कारण तब भी बारिश नहीं हो पाई थी. दिल्ली सरकार ने सितंबर में IIT कानपुर के साथ 5 एक्सपेरिमेंट्स के लिए 3 करोड़ रुपये की लागत से एक समझौता किया था.  

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29 अक्टूबर को भी होगी क्लाउड सीडिंग

28 अक्टूबर को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने घोषणा की है कि अगले कुछ दिनों में मौसम अनुकूल होने पर 9-10 और प्रयोग किए जाएंगे. वहीं, IIT कानपुर के डायरेक्टर मनिंद्र अग्रवाल ने आजतक को बताया कि 29 अक्टूबर को क्लाउड सीडिंग के दो और ट्रायल किए जाएंगे. नमी की मात्रा कल से ज्यादा होने की उम्मीद है. 

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