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मुर्शिदाबाद हिंसा: पिता-पुत्र की हत्या के दोषी करार दिए 13 लोगों को सजा क्या मिली?

पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद हिंसा के दौरान पिता-पुत्र की हत्या मामले के 13 आरोपियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. पश्चिम बंगाल पुलिस ने बताया कि सिर्फ 9 महीने के भीतर मामले के सभी दोषियों को सजा हो गई.

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बंगाल में हिंसा के दौरान पिता-पुत्र की हत्या की गई थी (india today)

पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद दंगों के दौरान समसेरगंज में पिता-पुत्र की हत्या के मामले में कोर्ट का फैसला आ गया है. अदालत ने मामले के 13 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. सोमवार, 22 दिसंबर को इस केस के सभी आरोपियों को जंगीपुर सिविल क्रिमिनल कोर्ट ने दोषी करार दिया था. मंगलवार, 23 दिसंबर को पश्चिम बंगाल पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि चार्जशीट में जिन 13 आरोपियों का नाम था, उन सभी को 9 महीने के भीतर सजा हो गई है. BNS यानी भारतीय न्याय संहिता आने के बाद से देश में मॉब लिंचिंग की ये दूसरी घटना है, जिस पर कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाई है. 

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अप्रैल 2025 में संसद में वक्फ (संशोधन) कानून पास होने के विरोध में बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे. इसी दौरान, 12 अप्रैल 2025 को जिले के जंगीपुर इलाके में समसेरगंज के 40 साल के चंदन दास और उनके 70 वर्षीय पिता हरगोबिंद दास की भीड़ ने बेरहमी से हत्या कर दी थी. उनके शव पर चाकू के कई घाव मिले थे. इस घटना में एक और मौत हुई थी और 15 पुलिसवाले भी घायल हुए थे. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मारे गए पिता-पुत्र का अंतिम संस्कार कराने के लिए परिवार को पुजारी भी नहीं मिला क्योंकि डर के मारे कोई भी इस काम के लिए आगे नहीं आया. 

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सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा (x)

इस जघन्य वारदात ने देश भर का ध्यान अपनी ओर खींचा था. तब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस भी मृत पिता-पुत्र के परिवार से मिलने उनके घर गए थे. राज्यपाल ने परिवार के सदस्यों से बात की और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया था. 

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मंगलवार, 23 दिसंबर को पश्चिम बंगाल पुलिस ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए बताया,

इस दोहरे हत्याकांड की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया था. गहन जांच के बाद इस मामले में 13 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी.

पुलिस ने आगे बताया कि मंगलवार, 23 दिसंबर को इस मामले में अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सभी 13 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. 1 जुलाई 2024 से देश में नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद BNS की धारा 103(2) के तहत सजा मिलने का यह सिर्फ दूसरा मामला है. 

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बंगाल पुलिस ने मामले के बारे में जानकारी दी है (X)

इससे पहले उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में अक्टूबर 2024 में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान भड़की सांप्रदायिक हिंसा मामले में अपर सत्र न्यायालय ने 13 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जो इसी BNS की धारा 103(2) के तहत अपर सत्र न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए गए थे. मामले से जुड़े 13 आरोपियों में से 10 को कोर्ट ने दोषी ठहराया था और 3 को बरी कर दिया था. मुख्य आरोपी सरफराज को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी.

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