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शाहजहांपुर में खेत की जुताई के दौरान जमीन से निकला तलवारों, बंदूकों का बड़ा जखीरा

Uttar Pradesh के Shahjahanpur में जमीन की जुताई के दौरान जंग लगे हथियारों का जखीरा मिला है. स्थानीय इतिहासकार विकास खुराना ने अनुमान लगाया कि इस दौरान मिली बंदूक लगभग 200 साल पुरानी होगी.

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उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में मिला हथियारों का जखीरा ( इंडिया टुडे)

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले (Uttar Pradesh Shahjahanpur) में एक खेत से पुराने जमाने के कई हथियार मिले हैं. इन्हें देखने के बाद गांव के लोग हैरत में पड़ गए हैं. बताया गया कि एक किसान हल से खेत की जुताई कर रहा था. तभी जमीन के अंदर हल के किसी लोहे से टकराने की आवाज सुनाई दी. इसके बाद उस जगह की खुदाई की गई. खुदाई में वहां से पुरानी जंग लगी तलवारें, खंजर, बरछी और बंदूकें मिलीं.

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यह घटना शाहजहांपुर के निगोही थाना क्षेत्र के ढकीया तिवारी गांव की है. गांव के रहने वाले बाबू राम ने बताया कि कुछ दिनों पहले जेसीबी से खेत की मिट्टी निकलवाई थी. मिट्टी निकलवाने के बाद वो पहली बार खेत जोत रहे थे. उसी दौरान जमीन से हथियारों का जखीरा निकला. इसकी सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और राजस्व विभाग के लोग वहां पहुंच गए. इसके बाद पुरातत्व विभाग को भी जानकारी दी गई. खेत से हथियार बरामद होने की खबर फैलते ही आस-पास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग इन्हें देखने पहुंच गए.

ढकीया तिवारी गांव के स्थानीय निवासी ओमवीर सिंह ने बताया, 

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"बहुत पहले इस जगह पर बाग था. बाद में इस जमीन को बाबूलाल ने खरीद लिया. पहले गांव के लोग यहां से मिट्टी ले जाया करते थे. अब बाबूराम ने पहली बार इस जमीन पर हल चलाया."

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इंडिया टुडे

शाहजहांपुर के SM कॉलेज के इतिहास विभाग के अध्यक्ष विकास खुराना ने बताया,  

"शाहजहांपुर इलाके में बंदूकों का उपयोग 18वीं सदी में शुरू हुआ. जबकि भारत में ये पहली बार बाबर के समय उपयोग में लाए गए थे. अभी तलवारों को देख नहीं पाया हूं. लेकिन जो सुना है उसके मुताबिक तलवार में चांदी चढ़ी है. और उनमें जंग भी लग चुका है. वहीं जो बंदूक मिली है उसमें लगी लकड़ी दीमक खा गई है. केवल नाल बची है. अनुमान है कि बंदूक लगभग 200 साल पुरानी होगी. हम लोग इसकी स्टडी के लिए DM से मांग करेंगे."

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विकास खुराना ने आगे बताया कि शाहजहांपुर का इलाका 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र रहा है. यहां के कई गांवों में अंग्रेजों के खिलाफ गदर की कई घटनाएं हुई थीं. अनुमान जताया गया है कि ये हथियार उस दौर के क्रांतिकारियों से भी जुड़े हो सकते हैं.

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