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US में जितने छात्रों के वीजा छिने, उनमें आधे भारतीय, अमेरिका के वकीलों की रिपोर्ट में दावा

US lawyers' body report: विपक्षी सांसद जयराम रमेश ने इसे लेकर विदेश मंत्री से तीखे सवाल पूछे हैं. वहीं, भारत सरकार ने कहा है कि वो छात्रों के संपर्क में है. क्या है पूरा मामला?

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राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने इन आंकड़ों को लेकर सरकार से सवाल पूछे हैं. (प्रतीकात्मक फ़ोटो - इंडिया टुडे)

डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) की नई सरकार आने के बाद से ही अमेरिका में रहने वाले दुनियाभर के लोगों को वीज़ा को लेकर टेंशन हो गई. इस बीच, अमेरिकी इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशंस (AILA) की नई रिपोर्ट आई है. रिपोर्ट के मुताबिक़, 327 छात्रों के वीज़ा या तो रद्द कर दिये हैं या SEVIS रिकॉर्ड बंद कर दिये हैं. चिंता की बात ये है कि इनमें से आधे भारतीय छात्रों के हैं.

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भारत सरकार ने इसे लेकर कहा है कि वो छात्रों के संपर्क में है. वहीं, विपक्षी सांसद जयराम रमेश ने विदेश मंत्री से तीखे सवाल पूछे हैं. इन सब के बारे में बताएंगे, लेकिन उससे पहले SEVIS यानी (स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर इंफॉर्मेशन सिस्टम) के बारे में बेसिक जान लेते हैं.

SEVIS एक अमेरिकी सरकारी डेटाबेस है, जिसे अमेरिकी होमलैंड सुरक्षा विभाग बनाता है. बंद हो चुके SEVIS रिकॉर्ड का मतलब है कि छात्र अब "F या M स्टेटस" (स्टुडेंट वीज़ा या तो F या M वीज़ा होते हैं) को बनाए नहीं रख सकते. अगर ऐसा होता है, तो छात्र रोजगार के मौक़े खो देता है. अगर SEVIS रिकॉर्ड ख़त्म हो चुका है, तो अमेरिका में दोबारा एंट्री नहीं हो सकती. साथ ही, ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफ़ोर्समेंट) एजेंट छात्र को डिपोर्ट करने के लिए जांच आगे बढ़ा सकते हैं.

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रिपोर्ट में क्या है?

अमेरिकी इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशंस (AILA) ने अमेरिका के अलग-अलग डिपार्टमेंट्स से जानकारी इकट्ठा कर ये रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक़, 2023-24 में अमेरिका में सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय छात्र समूह भारतीयों का था. जब 11,26,690 अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 3,31,602 छात्र भारत से (कुल विदेशी छात्रों का 29%) थे. इसके बाद चीन से 2.77 लाख (14 प्रतिशत) छात्र थे. अन्य महत्वपूर्ण देशों में दक्षिण कोरिया, नेपाल और बांग्लादेश शामिल हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, AILA ने 17 अप्रैल को जारी इस रिपोर्ट में ये भी बताया है कि जिन 327 छात्रों के वीज़ा या तो रद्द कर दिये हैं या SEVIS रिकॉर्ड बंद कर दिये हैं. उनमें से क़रीब 50 फ़ीसदी ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) पर थे. इसका मतलब, वो ग्रैजुएट हो चुके हैं और अमेरिका में काम करते हैं.

OPT उन अंतरराष्ट्रीय छात्रों को मंजूरी देता है, जो F1 वीज़ा पर अमेरिका में हैं और 12 महीने तक काम कर सकते हैं. फिर STEM (साइंस, टेक्नोलोजी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों के मामले में इसे 24 महीने तक और बढ़ा सकते हैं.

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2023-24 में 3.31 लाख भारतीय छात्रों में से लगभग 29 प्रतिशत या 97,556 छात्र OPT पर थे.

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सरकार से सवाल

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इन आंकड़ों को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा,

वीज़ा रद्द करने के कारण असंगत और अस्पष्ट हैं. इससे छात्रों में डर और आशंका लगातार बढ़ रही है. क्या विदेश मंत्री एस जयशंकर इस मामले को संज्ञान में लेकर अपने अमेरिकी समकक्ष के सामने ये मुद्दा उठाएंगे?

वहीं, इस सिलसिले में भारत सरकार की तरफ़ से भी जवाब आया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 17 अप्रैल को प्रेस कॉन्फ़्रेंस में इसे लेकर कहा,' हमें पता है कि कई भारतीय छात्रों को उनके F-1 वीज़ा की स्थिति के बारे में अमेरिकी सरकार से सूचना मिली है. हम मामले की जांच कर रहे हैं.'

रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारतीय दूतावास छात्रों की मदद के लिए उनके संपर्क में हैं.

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