सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय ने टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों के लिए पॉलिसी (TV Rating Policy) में बदलाव का प्रस्ताव दिया है. ये एजेंसियां टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (TRP) के आंकड़े तय करती हैं. यानी कि इस बात का अंदाजा बताती हैं कि किसी टीवी चैनल को कितने लोग देख रहे हैं. इस संबंध में 2014 में एक गाइडलाइन आई थी. TRP तय करने का काम अब तक सिर्फ 'ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल' (BARC) के जिम्मे था. अब इस प्रतिबंध को हटाया जा सकता है. इसके बाद दूसरी एजेंसियों को भी ये काम करने का अधिकार मिल जाएगा.
TRP सिस्टम में होगा बड़ा बदलाव? BARC के अलावा अब दूसरी एजेंसियां भी तय करेंगी टीवी रेटिंग
BARC के अलावा, दूसरी एजेंसियों को भी टीवी रेटिंग के क्षेत्र में हाथ आजमाने का मौका मिल सकता है. इसके अलावा, कुछ और अहम बदलावों का प्रस्ताव दिया गया है.

प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की ओर से जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, मंत्रालय का मानना है कि लोग अब सिर्फ केबल या डीटीएच प्लेटफॉर्म के जरिए ही टीवी नहीं देखते, बल्कि स्मार्ट टीवी, मोबाइल एप्लीकेशन और दूसरे ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेफॉर्म से भी टीवी कॉन्टेंट देखते हैं. इसलिए मौजूदा व्यवस्था सही आंकड़े देने के लिए पूरी तरह कारगर नहीं है.
दर्शकों के टीवी कॉन्टेंट देखने के पैटर्न में बदलाव देखा गया है. ऐसे में नए प्लेटफॉर्म्स को भी TRP के इस ‘गुणा गणित’ में शामिल किया जा सकता है. इससे मीडिया संस्थानों के रेवेन्यू मैनेजमेंट पर फर्क पड़ेगा. साथ ही ब्रांडों के लिए विज्ञापन की रणनीति बनाने पर भी इसका असर पड़ेगा. मंत्रालय ने कहा है कि इन्हीं कारणों से TRP मापने की व्यवस्था को और मजबूत बनाने की जरूरत है.
मंत्रालय का कहना है कि वर्तमान में लगभग 23 करोड़ घरों में टेलीविजन हैं. लेकिन सिर्फ 58,000 मीटर के जरिए ही दर्शकों का डेटा जमा किया जाता है. ये आंकड़ा कुल टीवा का 0.025 प्रतिशत है. कौन सा चैनल ज्यादा या कम देखा जा रहा है, ये तय करने के लिए ये सैंपल साइज बहुत छोटा है.
TRP सिस्टम की समस्याएंसूचना एंव प्रसारण मंत्रालय ने मौजूदा प्रक्रिया की कुछ दिक्कतें बताई हैं-
- टीवी रेटिंग प्रदान करने वाली एकमात्र एजेंसी है, BARC.
- इससे दर्शकों की (वास्तविक) संख्या ट्रैक नहीं की जाती, जबकि ये एक अहम मुद्दा है.
- मौजूदा पॉलिसी में कुछ बाधाएं हैं, जो टीवी रेटिंग क्षेत्र में नए लोगों के प्रवेश को रोकती है.
- प्रतिबंधों के कारण प्रसारक या विज्ञापनदाता, रेटिंग एजेंसियों में निवेश नहीं कर सकते.
पहले ये नियम (धारा 1.4 ) था कि ऐसी कंपनियों (TRP एजेंसियों) के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (MoA) में ये स्पष्ट लिखा होना चाहिए कि वो कोई भी कंसल्टेंसी या एडवाइजरी सर्विस नहीं देंगी.
इस नियम में बदलाव किया जाएगा. नए प्रस्ताव में लिखा है, ‘कंपनी ऐसी कोई कंसल्टेंसी या एडवाइजरी सर्विस नहीं देगी, जिससे उनके मुख्य काम यानी रेटिंग देने में किसी तरह का टकराव न हो.’
इसके अलावा, धारा 1.5 और 1.7 को भी हटा दिया जाएगा. इन्हीं धाराओं के कारण नए लोग इस क्षेत्र में नहीं आ पा रहे थे.
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कब से लागू होगी नई व्यवस्था?मंत्रालय ने 2 जुलाई 2025 को इस बदलाव का ड्राफ्ट तैयार किया है. 30 दिनों के भीतर, इस मामले पर सभी स्टेकहोल्डर्स से उनकी राय मांगी गई है. उन्होंने कहा है कि दर्शक, प्रसारक, विज्ञापनदाता और जागरूक नागरिक, इस महीने के अंत तक अपना फीडबैक भेज सकते हैं. sobpl-moib@nic.in इस ईमेल पर प्रतिक्रिया भेजनी है.
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