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न सामान लेने दिया, न बाय बोलने दिया... यूएस में 73 साल की बुजुर्ग को हथकड़ी लगाई, भारत भेजा

Harjit Kaur को इससे पहले भी हिरासत में लिया गया था. तब सैकड़ों लोगों ने US में विरोध प्रदर्शन किया था. इसके कुछ हफ्तों बाद ही उन्हें भारत डिपोर्ट कर दिया गया है.

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अमेरिका ने 73 साल की हरजीत कौर को भारत डिपोर्ट कर दिया है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

अमेरिका से 73 साल की एक ऐसी सिख महिला को भारत डिपोर्ट किया गया, जो पिछले 30 साल से अमेरिका में रह रही थीं. उनके वकील दीपक अहलूवालिया ने बताया है कि ‘यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट’ (ICE) ने उनको अपने परिवार से अलविदा कहने का भी मौका नहीं दिया. हरजीत कौर (Harjit Kaur) नाम की इस महिला को अपना सामान लेने का भी मौका नहीं दिया गया. वकील ने कहा कि भारत लाने से पहले लॉस एंजिल्स स्थित ICE सेंटर ले जाते समय कौर को हथकड़ी लगाई गई थी.

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मूल रूप से पंजाब की रहने वालीं हरजीत कौर 23 सितंबर को इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचीं. लेकिन ये मामला प्रकाश में तब आया जब 25 सितंबर को वकील ने इस घटना की जानकारी सार्वजनिक की. अहलूवालिया ने खुलासा किया कि महिला को अचानक बेकर्सफील्ड से लॉस एंजिल्स ले जाया गया, जहां ICE ने उन्हें जॉर्जिया के लिए एक चार्टर्ड फ्लाइट पर बिठाया और बाद में उन्हें नई दिल्ली भेज दिया.

वकील ने बताया कि कौर के परिवार ने उनकी यात्रा के लिए जरूरी दस्तावेज तैयार कर लिए थे और उन्हें कमर्शियल फ्लाइट से वापस भेजने का अनुरोध किया था. अहलूवालिया ने कहा,

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हमारी सिर्फ दो मांगें थीं. उन्हें कमर्शियल फ्लाइट से वापस भेजा जाए और उन्हें अपने परिवार से मिलने के लिए कुछ घंटे दिए जाएं. लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया.

उनके वकील के अनुसार, भारत डिपोर्ट करने से पहले कौर को दो दिनों तक जॉर्जिया में रखा गया. उन्होंने कहा,

जॉर्जिया में उनको डिपोर्ट किए जाने वाले लोगों के लिए बने एक टेंपररी डिटेंशन सेंटर में रखा गया था… वहां उन्हें बेसिक सुविधाएं भी नहीं दी गईं. लगभग 60 से 70 घंटों तक 73 साल की बुजुर्ग को बिस्तर नहीं दिया गया. उनको कई दूसरे लोगों के साथ एक ही कमरे में रहने के लिए मजबूर किया गया. वहां आराम के लिए केवल कंक्रीट की बेंच या फर्श ही था.

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एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार कौर के पास कोई दस्तावेज नहीं था. 1992 में वो पंजाब से अपने दो बेटों के साथ सिंगल मदर के रूप में अमेरिका आई थीं. वो 30 साल से ज्यादा समय से उत्तरी कैलिफोर्निया के ईस्ट बे में रह रही थीं. उनकी बहू मंजी कौर ने बताया कि 2012 में उन्होंने अमेरिकी सरकार से शरण मांगी थीं, जिसे रिजेक्ट कर दिया गया. लेकिन तब से यानी कि 13 साल से ज्यादा समय से वो हर छह महीने में सैन फ्रांसिस्को में ICE को रिपोर्ट करती रही हैं. 

गैर-लाभकारी समाचार पोर्टल बर्कलेसाइड की रिपोर्ट के मुताबिक, कौर ने कभी भी भारत लौटने से इनकार नहीं किया. लेकिन वो अपनी यात्रा के लिए जरूरी दस्तावेज प्राप्त नहीं कर पा रही थीं. लेकिन अब जब उनके दस्तावेज तैयार थे, ICE ने उनको जल्दबाजी में बिना उचित समय दिए डिपोर्ट कर दिया. रिपोर्ट में कहा गया,

ICE ने उनको आश्वासन दिया था कि जब तक वो अपनी यात्रा के लिए जरूरी दस्तावेज प्राप्त नहीं कर लेतीं, तब तक वो वर्क परमिट के साथ अमेरिका में रह सकती हैं. वो निगरानी में रहेंगी.

रिपोर्ट के अनुसार, कौर के दो पोते और तीन पोतियां हैं. उन्होंने दशकों तक अमेरिका स्थित भारतीय कपड़ों की एक दुकान में काम किया.

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इससे पहले भी महिला को हिरासत में लिया गया था

8 सितंबर को कौर नियमित जांच के लिए कैलिफोर्निया स्थित अमेरिकी एजेंसी गई थीं. वहां इमिग्रेशन से जुड़े अधिकारियों ने उनको हिरासत में ले लिया था. इसके बाद उनके परिवार ने सैकड़ों लोगों के साथ कौर की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. कॉन्ट्रा कोस्टा काउंटी स्थित एल सोब्रांते सिख गुरुद्वारे के बाहर 200 से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए थे. उनके हाथों में पोस्टर थे, जिन पर लिखा था- ‘दादी को घर ले आओ’. 

इस मामले पर ICE का कहना है कि एक इमिग्रेशन जज ने 2005 में कौर को डिपोर्ट करने का आदेश दिया था. इसके बाद की प्रक्रियाएं पूरी कर ली गईं. हरजीत कौर ने कई अपीलें दायर कीं और हर बार उसे रिजेक्ट कर दिया गया. ICE ने आगे कहा कि अब जब उन्होंने सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल कर लिया, तो अमेरिकी कानून और जज के आदेशों को लागू किया गया. 

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