महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा दखल रखने वाले ठाकरे परिवार के बीच राजनीतिक दूरियां खत्म होने की अटकलबाजियां चल रही हैं. इस बात को हवा तब मिली जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने हाल ही में उद्धव ठाकरे परिवार के साथ आने पर एक बयान दिया. अब इस मामले में शिवसेना (UBT) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है. तो क्या उद्धव और राज ठाकरे के बीच बर्फ बिघल रही है? दोनों के बयान से समझते हैं.
क्या महाराष्ट्र में एक होगा ठाकरे परिवार? राज ठाकरे की 'इच्छा' पर उद्धव ने ये जवाब दिया
Maharashtra की राजनीति में ठाकरे परिवार का बड़ा दखल है. हालांकि, ये परिवार दो टुकड़ों में बंटा है. एक तरफ Shivsena (UBT) के Uddhav Thackeray हैं, तो दूसरी तरफ MNS के Raj Thackeray. अब दोनों ने साथ आने को लेकर क्या कहा? यहां पढ़ें.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में उद्धव गुट की शिवसेना को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी को केवल 20 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, राज ठाकरे की MNS का तो खाता भी नहीं खुला. मतलब, मौजूदा विधानसभा में राज ठाकरे की पार्टी का एक भी विधायक नहीं है.
दूसरी तरफ, महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी पढ़ाने को लेकर भी विरोध चल रहा है. इन सब हालात के बीच चर्चा चली कि क्या उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच संबंध सुधर रहे हैं? राज ठाकरे ने एक्टर महेश मांजरेकर के पॉडकास्ट में इसका जवाब दिया. उन्होंने कहा,
बड़े मुद्दे जब आते है तब हमारे बीच जो विवाद हैं, झगड़े हैं वो छोटे नजर आएंगे. महाराष्ट्र के अस्तित्व के लिए मराठी मानुष के लिए हमारे बीच के झगड़े तुच्छ हैं. साथ में आना, ये कोई कठिन बात नहीं है, लेकिन सवाल इच्छा का है. लेकिन वो सिर्फ मेरे अकेले की इच्छा का सवाल नहीं है, अकेले मेरे स्वार्थ का सवाल नहीं है. बड़ी तस्वीर ध्यान में लेने की जरूरत है.
अब उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे से हाथ मिलाने की बात पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा,
छोटे-छोटे झगड़ों को मैं भी दरकिनार करने के लिए तैयार हूं. मैं भी आह्वान करता हूं सभी मराठी लोगों से कि मराठी मानुष के हित में सब एक साथ आएं. लेकिन एक ही शर्त है. जब लोकसभा के वक्त मैं कह रहा था कि महाराष्ट्र से उद्योग गुजरात में ले जाए जा रहे हैं, तभी अगर उसका विरोध होता, तो आज केंद्र में यह सरकार नहीं होती. राज्य में भी राज्य के हितों पर विचार करने वाली सरकार होती. तब आपने उन्हें समर्थन दिया, अब विरोध और उसके बाद तोड़-जोड़, यह ठीक नहीं होगा. जो भी महाराष्ट्र के हित के खिलाफ होगा, उसे मैं घर बुलाकर खाना नहीं खिलाऊंगा. ऐसा पहले तय करो, फिर महाराष्ट्र के हित की बात करो.
इन दोनों राजनेताओं का एक साथ आना आगामी बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) चुनाव से भी जुड़ा हुआ है. शिवसेना (UBT) मुंबई में अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहती. हालांकि, इसके लिए उसे भारतीय जनता पार्टी (BJP), शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) (अजित पवार गुट) के महायुति गठबंधन की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. इस मुकाबले में उद्धव ठाकरे को महा विकास अघाड़ी गठबंधन के तहत कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) (शरद पवार गुट) का साथ मिल सकता है.
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