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GST को लेकर 1 जुलाई से सतर्क हो जाइए, नहीं हुए तो पक्का झेलेंगे तगड़ा नुकसान

नया नियम 1 जुलाई 2025 से लागू हो जाएगा. ये जीएसटी रिटर्न की ओरिजनल ड्यू डेट से जुड़ा है.

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ये नियम सभी तरह के GST रिटर्न मसलन- मासिक, तिमाही या सालाना रिटर्न पर लागू होगा.

GST फाइल (GST return filing) करने वालों के लिए 1 जुलाई, 2025 से नया नियम लागू हो जाएगा. इसके मुताबिक जीएसटी यूजर ड्यू डेट (GST due date) से तीन साल बाद अपना रिटर्न नहीं भर पाएंगे. GSTN ने एडवाइजरी जारी कर इसकी जानकारी दी है. मिसाल के तौर पर अगर आपके जीएसटी रिटर्न की ओरिजनल ड्यू डेट 19 जुलाई 2022 है तो आप 19 जुलाई 2025 तक ही GST रिटर्न फाइल कर सकेंगे.

उसके बाद आप इसे एक्सेस भी नहीं कर पाएंगे. 1 जुलाई 2025 आते ही GST पोर्टल खुद ब खुद ओरिजनल ड्यू डेट से तीन साल पुराना जीएसटी रिटर्न एक्सेप्ट करना बंद कर देगा.

ये नियम सभी तरह के जीएसटी रिटर्न मसलन- मासिक, तिमाही या सालाना रिटर्न पर लागू होगा. इनमें GSTR-1, GSTR-3B, GSTR-4, GSTR-5, GSTR-5A, GSTR-6, GSTR-7, GSTR-8 और GSTR-9 शामिल हैं. इन रिटर्न के जरिए कारोबारी बिक्री की जानकारी, टैक्स भुगतान जैसी डिटेल देता है. और इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input tax credit) क्लेम करता है.

नियम के मुताबिक अगर आप रिटर्न भरने में देरी करते हैं, तो आपके पास सिर्फ तीन साल का समय होगा. लेकिन इसका मतलब ये भी है कि अगर रिटर्न में कोई गलती हुई है तो उसे बदलने के लिए भी तीन साल का समय ही होगा. इसी वजह से इस नियम को लेकर चिंताएं भी जताई जा रही हैं.

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई ऐसे टैक्सपेयर्स हैं जिनकी फाइलिंग कानूनी विवाद, तकनीकी समस्याओं या अनजाने में हुई देरी के चलते रुकी हुई है. उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का स्थायी नुकसान हो सकता है.

GSTN ने एडवाइजरी जारी करने के साथ टैक्सपेयर्स को सलाह भी दी है. जिन टैक्सपेयर्स ने अभी तक GSTR-1, GSTR-3B और GSTR-9 जैसे रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं, वे अपने रिकॉर्ड्स का मिलान करके जल्द से जल्द उन्हें फाइल कर दें.

इसी के मद्देनजर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने अपने फील्ड अधिकारियों को इस डेडलाइन के बारे में टैक्सपेयर्स को जागरुक करने का निर्देश दिया है. GSTN का दावा है कि इस बदलाव से टैक्स सिस्टम में अनुशासन आएगा.

AMRG एंड असोसिएट्स में सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने पीटीआई से कहा कि जिन लोंगों के रिटर्न वाजिब वजहों के चलते लेट होंगे, उन्हें भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा. जो गलत है. इस तरह के मामलों से डील करने के लिए अलग व्यवस्था बनाने की साफ जरूरत है. तभी टैक्स सिस्टम में निष्पक्षता और समानता सुनिश्चित होगी.

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