कनाडा (Canada) ने पहली बार स्वीकार किया है कि खालिस्तानी चरमपंथी (Khalistani extremist) भारत में हिंसा फैलाने के लिए कनाडा की जमीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. कनाडा की खुफिया एजेंसी (CSIS) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया कि खालिस्तानी कनाडा की जमीन का इस्तेमाल भारत में हिंसा को बढ़ावा देने, धन जुटाने या प्लानिंग करने के लिए कर रहे हैं.
कनाडा ने पहली बार माना, भारत में खालिस्तानी हिंसा के पीछे उसकी ज़मीन से हो रही साजिशें
Canada की खुफिया एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया है कि Khalistani extremists भारत में हिंसा को बढ़ावा देने, पैसे जुटाने या योजना बनाने के लिए कनाडा को अपने बेस के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं.

CSIS ने 18 जून को अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की. इसमें कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कुछ प्रमुख चिंताओं और खतरों के बारे में बताया गया है. कनाडा की खुफिया एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा है कि खालिस्तानी चरमपंथी भारत में हिंसा को बढ़ावा देने, पैसे जुटाने या योजना बनाने के लिए कनाडा को अपने बेस के तौर पर इस्तेमाल करना जारी रखे हुए हैं.
CSIS ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि 1980 के दशक से ही कनाडा बेस्ड खालिस्तानी चरमपंथी हिंसक तरीके से पंजाब में एक स्वतंत्र सिख राज्य (खालिस्तान) बनाने के लिए अभियान चला रहे हैं.
इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि खालिस्तानी चरमपंथियों ने साल 2024 में कनाडा में किसी हमले को अंजाम नहीं दिया है, लेकिन इनका हिंसक गतिविधियों में शामिल होना कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है. CSIS ने रिपोर्ट में कनाडा में बढ़ते भारतीय हस्तक्षेप का भी जिक्र किया है. और इसके लिए खालिस्तानी चरमपंथियों की गतिविधियों को जिम्मेदार बताया है.
भारत कई सालों से कनाडा पर उनकी जमीन पर एक्टिव भारत विरोधी तत्वों की अनदेखी करने का आरोप लगाता आया है. यह पहला मौका है जब कनाडा ने इन आरोपों को स्वीकार किया है. कनाडा ने पहली बार खालिस्तानी समूहों के लिए चरमपंथी (extremist) शब्द का इस्तेमाल किया है. ये उनकी पॉलिसी में एक बड़ा बदलाव है.

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने G7 शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत की. इस बातचीत में दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच नए सिरे से संबंधों को बहाल करने के लिए नए उच्चायुक्तों को नामित करने पर सहमति जताई.
कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का दावा किया था. इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए थे. दोनों देशों ने अपने-अपने उच्चायुक्तों को वापस बुला लिया था.
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