करूर भगदड़ पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता अन्नामलाई मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, लेकिन एक्टर से नेता बने विजय पर कोई निशाना नहीं साध रहे. तमिल फिल्मों के सुपरस्टार और तमिलगा वेत्री कड़गम (TVK) के संस्थापक विजय की तमिलनाडु के करूर जिले में 27 सितंबर की रैली के दौरान भगदड़ मची थी. इसमें 41 लोगों की मौत हो गई. हादसे के बाद भाजपा ने स्टालिन सरकार पर आरोप लगाया कि उसने रैली में सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए थे.
करूर भगदड़ के बाद CM स्टालिन पर आगबबूला अन्नामलाई, विजय के लिए क्यों नरमी दिखा रहे?
तमिलनाडु में भाजपा के नेता के अन्नामलाई करूर भगदड़ के बाद से ही सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) पर हमलावर हैं. लेकिन एक्टर विजय के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोल रहे, जिनकी रैली में ये हादसा हुआ.
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क्षेत्रीय पार्टियों के दबदबे वाले तमिलनाडु में अपनी जगह तलाश रही भाजपा ने इस हादसे के बाद ‘मुख्य विपक्ष वाली आवाज’ बनने की पूरी कोशिश की. पार्टी के नेता के अन्नामलाई ने एमके स्टालिन पर लगातार और जोरदार हमले किए. उन्होंने अपने बयानों से न सिर्फ हादसे के पीड़ितों से ‘भावनात्मक नाता’ जोड़ने की कोशिश की, बल्कि खुद भी अस्पतालों में गए और घायलों से मिले. DMK और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर हमले भी बोलते रहे.
अपने आरोपों में अन्नामलाई ने कहा कि जब DMK का कोई प्रोग्राम होता है तो उसकी सिक्योरिटी के लिए स्टालिन सरकार पूरे जिले की पुलिस लगा देती है. लेकिन जब कोई विपक्षी दल अपने कार्यक्रम करता है तो वहां भरपूर सिक्योरिटी नहीं होती. अन्नामलाई ने कहा कि राज्य सरकार ने इसे अपनी आदत बना लिया है.
उन्होंने ये भी कहा कि किसी भी कार्यक्रम में आने वाली भीड़ का आकलन करना, सही जगह का चुनाव करना, क्राउड मैनेजमेंट, सही संख्या में सुरक्षाबलों की ड्यूटी लगाना, ये सब पुलिस का काम है, लेकिन विजय की रैली जिस जगह पर हुई, वहां 5000 लोगों के लिए भी जगह नहीं थी.
इस रैली में 30 हजार से भी ज्यादा लोगों के आने का अनुमान लगाया गया है.
अन्नामलाई ने कहा कि इतनी भीड़ के बावजूद घटनास्थल पर ‘100 से भी कम’ पुलिस के जवान तैनात किए गए थे. ऐसे कार्यक्रमों को ठीक से कराने के लिए स्टालिन सरकार को ‘अक्षम’ बताते हुए अन्नामलाई ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की. उन्होंने मुख्यमंत्री स्टालिन का इस्तीफा भी मांग लिया था.
लेकिन दिलचस्प बात ये कि अन्नामलाई का ऐसा कड़ा रुख विजय के लिए नहीं दिखा है. घटना को लेकर वे स्टालिन सरकार पर आगबबूला हैं, लेकिन जिन विजय की रैली में इतना बड़ा हादसा हुआ, उन पर विपक्ष के नेता का लहजा अब तक एकदम नरम रहा है. उल्टा वह उनका बचाव करते नजर आए.
भाजपा नेता का कहना है, "हादसे में विजय की कोई गलती नहीं थी. वह 10 हजार लोगों के आने की उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन कार्यक्रम में 50 हजार लोग भी आ सकते हैं. इसमें उनकी क्या गलती है? भीड़ का अनुमान लगाना और उस हिसाब से पुलिस की व्यवस्था करना सरकार और खुफिया विभाग का काम है."
अन्नामलाई कार्यक्रम में विजय के देरी से आने को भी हादसे का कारण मानने से इनकार करते हैं. वह कहते हैं कि इसके लिए एक्टर को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. उन्हें दोपहर 3 बजे से लेकर रात 10 बजे तक कार्यक्रम आयोजित करने की इजाजत दी गई थी. यह भी पुलिस की गलती है. पुलिस ने उन्हें 7 घंटे के कार्यक्रम की अनुमति क्यों दी? सिर्फ दो घंटे की देते. ये साफतौर पर पुलिस की गलती है.
विजय को लेकर अन्नामलाई इतने नरम हैं कि इतने बड़े हादसे के बाद वह उन्हें घेरने की बजाय सलाह देते नजर आते हैं. कहते हैं कि गलतियां सबसे होती हैं और उन्हें गलतियों से सीखना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए. एक्टर से नेता बने विजय को सुझाव देते हुए अन्नामलाई कहते हैं कि उनको अपनी कैंपेनिंग में बदलाव करने की जरूरत है. सिनेमा स्टार होने के बाद अब जब वह राजनीति कर रहे हैं तो उन्हें अपने दृष्टिकोण में ज्यादा जिम्मेदार होना चाहिए. वीकेंड्स पर रैलियां करने से बचना चाहिए, खासतौर पर उन जगहों पर जहां पारिवारिक भीड़ जुटती है.
विजय के बचाव में वह ये तक कहते हैं कि कोई भी नेता अपने समर्थकों का नुकसान नहीं चाहेगा. विजय खुद इस हादसे से बहुत व्यथित हैं.
अब सवाल है कि विजय को लेकर अन्नामलाई के मन में इतनी सहानुभूति क्यों है?
इंडिया टुडे से जुड़ीं देविका भट्टाचार्य अपनी रिपोर्ट में बताती हैं कि विजय के लिए अन्नामलाई के ये मुलायम सुर अगले साल तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की मुश्किल स्थिति को दिखाते हैं. तमिलनाडु की राजनीति में DMK और AIADMK का दबदबा है. कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियां यहां पर अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं. देविका बताती हैं कि द्रविड़ पार्टियों के खिलाफ अन्नामलाई के उग्र तेवर ने साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का ठीक-ठाक नुकसान करा दिया था.
AIADMK के बड़े नेता सीएम अन्नादुरई और जे जयललिता की आलोचना पर यहां एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) टूट-फूट गया था. इसके बाद भाजपा को अकेले चुनाव लड़ना पड़ा था, जो घाटे का सौदा साबित हुआ.
हालांकि, AIADMK से अब बीजेपी के रिश्ते सुधर गए हैं. लेकिन अगर अगले साल गठबंधन राज्य में चुनाव जीतता है तो सत्ता में हिस्सेदारी कैसे होगी, इस पर अभी भी तस्वीर साफ नहीं है.
रिपोर्ट दावा करती है कि राजनीति में नए-नए विजय की युवाओं में अच्छी खासी पकड़ है. उनकी पार्टी TVK राज्य के नए वोटर्स को अपनी तरफ खींच रही है. ऐसे में विजय पर सीधा हमला करने से ये वोटर भाजपा से दूर हो सकते हैं. यही वजह है कि अन्नामलाई सतर्क हैं और संतुलन साधने की रणनीति पर चल रहे हैं. वह DMK के खिलाफ तीखे तेवर तो दिखा रहे हैं, लेकिन विजय के मामले में नरमी बरत रहे हैं.
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