आज हम बात करेंगे खुद को Power Star कहने वाले Pawan Singh की. 30 सितंबर, 2025. गृहमंत्री Amit Shah से मुलाकात की. फ़ोटो-खबर बन गई. बिहार चुनाव के एक पूरे ज़ोन को लेकर कयासबाजियां चलने लगीं. तो क्या कहानी है पवन सिंह की?
पवन सिंह के 'पावर स्टार' बनने और विवादों के रास्ते राजनीति में कदम रखने तक की पूरी कहानी
“इतने चाहने वाले आए हैं? कौन हमारा दुश्मन आया है?”


सन 1992. तब बिहार और झारखंड अलग नहीं हुए थे. डाल्टनगंज कटकर मोदीनगर नहीं बना था और झारखंड में नहीं गया था. इस साल, इसी डाल्टनगंज में एक शादी हो रही थी. रात का समय था. मड़वा गुलजार था. कुछ दूर पर गाने-बजाने का कार्यक्रम चल रहा था.
एक युवक हाथ में झाल लिए गाने गा रहा था. उसके गले की नसें उभर आई थीं. ढोलक, हारमोनियम और झाल की आवाज़ हल्की ओस के साथ फैल रही थी. दर्शक हौसलाफ़ज़ाई कर रहे थे. स्टेज पर एक छोटा बच्चा भी बैठा हुआ था. थक गया था. उसकी आंख लग गई थी. उसको घर पर कुछ गाने सिखाए गए थे, वही उसे सुनाना था.
जब उसकी बारी आई, तो अब तक गाना गा रहे उसके चाचा ने उसके चेहरे पर पानी की छींट मारी. बच्चा अपनी जगह से उठा. गमछे से चेहरा पोंछा और अपने पसंदीदा भोजपुरी कलाकार मुन्ना सिंह का गाना शुरू कर दिया.
गाने के बोल - “छोड़ द पुलिसिया के नौकरी, घरे आजा राजाजी.”
बच्चे के पास एक गाने की तैयारी थी. लेकिन लोग पागल हो चुके थे. फरमाइशों की लाइन लग गई. एक के बाद एक गाने. 6 साल के बच्चे ने महफ़िल को पकड़कर रखा था.
महफ़िल का हासिल- बच्चे को ढेर सारा आशीर्वाद मिला. लोगों ने कहा- ये बिहार का नाम चमकाएगा. बिहार का नाम चमका कि नहीं, ये तो नहीं पता, लेकिन बच्चा खूब चमका.
1997 में मार्केट में एक CD आई. बच्चे के गाने थे. 4 हजार कॉपीज़ से ऊपर बिकीं. कवर पर छपे लड़के का नाम बिहार जानने लगा. पवन सिंह.
वही पवन सिंह, जिनका गाना ‘जिलाटाप लागेलु, लॉलीपाप लागेलु’ देशभर के एलीट सभाओं के कूलपने का अंत बना.
वही पवन सिंह, जो पॉवर स्टार बना.
वही पवन सिंह, जिसकी खेसारी से अदावत हुई. दोस्ती भी हुई. और ‘सजके-संवरके’ पर दोनों ने डांस भिड़ा दिया. वीडियो, मीम बन गया.
शुरुआत कैसे हुई पवन सिंह की?
5 जनवरी, 1986. बंगाल की राजधानी कोलकाता में पवन सिंह का जन्म हुआ. उनके पिता रमाशंकर सिंह वैसे तो आरा के रहने वाले थे, लेकिन तब के अधिकांश बिहारियों की तरह उनका काम और जीवन उन्हें कलकत्ता ले आया था.
पवन महज 6 साल के होंगे, जब आरा से उनके एक चाचा अजीत सिंह कलकत्ता आए. वो आरा में गाने-बजाने का काम किया करते थे. उनकी एक संगीत मण्डली थी. कॉन्ट्रैक्ट के बेसिस पर शादी, छठी, मुंडन जैसे इवेंट पर जाते थे. गाते थे. चचा कलकत्ता आए. खेल-खेल में चचा ने भतीजे से गवाया. भतीजे ने गा भी दिया. चचा बोले- “तू हमरे संगे आरा चलबा.”
पवन सिंह आरा आ गए. गायकी जम निकली. फिर साल 97 में CD आई, तो पवन सिंह के पैर जमे. उन्होंने गाना लिखना और उसे म्यूज़िक में ढालना भी शुरू कर दिया. पहले अल्बम को नाम दिया ‘ओढ़निया वाली'.
“खुली गइली हमसे, अब ना लजाली- ओढ़निया वाली”- लोगों ने इस गाने को सुना तो ज़रूर. लेकिन जमीन जमने में बिहार के ही कैमूर के अतरवलिया गांव के रहने वाले एक सिंगर थोड़े भारी पड़ रहे थे. सिंगर का नाम- मनोज तिवारी. ‘बगलवाली जान मारेली’, ‘रिंकिया के पापा’- इन गानों ने मार्केट हथिया लिया था. और धीरे-धीरे लहंगा भी रिमोट से उठाने की कवायद शुरू हो चुकी थी.
पवन सिंह ने बायपास निकाल लिया. भोजपुरी फिल्में पकड़ लीं. Wave Music के साथ उन्होंने अपनी पहली फिल्म की. 2007 में. ‘रंगली चुनरिया तोहरे नाम की'. इंडस्ट्री के कई दिग्गज प्लेबैक सिंगर्स ने गाना गाया. जैसे सुरेश वाडेकर, उदित नारायण, कैलाश खेर, रूप कुमार राठोड- इत्यादि. पवन सिंह अब गायक के साथ साथ बतौर एक्टर भी भोजपुरी इंडस्ट्री में प्रवेश कर चुके थे. उनके करियर की गाड़ी चल निकली थी.
लेकिन Wave Music के साथ भी उनकी शुरुआत एक झंझट से ही हुई थी. दरअसल, अपने करियर की शुरुआत में ही उन्हें T-Series का साथ मिल गया था. पवन सिंह को इसमें ऑपर्च्युनिटी दिखी. लेकिन बाद में मामला गड़बड़ाने लगा. पवन अपनी फीस बढ़ाने की बात कह रहे थे. लेकिन T-Series रेडी नहीं हुआ. पवन सिंह ये भी चाहने लगे थे कि बाकी गानों के साथ वो स्पेशल ओकेज़न्स पर भी गाने रिलीज़ करें. जैसे दिवाली, छठ, होली पर. सलमान खान स्टाइल. लेकिन T-Series को इसमें कोई ख़ास रुचि नहीं थी. इसके बाद उन्होंने Wave Music ज्वाइन किया, जिनके साथ मिलकर उन्होंने वो कर दिया जिससे उनके ‘पॉवर-स्टार’ बनने का सफर शुरू हुआ.
साल 2008 में अपनी गायकी को जिलाने चले पवन सिंह को एक धुन याद आई. उन्होंने म्युज़िक कम्पोज़र विनय विनायक को चट से फोन मिलाया और कहा कि इस धुन पर कुछ ऐसा बन जाए जो भोजपुरी इंडस्ट्री में कभी हुआ ही न हो. विनायक ने धुन सुनी. लिरिसिस्ट ज़ाहिद अख्तर को उस धुन पर कुछ लिखने को कहा.
लिखाई पूरी हुई. लिरिक्स में अंग्रेजी का प्रयोग था. पवन सिंह के साथ के लोग बहुत कन्विन्स नहीं थे. लेकिन पवन सिंह ने किसी की नहीं सुनी और गाना जस का तस उसी धुन पर गा कर रिलीज़ कर दिया. गाना चला नहीं. कलाकार दुःख से उबरने की कोशिश में जूझ ही रहा था कि तभी अचानक 6 महीने बाद उस गाने की मांग बाजार में बढ़ने लगी. गाना भोजपुरी बेल्ट से निकलकर दिल्ली, बम्बई तक पहुंच चुका था. भोजपुरी न जानने वाले भी ये गीत रट चुके थे और लिपस्टिक को ‘लिपीस्टीक’ बोलने का ट्रेंड शुरू हो गया था. यहां ‘कमरिया करे लपालप’ गाने की बात हो रही है. इसी गाने ने पवन सिंह को बिहार के ‘सुपरस्टार’ का खिताब दिया.
करियर के उफान पर पहुंचने के साथ ही पवन सिंह के जीवन में प्रेम दाखिल हुआ. साल 2014 में 1 दिसंबर को पवन सिंह ने शादी की.
किससे? अपनी प्रेमिका से जो उनके ही बड़े भाई की साली थी. नाम- प्रिया उर्फ नीलम सिंह. शादी धूमधाम से हुई. सिनेमा जगत से लेकर राजनीति से जुड़े लोगों ने शादी में शिरकत की.
लेकिन ये शादी नीलम की मौत के साथ खत्म हुई. 8 मार्च, 2015. मुंबई में अंधेरी के एक फ्लैट में नीलम ने जान दे दी. उस वक़्त वहां उनके साथ नीलम की बहन, बहनोई और उनके बच्चे भी रहते थे.
पुलिस ने पवन सिंह से पूछताछ की. मीडिया ने भी सवाल पूछे. पवन सिंह ने रो-रो कर दोहराया कि उनकी पत्नी ‘देवी-समान’ थीं. लेकिन कुछ रिपोर्ट्स का मानना था कि पवन सिंह का रोना-धोना सब दिखावा मात्र है. क्योंकि नीलम ने पवन सिंह के रवैये से परेशान होकर ही अपनी जान दी थी. वो डिप्रेशन से जूझ रही थीं. कुछ रिपोर्ट्स ने तो ये भी कहा कि नीलम अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में डोमेस्टिक वायलेंस की भी शिकार रही थीं.
साल 2018. पवन सिंह ने यूपी के बलिया में रहने वाली ज्योति सिंह से शादी कर ली. शादी को चार साल होने को चले थे कि दोबारा सब तहस-नहस हो गया. ज्योति सिंह ने साल 2022 में बलिया में एक FIR दर्ज करवाई. उसमें पवन सिंह और उनके परिवार के खिलाफ मेन्टल हैरेसमेंट, रंग-रूप के लिए प्रताड़ित करना, दहेज उत्पीड़न, 50 लाख रुपये लेने, ज़बरदस्ती गर्भपात करवाने से लेकर खुदकुशी के लिए उकसाने तक के आरोप थे.
2022 में ही पवन सिंह ने आरा में तलाक़ की अर्ज़ी लगाई. पहले तो कोर्ट ने कंसिलिएशन के लिए समय दिया. यानी तलाक मांग रहे कपल से कहना कि वो पहले आपस में निपटारा करने की कोशिश करें. लेकिन उसका कोई भी फायदा न होने पर सुनवाई शुरू हुई. कई बार पवन सिंह और ज्योति सिंह की कोर्ट में पेशी भी हो चुकी है. ज्योति सिंह ने एलिमनी में 5 करोड़ रकम की मांग की, जिस पर पवन सिंह ने उन्हें 1 करोड़ तक देने की बात कही. लेकिन ज्योति सिंह ने इस पर हामी नहीं भरी और यही वजह है कि केस अब तक कोर्ट में चल ही रहा है.
हाल ही में पवन सिंह की एक और कॉन्ट्रोवर्सी के बाद ज्योति सिंह ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट लिखा था. आपको ध्यान होगा कि हाल ही में पवन सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था. लखनऊ के एक कार्यक्रम में अपनी को-स्टार अंजलि राघव को पवन सिंह ने छुआ था. उनको कमर पर हाथ लगाते हुए पवन सिंह के बोल थे- “कुछ लगा हुआ है".
लोगों ने पवन सिंह के इस शर्मनाक हरकत की निंदा की. इसके बाद अंजलि राघव ने भी अपनी वीडियो सोशल मीडिया पे डाली. इसमें वो साफ़ कहती नज़र आती हैं कि पवन सिंह ने उस इवेंट में जो कुछ भी किया, वो उन्हें बुरा लगा. पवन सिंह ने माफी भी मांगी.
इसी मामले पर पवन सिंह की दूसरी पत्नी ज्योति सिंह का एक पोस्ट सामने आया. वो कहती हैं कि पवन सिंह की ऐसी हरकतों के वजह से उन्हें और उनके भी मां-बाप को शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है. उन्होंने ये भी कहा कि पवन सिंह सिर्फ चुनाव के नाम पर उनके साथ ज़बरदस्ती रहने की कोशिश करते रहे. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था क्योंकि अगर वो उनकी पत्नी बनने के लायक ही नहीं थीं तो उनसे शादी ही क्यों की.
ज्योति सिंह से बिगड़ते रिश्तों के बीच पवन सिंह का नाम जुड़ा भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह के साथ. दोनों के साथ होने की ख़बरें आईं. कुछ इंटरव्यूज़ में बिना नाम लिए ऐसी बातें कही गईं, जिनसे इस खबर पर मुहर भी लग गई. लेकिन ये रिश्ता भी टूटा. एक पॉडकास्ट में अक्षरा सिंह ने कई आरोप लगाए. कहा कि वो बदतमीज़ी, गाली-गलौच और मार-पीट तक करते रहे. और अब संबंध टूटने के बाद उन्हें भोजपुरी इंडस्ट्री में काम भी नहीं मिल पा रहा है- ऐसा अक्षरा का कहना रहा.
और एक इंटरव्यू में पवन सिंह ने कहा- उन्होंने किसी को भी कभी ‘I Love You’ नहीं कहा.
लेकिन पवन सिंह के फैनबेस में कमी नहीं आई. पटना के एक पत्रकार कहते हैं कि पवन सिंह ने निगेटिव पब्लिसिटी का भी इस्तेमाल किया. वो वहां भी अपने नंबर बनाने में सफल रहे.
ऐसा क्या है जो पवन सिंह को अभी भी ‘पॉवर स्टार’ बना कर रखता है? वो चीज़ है भोजपुरी स्पीकिंग लोगों का उनके लिए फैन्डम. पवन के तेवर को, उनके बात करने के तरीके को, पब्लिक में उनके बिहेवियर को कुछ लोग बदतमीज़ी कह सकते हैं. लेकिन उनके फ़ैन्स ने उनकी अल्फ़ा मेल वाली इमेज तैयार कर दी. इसी इमेज पर ताली बजी, टिकट बिके.
पवन सिंह ने किसी एक्ट्रेस को स्टेज पर खड़ा करके पूछ डाला-“मेरी-इनकी जोड़ी कैसी है?" जनता ने एक सुर में ‘बढ़िया’ कह दिया. एक्ट्रेस ठिठकी खड़ी रही.
लेकिन पवन सिंह का बेढब स्टारडम ही था कि किसी ने ऐसी घटना पर वाजिब सवाल नहीं पूछे.
उनकी निजी ज़िन्दगी के चाहे कितने भी क़िस्से बाहर आएं, उनके गानों के व्यूज़ में कमी नहीं हुई. 2024 में आए ‘स्त्री 2’ के गाने ‘आई नहीं’ से अब पवन सिंह ने बॉलीवुड में भी प्रवेश ले लिया है.
लेकिन अब पवन सिंह फिर से खबरों में हैं. गृहमंत्री अमित शाह के साथ वो तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं. लेकिन वो राजनीति में पहले ही आ चुके हैं.
2017 में पवन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की. उस वक़्त पर उन्होंने कहा था कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत बड़े प्रशंसक हैं और इसी चलते BJP से जुड़े.
साल 2019. होली का एक कार्यक्रम चल रहा था. कहा जाता है कि इस दौरान ही उन्हें BJP ऑफिस से बुलावा आया. पवन सिंह ऑफिस पहुंच गए. उन्हें वहां बताया गया कि उस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उन्हें बंगाल की हावड़ा सीट से चुनाव लड़ना है. पवन सिंह उत्साहित हुए. लेकिन उनका उत्साह जल्दी ही ठंडा पड़ गया.
पार्टी ने उन्हें छोड़ रंतिदेव सेनगुप्ता को टिकट दे दिया. पवन सिंह आहत हुए. लेकिन उन्हें आश्वासन मिला कि साल 2024 के चुनाव में उन्हें ज़रूर टिकट दिया जाएगा.
2024 में पश्चिम बंगाल के आसनसोल से उन्हें टिकट मिल भी गया. लेकिन ‘आंतरिक विरोध’ ने पवन सिंह को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. पवन सिंह ने माफी मांग ली. टिकट वापिस कर दिया और बिहार की काराकाट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया. चुनाव में उन्होंने जीत तो हासिल नहीं की लेकिन काराकाट में ही NDA से लड़ रहे उपेंद्र कुशवाहा की जीत के बीच खड़े हो गए.
पवन सिंह ने इंटरव्यूज़ में कहा कि उन्हें इस हार से कोई दुःख नहीं है बल्कि वो बहुत खुश हैं. अब 30 सितम्बर को बिहार एसेम्ब्ली इलेक्शन से ठीक पहले वो एक बार अपना निर्दलीय स्टेटस छोड़ के फिर BJP में शामिल हो चुके हैं. बाकायदा ‘सॉरी सॉरी’ कहके उपेन्द्र कुशवाहा से मुलाकात करने के बाद.
उन्होंने फेसबुक पर BJP नेताओं के साथ तस्वीरें साझा करते हुए एक पोस्ट लिखी,
"जातिवादी राजनीति के पोषकों के दिल पे आज ई फोटो देख के सांप लोट रहा होगा, लेकिन जिनके दिल में विकसित बिहार का सपना बसता है, वो कब तक एक दूसरे से दूर रह सकते है.”
अब पवन सिंह फिर से राजनीति में हैं. 18 साल में एक अदद जीत के इंतजार में. हैकर लोग कह रहे हैं कि कहीं-न-कहीं कनखियों से खेसारी लाल यादव भी मामला देख रहे होंगे.

किसी को नहीं पता कि दोनों दोस्त हैं या दुश्मन. एक-दूसरे को एक-दूसरे का भाई कहते हैं और पटना में भोजपुरी सिनेमा के नाम पर अपने गुट चलाते हैं, ऐसी चलती हैं कहानियां. गुट क्यों न हो? पवन सिंह भाजपा के करीब देखे गए. खेसारी, राष्ट्रीय जनता दल की रैली में.
और ऐसे में अशनीर ग्रोवर के शो ‘Rise and Fall’ में नजर आने वाले भोजपुरी एक्टर, अश्लील गानों और हरकतों के मालिक और उदीयमान कलाकार पवन सिंह ने एक दिन कह दिया,
“इतने चाहने वाले आए हैं? कौन हमारा दुश्मन आया है?”
लोगों ने मतलब निकाल लिया.
वीडियो: पवन सिंह ने आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ने की क्या वजह बताई?