तमिलनाडु में अगर सरकारी नौकरी करनी है तो अनिवार्य रूप से तमिल भाषा पढ़ना और लिखना आना चाहिए. मद्रास हाई कोर्ट ने ये बात कही है. कोर्ट की मदुरै बेंच ने सोमवार, 10 मार्च को कहा कि तमिलनाडु में सरकारी नौकरी करने की इच्छा रखने वाले लोगों को तमिल भाषा का ज्ञान आवश्यक रूप से होना चाहिए. कोर्ट को ऐसा क्यों कहना पड़ा? आइए ये भी जान लेते हैं.
तमिल भाषा लिखनी-पढ़नी नहीं आती, तो तमिलनाडु में सरकारी नौकरी भूल जाओ: हाई कोर्ट
Tamil Nadu News: मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु में सरकारी नौकरी करने की इच्छा रखने वाले लोगों को तमिल भाषा का ज्ञान आवश्यक रूप से होना चाहिए. लेकिन ऐसा क्या हुआ जो हाई कोर्ट को ऐसा कहना पड़ा?

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक बेंच ने ये टिप्पणी तमिलनाडु विद्युत बोर्ड के एक जूनियर असिस्टेंट से जुड़े मामले में की है. राज्य के बिजली बोर्ड में एम जयकुमार जूनियर असिस्टेंट के पद पर काम करते थे. उनकी पोस्टिंग थेनी जिले के बिजली बोर्ड में थी. बताया जाता है कि तमिलनाडु में सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों को दो सालों में अनिवार्य रूप से तमिल भाषा की परीक्षा पास करनी होती है. लेकिन जूनियर असिस्टेंट एम जयकुमार तमिल भाषा की परीक्षा पास नहीं कर सके. इस वजह से उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया.
तमिलनाडु बिजली बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ जयकुमार मद्रास हाई कोर्ट पहुंचे. मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जयचंद्रन और जस्टिस पूर्णिमा की बेंच ने मामले पर सुनवाई की. जयकुमार ने हाई कोर्ट में कहा कि उनके पिता नौसेना में थे, जिस वजह से उनकी पढ़ाई केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के एक स्कूल में हुई, वहां तमिल भाषा नहीं पढ़ाई गई थी.
इस पर बेंच ने कहा कि तमिलनाडु में काम करने वाले सरकारी कर्मचारी को तमिल भाषा अगर नहीं आती होगी, तो वो ऑफिस में बैठकर काम कैसे करेगा? बेंच ने आगे कहा कि सिर्फ तमिलनाडु ही क्यों कोई भी राज्य हो, अगर वहां सार्वजनिक रूप से काम करने वाले व्यक्ति को स्थानीय भाषा नहीं आएगी, तो उसे मुश्किलों का सामना करना पडेगा. इसलिए कर्मचारी को स्थानीय भाषा तो आनी ही चाहिए.
बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि उम्मीदवारों को निर्धारित समय के भीतर सरकारी भाषा की परीक्षा पास करनी ही चाहिए. इसके बाद बेंच ने साफ़ तौर पर कहा, ‘तमिलनाडु सरकार में यदि कोई काम करना चाहता है तो उसे तमिल भाषा आनी चाहिए.’
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को अंतिम बहस के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है. इस मामले को छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया है. यानी अभी इस मामले पर फैसला आना बाकी है.
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