सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विंग कमांडर निकिता पांडे (Wing Commander Nikita Pandey) की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके रिटायरमेंट पर रोक लगा दी है. निकिता पांडे शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के जरिए एयरफोर्स का हिस्सा बनी थीं. साढ़े 13 साल की नौकरी के बाद उन्हें रिलीज किया जाना था. लेकिन उन्होंने स्थायी कमीशन की मांग करते हुए शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा रहीं शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी की रिलीज पर रोक लगाई
Wing Commander Nikita Pandey साल 2011 में Short Service Commission के तहत इंडियन एयरफोर्स का हिस्सा बनी थीं. 10 साल की सर्विस के बाद उन्हें 19 जून 2025 तक का सर्विस एक्सटेंशन दिया गया था.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी इस मामले में सरकार की ओर से पेश हुईं. सुप्रीम कोर्टी की बेंच ने सुनवाई के दौरान उनसे सवाल किया,
विंग कमाडंर निकिता पांडे को परमानेंट कमीशन क्यों नहीं दिया गया.
ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि स्थायी कमीशन के लिए बैठी बोर्ड ने ये फैसला किया है. और इस मामले पर विचार करने के लिए एक और रिव्यू बोर्ड बनाया गया है. लेकिन विंग कमांडर निकिता पांडे ने राहत पाने के लिए सीधे कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा,
ये सभी प्रतिभाशाली अधिकारी हैं. लेकिन मुद्दा तुलनात्मक मेरिट का है. हमारे पास एक सिस्टम है जिसके तहत 14 सालों की सर्विस के बाद कुछ अधिकारियों को बाहर करना पड़ता है. यह फोर्स की जरूरत है, ताकि टीम यंग बनी रहे.
एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में विंग कमांडर निकिता पांडे का पक्ष रखा. उन्होंने कोर्ट को बताया,
विंग कमांडर निकिता पांडे एक एक्सपर्ट फाइटर कंट्रोलर हैं. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन बालाकोट के दौरान इंटिग्रेटेड एयर कमांड और कंट्रोल सिस्टम में एक एक्सपर्ट की भूमिका निभाई थी.
जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटेश्वर सिंह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई पूरी होने तक निकिता पांडे के रिलीज पर रोक लगा दिया है. उन्होंने केंद्र सरकार को निर्देश दिया,
उन्हें (विंग कमांडर निकिता पांडे) कुछ समय तक अपने पद पर बने रहने दीजिए.
साथ ही उन्होंने सरकार को सलाह दी कि केवल उतने SSC अधिकारियों को भर्ती करने की नीति बनाइए, जिन्हें परमानेंट कमीशन दिया जा सके. इससे समस्या का समाधान हो जाएगा.
जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटेश्वर सिंह की बेंच ने आगे कहा,
यदि आपके पास 100 SSC अधिकारी हैं तो आपके पास उनको स्थायी कमीशन देने की क्षमता होनी चाहिए. यह अलग मुद्दा है कि सब योग्य नहीं हो सकते. SSC अधिकारियों के लिए परमानेंट कमीशन तय नहीं है, इसके चलते 10 साल की नौकरी करने के बाद भी उनमें एक अनिश्चितता का भाव होता है. और ये चीज आर्म्ड फोर्सेज के लिए अच्छी नहीं हो सकती.
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को करेगी. विंग कमांडर निकिता पांडे साल 2011 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत इंडियन एयरफोर्स का हिस्सा बनी थीं. 10 साल की सर्विस के बाद उन्हें 19 जून 2025 तक का सर्विस एक्सटेंशन दिया गया था.
निकिता पांडे कोर्ट क्यों पहुंची?निकिता पांडे परमानेंट कमीशन हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पहुंची थीं. उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि साल 1992 से एयर फोर्स में महिला अधिकारियों की भर्ती की जा रही है.
इस फैसले को 30 साल से ज्यादा हो गए हैं. लेकिन फिर भी उन्हें सिर्फ शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) से इंट्री मिलती है. वहीं पुरुष अधिकारियों के पास SSC और परमानेंट कमीशन दोनों का ऑप्शन होता है. निकिता पांडे ने आगे कहा,
कौन हैं विंग कमांडर निकिता पांडे?30 सालों में समय काफी बदल गया है. अब पहले से काफी बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और उपकरण मौजूद हैं. साथ ही महिला अधिकारियों ने अपनी क्षमता भी साबित की है. केवल जेंडर के आधार पर तीन दशक पहले बनाए नियम अब उपयुक्त नहीं है. अगर महिला अधिकारी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं तो उन्हें स्थायी कमीशन से वंचित नहीं करना चाहिए.
विंग कमांडर निकिता पांडे इंडियन एयरफोर्स में एक अधिकारी हैं. वो साल 2011 से SSC के जरिए सेना का हिस्सा बनी थीं. उन्होंने एयर फोर्स में फाइटर जेट कंट्रोलर की भूमिका निभाई है. और ऑपरेशन सिंदूर और बालाकोट जैसे बड़े अभियानों का हिस्सा रही हैं.
उन्होंने एयरफोर्स में साढ़े 13 साल से ज्यादा समय तक नौकरी की है. उन्होंने स्थायी कमीशन के लिए किए जाने वाले टेस्ट के कई राउंड पूरे कर लिए हैं. अब उनका तीसरा और आखिरी राउंड का टेस्ट बाकी है. विंग कमांडर पांडे एयर फोर्स की पहली अधिकारी हैं, जिनकी रिटायरमेंट पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाया है.
शॉर्ट सर्विस कमीशन और स्थायी कमीशन क्या है?भारतीय सेना में दो तरह के कमीशन होते हैं. शॉर्ट सर्विस कमीशन और स्थायी कमीशन. अभी तक भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की भर्ती शॉर्ट सर्विस कमीशन के माध्यम से होती है. यह आमतौर पर 10 साल के लिए होता है. लेकिन 14 साल तक बढ़ाया जा सकता है. 14 साल के बाद उन्हें रिटायर कर दिया जाता है. हालांकि कुछ मामलों में उन्हें स्थायी कमीशन भी दिया जाता है.
सेना में पेंशन पाने के लिए 20 साल तक नौकरी पूरा करने का नियम है. स्थायी कमीशन के तहत कोई अधिकारी रिटायरमेंट की उम्र तक सेना में काम कर सकता है. और इसके बाद वह पेंशन का भी हकदार होगा. स्थायी कमीशन से महिला अधिकारी 20 सालों तक काम कर सकती है.
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