भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने जस्टिस शरद कुमार शर्मा के आरोपों की जांच का आदेश दिया है. बीते दिनों, जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने एक बड़े मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. साथ ही, आरोप लगाया कि मामले में उनके फैसले को प्रभावित करने की कोशिश की गई. जस्टिस शरद शर्मा का कहना था कि न्यायपालिका के एक ‘बेहद सम्मानित मेंबर’ ने उनसे एक पार्टी के समर्थन में फैसला देने के लिए संपर्क किया था.
जस्टिस शरद शर्मा को किस बड़े जज ने फोन किया था, अब पता चलेगा, CJI ने जांच के आदेश दिए
NCLAT Member Allegation SC Probe: जांच सुप्रीम कोर्ट के महासचिव करेंगे. इसमें पता लगाया जाएगा कि क्या असल में हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी जज ने जस्टिस शरद कुमार शर्मा से संपर्क किया था. अगर हां, तो किसने.


इस पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के महासचिव करेंगे. इसमें पता लगाया जाएगा कि क्या असल में हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी जज ने जस्टिस शरद कुमार शर्मा से संपर्क किया था. अगर हां, तो किसने संपर्क किया था. बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक, घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया,
जांच में जो भी निष्कर्ष निकलकर सामने आएगा, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा.
जस्टिस शरद कुमार शर्मा नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) की चेन्नई बेंच के जज हैं. उन्होंने निर्देश दिया था कि मामले को किसी और बेंच को सौंपने के लिए NCLAT के अध्यक्ष के सामने पेश किया जाए. उनके हटने के बाद अब इस मामले में नई बेंच सुनवाई करेगी.
मामला 2023 का है. हैदराबाद की एक कंपनी को दिवालियापन प्रक्रिया यानी Corporate Insolvency Resolution Process (CIRP) में डालने के आदेश को चुनौती दी गई थी. इस केस में 18 जून को आखिरी सुनवाई हुई. फिर फैसला सुनाने के लिए सुरक्षित रखा गया. साथ ही, पार्टियों को एक हफ्ते में अपना लिखित पक्ष रखने के लिए कहा गया था.
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जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने 13 अगस्त को मामले में आदेश जारी किया. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाए और खुद को मामले से अलग कर लिया. जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने केस छोड़ने से पहले सभी पक्ष के वकीलों को अपने फोन में आया ‘सिफारिश वाला मेसेज’ भी दिखाया. हालांकि, मेसेज के कॉन्टेंट के बारे में कोई साफ जानकारी सामने नहीं आ पाई है. ये भी साफ नहीं है कि वे किस ऊपरी अदालत के कौन से जज पर ऐसा गंभीर आरोप लगा रहे थे.
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