'ऊपरी अदालत के जज ने खास पार्टी के पक्ष में फैसला देने को कहा', जस्टिस शरद कुमार किसकी बात कर रहे?
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के एक जज ने फैसले के लिए कथित तौर पर दबाव बनाने के चलते खुद को केस से अलग कर लिया है.
.webp?width=210)
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) की चेन्नई बेंच के जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने एक बड़े मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में उनके फैसले को प्रभावित करने की कोशिश की गई थी और न्यायपालिका के एक बेहद सम्मानित सदस्य ने उनसे ‘एक पार्टी के समर्थन में फैसला देने के लिए संपर्क किया था’. जस्टिस शरद कुमार ने निर्देश दिया कि मामले को किसी और बेंच को सौंपने के लिए NCLAT के अध्यक्ष के सामने पेश किया जाए. उनके हटने के बाद अब इस मामले में नई बेंच सुनवाई करेगी.
ये मामला 2023 का है, जिसमें हैदराबाद की एक कंपनी को दिवालियापन प्रक्रिया यानी Corporate Insolvency Resolution Process (CIRP) में डालने के आदेश को चुनौती दी गई थी. इस केस में 18 जून को सुनवाई के बाद फैसला सुनाने के लिए सुरक्षित रखा गया था. साथ ही पार्टियों को एक हफ्ते में अपना लिखित पक्ष रखने के लिए कहा गया था. 13 अगस्त को मामले में आदेश जारी करते हुए जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने कहा,
हमें दुख है कि हमारे ही एक न्यायिक सदस्य से देश की ऊंची अदालत के एक बहुत सम्मानित जज ने संपर्क किया और कहा कि एक पार्टी के पक्ष में फैसला दिया जाए. ऐसे में मैं इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग करता हूं.
जस्टिस शर्मा ने केस छोड़ने से पहले सभी पक्ष के वकीलों को अपने फोन में आया ‘सिफारिश वाला मेसेज’ भी दिखाया. हालांकि, मेसेज के कॉन्टेंट के बारे में कोई साफ जानकारी सामने नहीं आ पाई है. ये भी साफ नहीं है कि वे किस ऊपरी अदालत के कौन से जज पर ऐसा गंभीर आरोप लगा रहे थे.
पहले भी इन केस से हट चुके हैं जस्टिस शर्माबार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, ये पहली बार नहीं है जब जस्टिस शरद कुमार शर्मा किसी मामले से हटे हों. इससे पहले भी कई बार वह ऐसे केस से दूरी बना चुके हैं, जिसमें उन्हें किसी ने प्रभावित करने की कोशिश की.
11 जून 2024 को रामलिंगा मिल्स से जुड़े विवादों वाले केस में उन्होंने कहा कि एक पार्टी के व्यक्ति ने उन्हें फायदे वाला फैसला देने के लिए अप्रोच किया. तब भी उन्होंने खुद को केस से अलग कर लिया था. इसके अलावा, नवंबर 2024 में जेपियार सीमेंट्स के मामले में उन्होंने कहा था कि उनका अपना भाई उन्हें मेसेज कर केस में मदद मांग रहा है. तब भी उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया और केस भी छोड़ दिया.
साल 2024 की शुरुआत में बायजूस वाले दिवालियापन केस में भी उन्होंने सुनवाई से हटने का फैसला किया था, क्योंकि उस केस में याचिका दाखिल करने वाला BCCI था और शर्मा पहले BCCI के लिए वकील के तौर पर पेश हो चुके थे.
वीडियो: अमेरिका ने भारत पर दोबारा क्यों लगाया टैरिफ? उप-राष्ट्रपति JD Vance ने बता दिया?