The Lallantop

Asia Cup में भारत-पाकिस्तान का मैच होगा या नहीं, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया

Asia Cup 2025 में India-Pakistan Match को रद्द करने का मामला Supreme Court में पहुंचा है. इसे तत्काल लिस्ट करने की मांग की गई. इस पर अब कोर्ट का फैसला आया है.

Advertisement
post-main-image
(फाइल फोटो: एजेंसी/इंडिया टुडे)

एशिया कप T20 टूर्नामेंट (Asia Cup 2025) में 14 सितंबर को भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला होना है. सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर, इस मैच को रद्द करने की मांग की गई. याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि इस याचिका को अरजेंटली (तत्काल) लिस्ट किया जाए. लेकिन कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, ये मामला जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच के पास गया था. याचिकाकर्ता के वकील ने इस मामले को कल यानी 12 सितंबर के लिए लिस्ट करने का आग्रह किया था. इस पर जस्टिस माहेश्वरी ने कहा,

इसमें इतनी जल्दी क्या है? ये एक मैच है, इसे होने दीजिए.

Advertisement

वकील ने कोर्ट से कहा कि मैच 14 सितंबर को होने वाला है, इसलिए अगर मामला 12 सितंबर के लिए लिस्ट नहीं हुआ तो फिर इस याचिका का कोई अर्थ नहीं बचेगा. इस पर बेंच ने कहा,

मैच इस रविवार को है? इसमें हम क्या कर सकते हैं? रहने दीजिए. मैच चलना चाहिए.

इसके बाद, वकील ने दलील दी कि उनका केस अच्छा हो या बुरा, कम से कम मामला लिस्ट तो हो ही सकता है. हालांकि, न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने ये अनुरोध अस्वीकार कर दिया और दोहराया कि मैच जारी रहना चाहिए.

Advertisement

ये भी पढ़ें: Asia Cup- भारत ने UAE को बुरी तरह रौंदा, 27 गेंदों में खेल खत्म!

भारत-पाकिस्तान मैच को रद्द करने की मांग क्यों उठी?

कानून की पढ़ाई करने वाले चार लोगों की ओर से ये याचिका दायर की गई है. उनका तर्क है कि पहलगाम आतंकवादी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत का पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलना राष्ट्रीय हित के विरुद्ध है. और ये सशस्त्र बलों तथा हमले में जान गंवाने वाले नागरिकों के बलिदान को कमतर आंकता है. याचिका में कहा गया है,

पाकिस्तान के साथ खेलने से विपरीत संदेश जाता है. जब हमारे सैनिक अपने प्राणों की आहुति दे रहे हैं, हम उसी देश के साथ खेल का जश्न मना रहे हैं जो आतंकवादियों को पनाह दे रहा है. इससे उन पीड़ितों के परिवारों की भावनाएं भी आहत हो सकती हैं जिन्होंने पाकिस्तानी आतंकवादियों के हाथों अपनी जान गंवाई. राष्ट्र की गरिमा और नागरिकों की सुरक्षा मनोरंजन से पहले आती है.

याचिका में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया है और कहा गया है कि अब समय आ गया है कि BCCI को ‘मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स’ के अधीन लाया जाए. याचिका दायर करने वालों का कहना है कि यदि राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम, 2025 को लागू किया जाता है, तो BCCI को अधिनियम के तहत स्थापित राष्ट्रीय खेल बोर्ड के अधीन लाना होगा.

वीडियो: ओपनिंग में शुभमन गिल या संजू सैमसन? रवि शास्त्री ने बहस पर लगाया विराम

Advertisement