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छोटी उम्र में बनीं कोडर, बुजुर्गों को ठगी से बचाया... तेजस्वी मनोज कैसे बनीं 'टाइम किड ऑफ द ईयर'?

Tejasvi Manoj Time Kids Of The Year: तेजस्वी मनोज को यह सम्मान बुजुर्गों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा को बढ़ावा देने के उनके योगदान के लिए मिला है. तेजस्वी का जन्म भारत में हुआ था. लेकिन आठ साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ अमेरिका के टेक्सास चली गईं थीं.

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तेजस्वी मनोज को टाइम की किड ऑफ द ईयर 2025 चुना गया है. (फोटो- इंडिया टुडे)

अमेरिका में रहने वाली भारतीय मूल की 17 साल की तेजस्वी मनोज को टाइम मैगजीन की ओर से 2025 का ‘किड ऑफ द ईयर’ चुना गया है. उन्हें यह सम्मान बुजुर्गों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा को बढ़ावा देने के उनके योगदान के लिए मिला है. तेजस्वी का जन्म भारत में हुआ था. लेकिन आठ साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ अमेरिका के टेक्सास चली गई थीं.

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इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, तेजस्वी ने स्कूल में “Girls Who Code” नाम के प्रोग्राम में हिस्सा लिया था. तभी से उन्हें कोडिंग में दिलचस्पी होने लगी. कोडिंग को लेकर वह कहती हैं कि इस प्रोग्राम में शामिल होने के बाद उन्हें समझ में आया कि कोडिंग कितनी शानदार चीज है. वह इससे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं. 

बुजुर्गों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा में योगदान देने का उनका सफर तब शुरू हुआ, जब उनके दादा के साथ ऑनलाइन ठगी का एक मामला हुआ. साइबर ठगों ने रिश्तेदार बनकर ठगी की कोशिश की. लेकिन समय रहते तेजस्वी ने उन्हें बचाया. तब उन्हें पता चला कि कई बुजुर्गों को इंटरनेट पर होने वाली धोखाधड़ी के बारे में जानकारी नहीं है.

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इसी के बाद उन्होंने ‘शील्ड सीनियर्स’ (Shield Seniors) नामक एक प्लेटफॉर्म शुरू किया. इस प्लेटफॉर्म ने बुजुर्गों को ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए जरूरी जानकारी देना शुरू किया. उनका मकसद था कि ऑनलाइन दुनिया को लेकर बुजुर्ग भी आत्मनिर्भर, आत्मविश्वास, स्वतंत्रता और सम्मान के साथ आगे बढ़ सकें. इसी कड़ी में उन्हें कई सम्मान मिले. इतना ही नहीं उन्होंने कई बुजुर्गों को ऑनलाइन सिक्योरिटी के बारे में सेमिनार आयोजित करके सिखाया. 

टाइम मैगजीन के मुताबिक, 2024 में ठगों ने बुजुर्गों को निशाना बनाकर करीब 5 अरब डॉलर का नुकसान किया. इन घटनाओं से 'शील्ड सीनियर्स' जैसी पहलों की जरूरत की अहमियत का पता चलता है. 

तेजस्वी भविष्य में कंप्यूटर साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) या साइबर सुरक्षा की फील्ड में अपना करियर बनाना चाहती हैं. वह शरणार्थियों को पढ़ाने का भी काम करती हैं. स्कूल ऑर्केस्ट्रा में वायलिन भी बजाती हैं. वह लोगों को सलाह देती हैं कि उन्हें अपने घर के बुजुर्गों से हमेशा संपर्क में रहना चाहिए. साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वो ऑनलाइन सुरक्षित रहें.

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