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किस जज पर विवादित कमेंट करने पर सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को नोटिस भेज दिया?

सुनवाई करते हुए CJI ने कहा कि कोर्ट के एक अधिकारी के रूप में वकीलों का ये कर्तव्य है कि वो दायर की जा रही याचिका के कंटेंट के बारे में सावधान रहें.

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याचिका तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से संबंधित एक आपराधिक मामले से जुड़ी थी. (फोटो- X)

सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई को तेलंगाना हाई कोर्ट की सिटिंग जज जस्टिस मौसूमी भट्टाचार्य के खिलाफ एक याचिका पर सख्त रुख अपनाया. कोर्ट ने याचिका में की गई 'आपत्तिजनक और निंदनीय' टिप्पणियों को लेकर याचिकाकर्ता एन पेद्दी राजू, उनके अधिवक्ता रितेश पाटिल और एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (AOR) को अवमानना नोटिस जारी किया (Supreme Court Issues Contempt Notice).

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लाइव लॉ में छपी अनमोल कौर बावा की रिपोर्ट के मुताबिक ये केस तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से संबंधित एक आपराधिक मामले से जुड़ा है. जिसे तेलंगाना हाई कोर्ट से ट्रांसफर कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट में CJI बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने मामले की सुनवाई की. बेंच ने कहा कि वो जजों के खिलाफ इस तरह की टिप्पणियों को बर्दाश्त नहीं करेगा. खासकर जब कोर्ट वकीलों को जांच एजेंसियों के दुरुपयोग से बचाने का प्रयास कर रहा है. CJI गवई ने कहा ,

"एक तरफ हम वकीलों को (ED के प्रावधानों के) दुरुपयोग से बचाने की कोशिश कर रहे हैं. हम जजों को एक दायरे में रखने की अनुमति नहीं दे सकते. और कोई भी वकील या वादी जज के खिलाफ आरोप लगाने के लिए स्वतंत्र है."

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सुनवाई करते हुए CJI ने मौखिक रूप से कहा कि कोर्ट के एक अधिकारी के रूप में, AOR और वकीलों का ये कर्तव्य है कि वो दायर की जा रही याचिका के कंटेंट के बारे में सावधान रहें. CJI ने कहा,

"याचिका पर हस्ताक्षर करने और उसका मसौदा तैयार करने से पहले, कोर्ट के एक अधिकारी के रूप में क्या ये आपका कर्तव्य नहीं है... हम नोटिस जारी करेंगे और फिर देखेंगे कि आपकी माफी स्वीकार की जाएगी या नहीं."

कारण बताओ नोटिस जारी

बेंच ने वर्तमान याचिका दायर करने के लिए जिम्मेदार वकीलों और एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है. ऑर्डर में कहा गया,

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“हम याचिकाकर्ता एन पेड्डी राजू, साथ ही AOR, अधिवक्ता रितेश पाटिल और वर्तमान याचिका तैयार करने वाले वकीलों को नोटिस जारी करते हैं. वो कारण बताएं कि उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला क्यों न चलाया जाए. नोटिस का जवाब 11 अगस्त को दिया जाएगा."

कोर्ट ने ये भी कहा कि अदालत की कार्यवाही के दौरान जब बेंच ने हाई कोर्ट जज के खिलाफ इस्तेमाल की गई भाषा पर आपत्ति जताई, तो याचिकाकर्ता के वकील ने मामला वापस लेने का अनुरोध किया. कोर्ट ने ये स्वतंत्रता दिए बिना ही इसे खारिज कर दिया. बेंच ने कहा,

"जब हमने कार्यवाही के समय याचिका की भाषा पर अपनी नाराजगी व्यक्त की, तो वकील ने याचिका वापस लेने की स्वतंत्रता मांगी. हालांकि, हम याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति देने के लिए इच्छुक नहीं हैं. इसे खारिज किया जाता है."

क्या था मामला?

बता दें कि याचिका में एन पेद्दी राजू ने तेलंगाना हाई कोर्ट में चल रहे एक आपराधिक मामले को खत्म करने की मांग की थी. जिसमें रेड्डी पर अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 2016 के तहत आरोप लगाए गए थे. ये मामला कथित तौर पर एक अनुसूचित जाति समुदाय की सोसाइटी में तोड़फोड़ और जातिगत अपमान से संबंधित था.

17 जुलाई को जस्टिस मौसूमी भट्टाचार्य की सिंगल बेंच ने इस मामले को खारिज कर दिया था. ये नोट करते हुए कि रेड्डी के घटनास्थल पर मौजूद होने का कोई सबूत नहीं था. हालांकि, याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर पिटीशन की. जिसमें जज के खिलाफ निंदनीय टिप्पणियां की गईं. सुनवाई के दौरान, जब कोर्ट ने इन टिप्पणियों पर आपत्ति जताई, तो याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की मांग की, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया.

सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेड्डी की ओर से पेश हुए, जो इस मामले में प्रतिवादी थे.

कौन हैं जस्टिस मौसूमी भट्टाचार्य?

जस्टिस मौसूमी भट्टाचार्य वर्तमान में तेलंगाना हाई कोर्ट में कार्यरत हैं. उन्होंने कोलकाता के लोरेटो हाउस से स्कूली शिक्षा पूरी की. इसके बाद जादवपुर यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में BA (ऑनर्स) की डिग्री ली. 1996 में कोलकत्ता यूनिवर्सिटी से उन्होंने LLB पूरी की. 1997 में पश्चिम बंगाल बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुईं. उन्होंने कोलकत्ता हाई कोर्ट में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें सामाजिक न्याय और जेंडर से संबंधित समितियों में काम शामिल है. 28 मार्च 2024 को उन्हें तेलंगाना हाई कोर्ट में जज के रूप में नियुक्ति मिली.

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने ED पर अब क्या टिप्पणी कर दी?

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