सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 15 जुलाई को नोएडा में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाली महिला से पूछा कि आप कुत्तों को अपने घर में खाना क्यों नहीं खिलातीं?
'घर पर क्यों नहीं खिलाते?' आवारा कुत्तों को खाने खिलाने की याचिका पर भड़का सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों को खाने खिलाने के लिए उत्पीड़न किए जाने का मामला सामने आया था. इस मामले में जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुझाव देते हुए आवारों कुत्तों को घर पर ही खाने खिलाने की हिदायत दी. साथ ही लोगों की सुरक्षा का भी हवाला दिया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले में जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच सुनवाई कर रही थी. बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा,
हमें आवारा कुत्तों को खाना देने वाले इन दरियादिल लोगों के लिए हर गली, हर सड़क खुली रखनी चाहिए? इन जानवरों के लिए तो पूरी जगह है. लेकिन इंसानों के लिए कोई जगह नहीं. आप उन्हें अपने घर में खाना क्यों नहीं खिलाते? आपको कोई नहीं रोक रहा है.
याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि उन्हें बेसहारा कुत्तों को एनीमल बर्थ कंट्रोल नियमों के तहत खाना खिलाने की वजह से परेशान किया जा रहा है. नियम 20 के तहत यह जिम्मेदारी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA), अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन या लोकल अथॉरिटी की होती है कि वे उस इलाके में रहने वाले आवारा कुत्तों के लिए खाना खिलाने की व्यवस्था करें.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सुझाव देते हुए कहा,
हम आपको सलाह देते हैं कि आप अपने घर में एक शेल्टर खोलें. हर कुत्ते को आपके घर में खाना दीजिए.
याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि वे एनीमल बर्थ कंट्रोल रूल्स का पालन कर रहे हैं. नियमों के तहत ग्रेटर नोएडा में इस तरह की जगहें बनाई जा रही हैं. लेकिन नोएडा में अधिकारी ऐसा नहीं कर रहे. उन्होंने कहा कि कुत्तों के लिए खाने के स्थान ऐसी जगहों पर बनाए जा सकते हैं जहां लोग ज्यादा न आते हों. इस पर बेंच ने पूछा,
क्या आप सुबह साइकिलिंग करते हैं? एक बार करके देखिए, क्या होता है.
वकील ने जवाब दिया कि वे सुबह मॉर्निंग वॉक करते हैं. रास्ते में कई कुत्ते होते हैं. इस पर बेंच ने कहा,
इसकी वजह से सुबह सैर करने वाले लोग भी खतरे में होते हैं, साइकिल सवार और दोपहिया वाहन चलाने वाले लोग तो और भी ज्यादा खतरे में होते हैं.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को एक समान मुद्दे पर पेंडिंग एक दूसरी याचिका के साथ जोड़ दिया.
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