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"मेरी मां कहां हैं?", सुप्रीम कोर्ट पहुंचा असम के बेटे का दर्द, मां को बांग्लादेश डिपोर्ट करने पर स्टे

SC to look into Assam woman's 'illegal detention': जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की दो जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. बेंच ने नोटिस जारी किया और सुनवाई अगले हफ़्ते के शुरुआत में तय की.

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याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसकी मां को 'इललीगल तरीक़े से हिरासत' में रखा गया है. (फ़ोटो- PTI)

'मेरी मां कहां है?' सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार, 2 जून को एक बेटे का ये सवाल गुंजा. बेटे ने आरोप लगाया कि असम सरकार (Assam Government) ने उसकी मां को बांग्लादेश डिपोर्ट करने के लिए अवैध तरीक़े से हिरासत में ले रखा है, वो भी बिना निष्पक्ष सुनवाई के. बेटे ने मांग की है कि उसकी मां को अदालत में पेश किया जाए. सुप्रीम कोर्ट उसकी याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार भी हो गया है.

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26 साल के बेटे यूनुस बेवा ने सुप्रीम कोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus Plea) दायर की है. ये याचिका एक कानूनी मांग या ‘रिट’ है. जिसमें मांग की जाती है कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को कोर्ट में लाया जाए. ताकि ये तय किया जा सके कि उनकी हिरासत वैध है या नहीं.

ऐसी ही मांग यूनुस ने अपनी मां मोनोवारा बेवा के लिए की है. याचिकाकर्ता यूनुस की तरफ़ से दलीलें देने के लिए पेश हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल. उन्होंने कहा कि मोनोवारा बेवा को ग़लत तरीक़े से हिरासत में रखा गया है.

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जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की दो जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. बेंच ने नोटिस जारी किया और सुनवाई अगले हफ़्ते के शुरुआत में तय की.

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ज़मानत में बाहर

NDTV की ख़बर के मुताबिक़, मोनोवारा बेवा को 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत दे दी थी. तब आला अदालत ने 'विदेशियों के कैंप' में हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने का आदेश दिया था, अगर वो तीन साल से ज़्यादा समय से वहां रह रहे हों. साथ में ज़मानत के लिए कुछ शर्तें भी रखी गई थीं.

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बेटे यूनुस बेवा का कहना है कि उनका मां ने सभी शर्तों का पालन किया था. लेकिन 24 मई को उन्हें बयान दर्ज करने के बहाने धुबरी पुलिस स्टेशन बुलाया गया. बेटे यूनुस ने दावा किया है कि वो (उनकी मां) तब से हिरासत में हैं.

बेटे यूनुस ने कहा कि उसने पुलिस को ये बताने की कोशिश की थी कि उनकी मां मोनोवरा का मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और वो ज़मानत पर बाहर हैं. लेकिन उन्होंने कथित तौर पर उन्हें रिहा करने से इनकार कर दिया.

वीडियो: रोक लगाने के बाद भी असम सरकार के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कह दिया?

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