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2025 का सबसे बड़ा मार्केट क्रैश, निवेशकों के 9 लाख करोड़ से ज्यादा डूबे, कब सुधरेंगे हालत?

निफ्टी जून 2024 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया. सेंसेक्स और निफ्टी अब अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से 16% गिर चुके हैं. आखिर ऐसा हो क्यों रहा है? कब तक स्थिति सुधर सकती है?

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इस सप्ताह आईटी और ऑटो स्टॉक निफ्टी में सबसे ज्यादा गिरावट वाले शेयरों में शामिल रहे. (फोटो- X)

भारतीय शेयर मार्केट में 28 फरवरी को बड़ी गिरावट देखी गई. ये क्रैश साल 2025 में सबसे बड़ा वीकली क्रैश है (Stock Market Markets crash). इन्वेस्टर्स को 9 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है. शुक्रवार को बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 2% की गिरावट दर्ज की गई. सेंसेक्स 1414.33 अंक या 1.90 प्रतिशत गिरकर 73,198.10 पर आ गया. जबकि निफ्टी 420.35 अंक या 1.86 प्रतिशत गिरकर 22,124.70 पर बंद हुआ. BSE स्मॉलकैप और मिडकैप में 2% से अधिक की गिरावट आई.

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CNBC TV18 की रिपोर्ट के मुताबिक ये क्रैश 2025 के आठ हफ्तों में अब तक निगेटिव रिटर्न का छठा सप्ताह है. विदेशी निवेशकों द्वारा भारी बिकवाली के कारण आईटी और वित्तीय शेयरों में गिरावट दर्ज की गई. निफ्टी जून 2024 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया. सेंसेक्स और निफ्टी अब अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से 16% गिर चुके हैं. जबकि मिडकैप इंडेक्स 22% गिर चुका है.

रिपोर्ट के मुताबिक BSE लिस्टेड फर्मों को एक ही दिन में सामूहिक रूप से 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा. 50 में से 15 निफ्टी शेयरों और 100 में से 25 मिडकैप इंडेक्स शेयर 52-सप्ताह के निचले स्तर पर रहे. बैंकिंग सेक्टर में भी कमजोरी रही, जहां निफ्टी बैंक 399 अंक गिरकर 48,345 पर और मिडकैप इंडेक्स 1,222 अंक गिरकर 47,915 पर बंद हुआ.

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इस सप्ताह आईटी और ऑटो स्टॉक, निफ्टी में सबसे ज्यादा गिरावट वाले शेयरों में शामिल रहे. टेक महिंद्रा, विप्रो, अल्ट्राटेक, TCS, टाटा मोटर्स और HCLTech निफ्टी में सबसे ज्यादा गिरावट वाले शेयर हैं.

भारतीय शेयर मार्केट में जारी इस गिरावट की वजह क्या है? और आगे कितने समय तक यह गिरावट जारी रह सकती है?

ट्रंप की टैरिफ धमकियां

एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रंप की टैरिफ घोषणाएं दुनियाभर के शेयर बाजारों पर गलत असर डाल रही हैं. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विस के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वीके विजयकुमार कहते हैं,

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ट्रंप की कनाडा, मेक्सिको और चीन के ऊपर टैरिफ लगाने की घोषणाओं ने दुनियाभर के बाजारों में अस्थिरता पैदा कर दी है. किसी भी तरह की अस्थिरता किसी भी शेयर मार्केट को पसंद नहीं आती. ऐसी आशंकाएं हैं कि अमेरिका और चीन के बीच एक भयंकर व्यापार युद्ध शुरू हो सकता है.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सिर्फ अमेरिका और चीन के बीच ही नहीं, बल्कि अमेरिका और दूसरे देशों के बीच भी व्यापार युद्ध शुरू हो सकते हैं.

आशंका यह भी जताई जा रही है कि भारतीय बैंकों के चौथे क्वार्टर की कमाई में गिरावट आ सकती है. तीसरी तिमाही के आंकड़े निराश करने वाले थे. निफ्टी 50 इंडेक्स पर लिस्टेड लगभग 30 परसेंट स्टॉक्स भारतीय बैंकों के प्रदर्शन पर निर्भर हैं. ऐसे में अगर चौथे क्वार्टर का प्रदर्शन बिगड़ता है, तो शेयर बाजार की हालत और खराब हो सकती है.

FIIs का एग्जिट

पिछले कई महीनों से विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भारतीय बाजार से पैसे निकाल रहे हैं. पहले जब ऐसा होता था, तब घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) निवेश करते थे. हालांकि, इस बार यह ट्रेंड देखने को नहीं मिल रहा है. प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटीज में रिसर्च हेड अविनाश गोरक्षकर ने मिंट को बताया कि DIIs ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें मार्केट की कोई क्लियर पिक्चर नहीं मिल रही है.

इस साल अभी तक FIIs ने भारतीय बाजार से एक लाख 13 हजार 721 करोड़ रुपये निकाले हैं. जनवरी महीने में इन निवेशकों ने लगभग 78 हजार करोड़ रुपये निकाले थे, वहीं फरवरी महीने में 35,694 करोड़ रुपये. अविनाश गोरक्षकर बताते हैं,

US बॉन्ड मार्केट में इस सयम बेहतर रिटर्न्स मिल रहे हैं. इसलिए FIIs भारतीय बाजार से अपना पैसा निकालकर अमेरिकी बाजार में निवेश कर रहे हैं. जब तक ट्रंप की टैरिफ घोषणाओं के इर्द-गिर्द तस्वीर साफ नहीं हो जाती, तब तक FIIs भारतीय बाजार में नहीं लौटने वाले.

चीन की चांदी

FIIs का निवेश चीन भी जा रहा है. चीन की सरकार ने पिछले साल देश की अर्थव्यवस्था का कायाकल्प करने के लिए बड़े निवेश का एलान किया था. इस निवेश के बाद FIIs चीन के बाजार में जाने लगे थे. यह दौर अभी भी जारी है. वीके विजयकुमार कहते हैं,

ट्रंप की जीत के बाद अमेरिकी बाजार दुनियाभर से निवेश आकर्षित कर रहा है. दूसरी तरफ संस्थागत निवेश के लिए चीन का बाजार एक मजबूत विकल्प के तौर पर उभरा है. चीन की सरकार के नए प्रयासों ने एक सकारात्मक भावना पैदा की है. इसलिए निवेशक वहां जा रहे हैं. चीन ने ब्याज दरों में कटौती की, मार्केट में पैसा डाला और अर्थव्यवस्था को स्थिर किया. इससे निवेशकों को कॉन्फिडेंस मिला है.

अब आखिरी सवाल. भारतीय शेयर बाजार में ये तबाही कब तक जारी रहेगी? वीके विजयकुमार कहते हैं कि मार्च में कुछ रिकवरी देखने को मिल सकती है. उनका मानना है कि मैक्रोइकॉनमिक स्तर पर बेहतर खबरें आ सकती हैं और कुछ FIIs भी भारतीय बाजार में लौट सकते हैं.

वीडियो: शेयर मार्केट के धड़ाम होने के पीछे क्या कारण हैं? क्या हो पाएगी रिकवरी?

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