लखनऊ में तकरीबन 7 हजार वर्गफीट में बना ‘महल जैसा’ घर है. घर में ऊंचे-ऊंचे खंभे हैं. रेलिंग पर भी सजावट है. पहली मंजिल पर काफी जगहदार बालकनी है. ग्राउंड फ्लोर पर जो कमरे बने हैं, उनमें कांच के दरवाजे लगे हैं. विंटेज लुक देती लाइटें हैं. किनारे पार्किंग एरिया है. वहीं से ऊपर जाने के लिए बनी हैं घुमावदार सीढ़ियां. बाहर का गेट तो दंग करने वाला है. विशालकाय और काफी मजबूत. बगल में कुछ पौधों की कतारें. देखकर लगता है किसी बड़े उद्योगपति का घर होगा. या किसी बहुत बड़े अफसर या नेता का. इसे बनाने में तो करोड़ों खर्च हुए होंगे लेकिन हैरान होने वाली बात ये नहीं है. चौकेंगे तो आप तब, जब पता चलेगा कि इस बंगले का मालिक कौन है?
UP पुलिस हेडक्वार्टर से सिर्फ 5KM दूर सिपाही ने बनाई 7000 Sq फीट की कोठी, ED के भी होश उड़े
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अवैध कोडीन युक्त कफ सिरप के कारोबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कई जगह छापे मारे. इन छापों में एक जगह खासतौर पर चर्चा में रही. लखनऊ में एक बर्खास्त सिपाही की आलीशान कोठी, जिसकी निर्माण लागत 5 करोड़ बताई जा रही है.
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यह यूपी पुलिस के एक सिपाही आलोक प्रताप सिंह का घर है. सही पढ़ा आपने. यूपी पुलिस का सिपाही. जिसकी सैलरी 30 से 70 हजार के बीच हो सकती है उसका घर. जो बना भी है राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके गोमतीनगर से सिर्फ 10 किमी की दूरी पर अहमामऊ इलाके में. गोमतीनगर एक्सटेंशन में ही यूपी पुलिस का मुख्यालय भी है. वहां से अहमामऊ की दूरी ज्यादा से ज्यादा 5 किमी होगी.
ये आलोक प्रताप सिंह वही सिपाही है, जिसका नाम यूपी के कोडीन वाले कफ सिरप के सप्लाई नेटवर्क में सामने आया है. सिपाही को इस केस में उसके घर के पास से ही गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद से वह जेल में है. उसे नौकरी से भी निकाल दिया गया है.

प्रवर्तन निदेशालय-ED की टीम जब शुक्रवार, 12 दिसंबर को छापा मारने उसके घर पहुंची तो आलीशान बंगला देखकर हैरान रह गई. तकरीबन 5 घंटे तक इस घर में ईडी की तलाशी चली. जांच एजेंसी ने ये तो नहीं बताया कि घर से क्या-क्या बरामद हुआ है लेकिन इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों ने जानकारी दी है कि सिपाही के घर से कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सामान सीज किए गए हैं.
ईडी मकान की लागत पता कर रही हैअभी तो सबका ध्यान केस से हटकर इस घर पर टिक गया है. सिपाही की नौकरी से ऐसा घर बनाना तो संभव नहीं लगता. ED के सूत्रों का कहना है कि मकान बनाने में करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं. घर की जमीन, उसके निर्माण और अंदरूनी साज-सज्जा पर खर्च हुई रकम का सही आकलन करने के लिए ED ने सरकारी मान्यता प्राप्त प्रॉपर्टी वैल्यूअर को लगाया है. इसके बाद ही पता चलेगा कि घर में कितना अवैध पैसा लगाया गया है. शुरुआती जांच में बताया गया कि लखनऊ-सुल्तानपुर हाईवे के पास अहिमामऊ इलाके में स्थित सिपाही के घर को सिर्फ बनाने में ही तकरीबन 5 करोड़ रुपये लगे होंगे. इसमें जमीन की कीमत शामिल नहीं है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि आलोक काफी समय से इसी घर में अपने परिवार के साथ रह रहा था.
आलोक को सिरप घोटाले की जांच कर रही यूपी एसटीएफ ने 2 दिसंबर 2025 को उसके घर से कुछ ही दूरी पर गिरफ्तार किया था. पुलिस के मुताबिक, वो अवैध सिरप नेटवर्क का हिस्सा था और कथित तौर पर गिरोह से जुड़े लोगों के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश और झारखंड में 2 थोक ड्रग यूनिट चलाता था. इसी मामले में 27 नवंबर को गिरफ्तार एक अन्य आरोपी अमित कुमार सिंह उर्फ अमित टाटा ने पूछताछ के दौरान पुलिस के सामने आलोक का नाम लिया था.

यूपी के चंदौली जिले का रहने वाला आलोक पहले भी विवादों में रह चुका है. साल 2006 में वह लखनऊ में स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) में तैनात था. तब पहली बार वह गिरफ्तार हुआ था. केस था, प्रयागराज के एक कारोबारी के कर्मचारी से 4 किलो सोने की लूट का. इस मामले में 6 लोग गिरफ्तार हुए थे, जिसमें से आलोक भी एक था. हालांकि, सबूतों के अभाव में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. साथ ही आलोक कुमार की नौकरी भी बहाल कर दी.
ड्यूटी पर वापसी के बाद भी आलोक पर कई आरोप लगे. जो शिकायतें आईं, उसमें लापरवाही, लोगों से गलत व्यवहार और मारपीट के आरोप थे. इन आरोपों के चलते 2019 में उसे फिर से नौकरी से निकाल दिया गया. इसके बाद वह ठेकेदार बन गया. इस दौरान वह कई राजनैतिक प्रभावशाली लोगों के साथ भी दिखा. बसपा के एक पूर्व सांसद के साथ भी उसकी फोटो सामने आई थी, जिसे लेकर विवाद भी हुआ.
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